Tuesday, 13 October 2015

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हम भारतियों का माइंड सेट ऐसा है कि जब तक खूब सारा झाग न निकले हम सोचते हैं कि ठीक से सफाई नहीं हुई। इसी का फायदा विदेशी कंपनियां उठाती हैं और ज्यादा झाग के नाम पर हमें कैंसर वाला टूथपेस्ट बेचती हैं। हम शौक से उसे खरीदते भी हैं। राजधानी के रविशंकर यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित डेंटिस्ट्स वर्कशॉप में भोपाल से आए डॉ प्रकाश त्रिपाठी ने ये शॉकिंग जानकारी शेयर की। इसके साथ ही उन्होंने ओरल हेल्थ से जुड़े टिप्स भी दिए।

चाइल्ड डेंटल हेल्थ पर रायपुर में नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन किया  इस कांफ्रेंस में देश भर के डेंटल एक्सपर्ट्स पहुंचे । इस कांफ्रेंस में बच्चों के ओरल हेल्थ को लेकर चर्चा हो रही 
==> क्या है कैविटी की वजह? www.oldveda.com
अक्सर लोग बच्चों को कहते हैं कि चॉकलेट खाने से कैविटी हो जाएगी। चॉकलेट खाने से कहीं ज्यादा नुकसान केयर न करने के कारण होता है। मीठा, जैली या जंक फूड दांतों में बैक्टिरिया को निमंत्रण देते हैं। दांतों पर प्लाक जमने और जर्म के कारण कैविटी होती है। इसलिए जरूरी है कि कुछ भी खाने के बाद तुरंत पानी से कुल्ला करें। रात में सोने से पहले ब्रश जरूर करें।
==> चुनें सही ब्रश www.oldveda.com
डेंटिस्ट की सलाह से ही ब्रश का चुनाव करना चाहिए। छोटे बच्चों के लिए सॉफ्ट ब्रिसल वाले छोटे ब्रश सही रहते हैं। जिनके दांतों में तार लगे हों या जिनके दांत में ज्यादा गैप हो उनके लिए अलग तरह का ब्रश मिलता है। डॉक्टर्स ने कहा कि दातून करने से एक समय के बाद दांत कांटे जैसे नुकीले होने लगते हैं। दिन में दो बार दो मिनट की ब्रशिंग जरूर करें। जिनके दांत में गैप हो उन्हें फ्लॉक्स का भी इस्तेमाल करना चाहिए।
==> नमक, हल्दी और नींबू है कंपनियों का दिखावा
डॉक्टर्स ने कहा, यह सही है कि हल्दी एंटीबॉयोटिक है और नमक से कुछ समय के लिए रिलेक्सेशन मिलता है। ये चीजें घरेलू इलाज तक ही ठीक हैं। लेकिन अब तो टूथ पेस्ट बनाने वाली कंपनियां भी नींबू-नमक के पेस्ट से ओरल प्रॉब्लम्स को ठीक करने के दावे करती हैं, जबकि इसके लिए मेडिकल स्टैंडर्ड का फार्मूला ही कारगर होता है।
==> दूध के दांत को न करें इग्नोर www.oldveda.com
अक्सर लोग सोचते हैं कि बच्चों के दूध के दांत तो टूट ही जाएंगे। इसलिए उनके खराब होने पर ध्यान नहीं देते, लेकिन इन्हीं दूध के दांतों के नीचे परमानेंट दांत रहते हैं। अगर दूध के दांत में प्रॉब्लम हुई तो परमानेंट दांत में भी प्रॉब्लम हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि दूध के दांत सही समय पर आएं और टूटें। 6 महीने की उम्र में बच्चों में टीथिंग प्रोसेस शुरू हो जाती है। एडल्ट के दांत पूरी तरह से मिनरलाइज्ड हो जाते हैं लेकिन बच्चों के दांत में कैल्शियम डेवलप होता रहता है। इसलिए थोड़ा भी दर्द, खून निकलने लगे या दूसरी परेशानी हो तो विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है।

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