Thursday, 8 October 2015

रोग प्रतिरोधक शक्ति बनाये रखने के उपाय व सावधानियाँ
1) 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं | पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए | अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेगी |
2) कुल 13 असाधारणीय शारीरिक वेग होते हैं | उन्हें रोकना नहीं चाहिए |
3) 160 रोग केवल मांसाहार से होते है |
4) 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं | भोजन के एक घंटे बाद ही जल पीना चाहिये |
5) 80 रोग चाय पीने से होते हैं |
6) 48 रोग ऐलुमिनियम के बर्तन या कुकर के खाने से होते हैं |
7) शराब, कोल्डड्रिंक और चाय के सेवन से हृदय रोग होता है |
8) अण्डा खाने से हृदयरोग, पथरी और गुर्दे खराब होते हैं |
9) ठंडेजल (फ्रिज) और आइसक्रीम से बड़ी आंत सिकुड़ जाती है |
10) मैगी, गुटका, शराब, सूअर का माँस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है |
11) भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है |
12) बाल रंगने वाले द्रव्यों (हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है |
13) दूध (चाय) के साथ नमक (नमकीन पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है |
14) शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं |
15) गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है | गर्म जल सिर पर डालने से आँखें कमजोर हो जाती हैं |
16) टाई बांधने से आँखों और मस्तिष्क हो हानि पहुँचती है |
17) खड़े होकर जल पीने से घुटनों (जोड़ों) में पीड़ा होती है |
18) खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी को हानि होती है |
19) भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ता है |
20) जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है |
21) मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है |
22) पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय (टीबी) होने का डर रहता है |
23) चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है |
24) तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है |
25) मूली प्रतिदिन खाने से व्यक्ति अनेक रोगों से मुक्त रहता है |
26) अनार आंव, संग्रहणी, पुरानी खांसी व हृदय रोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है |
27) हृदयरोगी के लिए अर्जुन की छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसमी, सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलके युक्त अनाज औषधियां हैं |
28) भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है | अपच नहीं होता है |
29) अपक्व भोजन (जो आग पर न पकाया गया हो) से शरीर स्वस्थ रहता है और आयु दीर्घ होती है |
30) मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर होती है |
31) जल सदैव ताजा (चापाकल, कुएं आदि का) पीना चाहिये, बोतलबंद (फ्रिज) पानी बासी और अनेक रोगों के कारण होते हैं |
32) नीबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के रोग) तथा हैजा से बचाता है |
33) चोकर खाने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है | इसलिए सदैव अनाज मोटा ही पिसवाना चाहिए |
34) फल, मीठा और घी या तेल से बने पदार्थ खाकर तुरन्त जल नहीं पीना चाहिए |
35) भोजन पकने के 48 मिनट के अन्दर खा लेना चाहिए | उसके पश्चात् उसकी पोषकता कम होने लगती है | 12 घण्टे के बाद पशुओं के खाने लायक भी नहीं रहता है |
36) मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने से पोषकता 100% कांसे के बर्तन में 97% पीतल के बर्तन में 93% अल्युमिनियम के बर्तन और प्रेशर कुकर में 7-13% ही बचते हैं |
37) गेहूँ का आटा 15 दिनों पुराना और चना, ज्वार, बाजरा, मक्का का आटा 7 दिनों से अधिक पुराना नहीं प्रयोग करना चाहिए |
38) मनष्य को मैदे से बनीं वस्तुएं (बिस्कुट, ब्रेड, पीज़ा समोसा आदि) कभी भी नहीं खाना चाहिए |
39) खाने के लिए सेंधा नमक सर्वश्रेष्ठ होता है उसके बाद काला नमक का स्थान आता है | सफेद नमक जहर के समान होता है |
40) जल जाने पर आलू का रस, हल्दी, शहद, घृतकुमारी में से कुछ भी लगाने पर जलन ठीक हो जाती है और फफोले नहीं पड़ते |
41) सरसों, तिल, मूंगफली या नारियल का तेल ही खाना चाहिए | देशी घी ही खाना चाहिए है | रिफाइंड तेल और वनस्पति घी (डालडा) जहर होता है |
42) पैर के अंगूठे के नाखूनों को सरसों तेल से भिगोने से आँखों की खुजली लाली और जलन ठीक हो जाती है |
43) खाने का चूना 70 रोगों को ठीक करता है |
44) चोट, सूजन, दर्द, घाव, फोड़ा होने पर उस पर 5-20 मिनट तक चुम्बक रखने से जल्दी ठीक होता है | हड्डी टूटने पर चुम्बक का प्रयोग करने से आधे से भी कम समय में ठीक होती है |
45) मीठे में मिश्री, गुड़, शहद, देशी (कच्ची) चीनी का प्रयोग करना चाहिए सफेद चीनी जहर होता है |
46) कुत्ता काटने पर हल्दी लगाना चाहिए |
47) बर्तन मिटटी के ही प्रयोग करन चाहिए |
48) टूथपेस्ट और ब्रश के स्थान पर दातून और मंजन करना चाहिए दाँत मजबूत रहेंगे | (आँखों के रोग में दातून नहीं करना)
49) यदि सम्भव हो तो सूर्यास्त के पश्चात् न तो पढ़े और लिखने का काम तो न ही करें तो अच्छा है |
50) निरोग रहने के लिए अच्छी नींद और अच्छा (ताजा) भोजन अत्यन्त आवश्यक है |
51) देर रात तक जागने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है | भोजन का पाचन भी ठीक से नहीं हो पाता है आँखों के रोग भी होते हैं |
52) प्रातः का भोजन राजकुमार के समान, दोपहर का राजा और देर रात्रि का भिखारी के समान |

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