Tuesday, 1 December 2015

       मोदी सरकार  देश के सर्वांगीण विकास के लिए कार्यरत है | इसका ताजा उदाहरण है,  30 नवम्बर को बिहार के मधेपुरा और मढौरा में लोकोमोटिव मेन्यूफेक्चरिंग फैक्ट्रियों की स्थापना के लिए दुनिया की दिग्गज कंपनियों अलस्टम और जीई ट्रांसपोर्ट के साथ रेलवे मंत्रालय द्वारा किया गया चालीस हजार करोड़ का करार |
एक दशक पहले जब लालू यादव रेल मंत्री थे,   कई बार फेक्टरियों का टेंडर जारी किया गया और केंसिल किया गया | यह मेक इन इंडिया के लिए मील का पत्थर है, क्योंकि दुनिया की दिग्गज कंपनियों ने देश के अन्दर इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए कदम बढाया है | 
 रेल मंत्री सुरेश प्रभू ने कहा कि अलस्टम और जीई ट्रांसपोर्ट के साथ आने से देश में अन्य सामानों और सहायक सामग्रियों की मेन्यूफेक्चरिंग के लिए अनुकूल माहौल बनेगा |जीई ट्रांसपोर्ट रेलवे के साथ जॉइंट वेंचर के रूप में 1000 विशिष्ट डीजल लोकोमोटिव्स तथा अलस्टम 800 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स का उत्पादन करेगा | दोनों कम्पनियां उत्पादन और रखरखाव पर लगभग चालीस हजार करोड़ रूपया इन्वेस्ट करेंगी |
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स्वच्छ पर्यावरण स्वस्थ मानव..
      भारत सरकार की इंटरनैशनल सोलर अलायंस बनाने की पहल की तर्ज पर बिल गेट्स, मुकेश अंबानी, रतन टाटा और जैक मा समेत दुनिया के टॉप उद्योगपतियों ने सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए आपस में हाथ मिलाया है।     
   ब्रेकथ्रू एनर्जी कोऐलिशन  28 निवेशकों का इंटरनैशनल ग्रुप है। इस ग्रुप का मकसद वैसी कंपनियों को लाना है जिसमें रिसर्च लैब से मार्केट तक सस्ती, विश्वसनीय और कार्बन फ्री एनर्जी डिलिवर करने की क्षमता है। पीएम मोदी ने भी 'मन की बात' कार्यक्रम के दौरान सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने पर जोर दिया था। इन उद्योगपतियों का यह कदम सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के मोदी सरकार के प्रयास में सहायक साबित होगा।
ऐसी उम्मीद है कि दुनिया के इंडस्ट्री लीडर्स अपने रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट को डबल कर देंगे जिससे इनोवेशन के चक्र को रफ्तार देकर नाटकीय तौर पर ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव को तेजी दी जा सकती है।
इन से दुनिया भर की सरकारों को विशिष्ट इनोवेशन की मदद से क्लीन एनर्जी की ग्रोथ के रास्ते पर आगे बढ़ने में सहायता मिलेगी। यूके वर्जिन ग्रुप के रिचार्ड ब्रैंसन, फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग और हेवलेट पैकार्ड के मेग वाइटमैन उन इंडस्ट्री लीडर्स में शामिल हैं जो इस कोऐलिशन के हिस्सा होंगे।
 इसमें ऐसे 100 से ज्यादा देश शामिल होंगे जहां सुर्य का प्रकाश प्रचुरता से उपलब्ध होता है। इन सभी का मकसद स्वच्छ, सस्ती और नवीकरणीय सौर ऊर्ज के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। 
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 मेक इन इंडिया लाया 1.2 लाख करोड़ का निवेश !
इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया है, PM Modi का आह्रवाहन और मेक इन इंडिया की रुप रेखा कुछ इस तरह की बनाई गई है जिसकी वजह से मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लोगों का रुझान इंडिया की तरफ बढ़ा है.: 
 पीएम मोदी ने देश की सत्ता संभालने के बाद से कई देशों का भ्रमण किया. हर जगह आह्वाहन किया कि वो आए और हमारे देश में मेक इन इंडिया को सफल बनाए और अब इस आह्वाहन ने असर दिखाना शुरू कर दिया, जब से मेक इन इंडिया प्रोग्राम को लॉन्च किया है तब से लेकर अब तक ऐसा देखने में आया है कि विदेशी निवेश के लिए लोग भारत की ओर रुख कर रहे है. खासकर के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में निवेश तेजी से देखा जा रहा है.

 (NPE) का इरादा इंपोर्ट पर डिपेंडेंसी को खत्म करना और 2020 तक इस सेक्टर में 100 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट करवाना है ताकि और 2.8 करोड़ लोगों के लिए रोजगार के मौके पैदा किए जा सकें.
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