ईसा एक है,बाइबिल एक।
फिर भी, लैटिन कैथलिक, सीरियन कैथलिक, मारथोमा, पेंटेकोस्ट, साल्वेशन आर्मी, सेवेंथ डे एडवांटिष्ट, ऑर्थोडॉक्स, जेकोबाइट जैसे 146 ईसाई जातियां आपस में किसी के भी चर्च में नहीं जाते।
अल्लाह एक, कुरान एक, नबी एक ।
फिर भी शिया, सुन्नी, अहमदिया, खोजा, सूफी, मुजाहिद्दीन जैसी 13 जातियां एक दुसरे के खून के प्यासे। सबकी अलग मस्जिदें। साथ बैठकर नमाज नहीं पढ़ सकते। धर्म के नाम पर एक-दूसरे का कत्ल करने को सदैव आमादा।
1280 धर्म ग्रन्थ, 10 हज़ार से ज्यादा जातियां, अनगिनत पर्व एवं त्योहार, असंख्य देवी-देवता। एक लाख से ज्यादा उपजातियां, हज़ारों ऋषि-मुनि, सैकड़ों भाषाएँ। फिर भी सारे हिन्दू सभी मन्दिरों में जाते हैं और सारे त्योहारों को मनाते हुए आपस में शान्ति एवं शालीनता से रहते हैं।
यह है भव्यता, सुन्दरता और खूबसूरती हिन्दू धर्म की ....
मज्जिद व चर्च पर बैठने वाला पक्षी कितना भी सेक्यूलर हो,जब उसे भूख लगती है तो मंदिर ही आता है,क्योंकि❓वहीं उसे भोजन मिलता है बाकी जगहों पर खुद पक्षी ही निवाला बन जाता है यही हिंदुत्व की विशेषता है।
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