Monday, 16 April 2018

भारत के हिन्दुओ, अब तो इकट्ठा हो जाओ!
इन तस्वीरों को देखो। ग़ौर से देखो कि किस तरह से एक सामाजिक अपराध के आरोपियों के तथाकथित कृत्य का दोषी पूरा हिन्दू समाज बना दिया गया है। इसमें अपने आराध्य को खोजो और ये सवाल खुद से पूछो कि इसमें राम, शिव, सीता और भगवा झंडे के इस तरह के प्रस्तुतीकरण की क्या ज़रूरत है। ये सवाल औरों से पूछो, शेयर करो और जानने की कोशिश करो कि आखिर अपराधी के अपराध की सज़ा पूरे धर्म को सवालों के दायरे में रखकर, घृणित चित्रण करते हुए किस मक़सद से की जा रही है।
आजकल एंटी-हिन्दू प्रोपेगेंडा फ़ैशनेबल से वायरल हो गया है। साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की बात करते हुए सारी पार्टियाँ एक तरफ होकर खुल्लमखुल्ला आह्वान करती हैं कि दलित हो तो हमें वोट तो, मुसलमान हो तो हमें वोट दो, लेकिन साम्प्रदायिक कौन सी पार्टी हुई? भाजपा।
जी हाँ, और अब ये लोग ज़्यादा दिन तक मूर्ख नहीं बना पाएँगे क्योंकि नैरेटिव बनाने वाले अभी तक पुराने ही ढर्रे से सोच रहे हैं, जब वो विभिन्न माध्यमों से 'एकतरफ़ा संवाद' कर दिया करते थे और लोगों को दूसरा पक्ष हमेशा गौण नज़र आता था। वो इसलिए होता था कि इन कैंसरकारक बुद्धिजीवियों की पकड़ बहुत गहरी हुआ करती थी हर जगह।
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर से लेकर, मीडिया में कॉलम लिखते विचारक, बॉलीवुड के मुखर लोग और वेबसाइटों पर ज्ञान देते वामपंथी चिरकुट, ये सब के सब ज़हर घोलते रहे समाज में।
लेकिन सोशल मीडिया ने इनको तय तरीक़ों पर हमला बोल दिया है। अब हमला और वैचारिक युद्ध दोतरफ़ा है। उनके पोस्ट ट्रूथ को इनका पोस्ट ट्रूथ काटने को तैयार है। अब प्रवचन नहीं चलेगा कि देश को बाँट रहे हैं भाजपाई और संघी। क्योंकि प्रवचन सुनने वालों ने सवाल करना शुरु कर दिया है कि 'कैसे?' इसका जवाब इनके पास नहीं है क्योंकि इन्होंने सोचा नहीं था कि नीचे ज़मीन पर आधी ईंट पर बैठा आदमी सवाल पूछ सकता है।
जो जवाब इनके पास हैं, वो वही हैं जो वास्तविकता से परे, रटे-रटाए, प्रोपेगेंडा मशीनरी से निकलकर इनके पास पहुँचते हैं। वही पुराना 'हिन्दुत्व अजेंडा' घातक है देश के लिए जैसे कि पहले ये अजेंडा चला था कभी और उसके परिणाम भयावह आए! जो अजेंडा तुमने चलाया उससे तो देश लगातार बँटता जा रहा है, और उसका भी ठीकरा भाजपा के ही सर?
बलात्कारों में जाति, धर्म ढूँढना, एफआईआर को सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट मान लेना, रैली के मक़सद को गलत बताकर झूठ फैलाना आदि इसी तंत्र का हिस्सा है। लेकिन लोग अब कठुआ और उन्नाव से ख़बरें मँगवा सकते हैं और ये सवाल उठा सकते हैं कि गौरी लंकेश के मरने के आधे घंटे में किस जाँच के बल पर ये तय हो जाता है कि हत्या दक्षिणपंथियों ने की? हर बार ये होता है और चुनावों के समय इसे हवा देकर एक पार्टी के ख़िलाफ़ हवा बनाई जाती है।
तुम हिन्दुओं को आतंकवादी कहते रहो, वो एकजुट होता रहेगा। अगर नोटबंदी, जीएसटी, और तुम्हारे गिनाए तमाम असफलताओं के बावजूद भाजपा लगातार सत्ता पा रही है तो ये समझना चाहिए कि इसमें मदद तुम ही तो कर रहे हो। तुम कठुआ वाली घटना में हिन्दुओं के भगवानों को ज़लील करोगे तो क्या एक सामान्य हिन्दू भी इस हेट-कैम्पेन को नहीं समझेगा? क्या वो अपने स्तर पर ये विवेचना नहीं करेगा कि ये हिन्दुओं को तोड़ने की साज़िश है? क्या वो ये नहीं सवाल करेगा कि आठ आरोपियों के पाप का भागी वो, उसका धर्म और आराध्य क्यों बनाए जा रहे हैं?
फिर वही होगा कि जिसे राजनीति से ज्यादा लगाव नहीं था, वो भी दस लोगों से बात करते हुए अघोषित काडर बनकर भाजपा के पक्ष में वोट गिरवाएगा। और वो भाजपा के पक्ष में इसलिए क्योंकि लोगों को लगता है वही एक पार्टी है जो हिन्दुओं के हितों का ख़्याल रखती है। इसीलिए अब राहुल गाँधी को भी मंदिर जाना पड़ रहा है और वामपंथी भी भारत माता की जय बोलने लगे हैं।
मैं चाहूँगा कि आप सब अपने स्तर से अब इस घृणा के अजेंडे को गम्भीरता से लेना शुरु कीजिए। अब ज़रूरी है कि इस देश पर वो लोग ही सत्ता संभालें जो हिन्दुओं के हितों को भी देखेंगे, न कि सिर्फ़ अल्पसंख्यक तुष्टीकरण में लगे रहेंगे। ज़रूरत है कि ऐसे कानून बनें जहाँ हिन्दुओं के देवी-देवता को किसी भी तरीक़े से बुरी तरह से दिखाए जाने पर वही सजा हो जो मुसलमानों और ईसाइयों के आराध्यों की निंदा के लिए है।
अब ये मशीनरी फ़्रिंज ग्रुप नहीं है, ये एक व्यवस्थित तरीक़े से काम करती हुई डिजिटल सेना है। इसको काटने के लिए हर स्तर से इनके ऊपर हमला बोलना होगा। उसमें झूठ का सहारा भी लिया जाएगा, उनके प्रपंच को काटने के लिए आप भी प्रपंच कीजिए, उनकी धूर्तता को दबाने के लिए आप भी धूर्त बनिए। वो फेक न्यूज फैलाते हैं, आप भी फैलाइए। वो हेट कैम्पेन चलाते हैं, आप भी चलाइए।
2019 के चुनाव तक अब मैं यही करने वाला हूँ। क्योंकि मैं अब हिन्दू-विरोधी चिरकुटों और घृणा-तंत्र से अपनी सहिष्णुता खो चुका हूँ। अब मैं रेप में हिन्दू-मुसलमान देखूँगा, अपने मन से कहानियाँ गढ़ूँगा और फैलाता रहूँगा। मुझे इस तंत्र को उन्हीं की भाषा में जवाब देना आता है। मैं अपने जैसे पचास तैयार करूँगा, और भाजपा की जीत सुनिश्चित करूँगा। ये एक अघोषित युद्ध है, और मैं अपने धर्म को त्रिशूल में लिपटे कॉन्डोम और लिंग में घुसे भगवा झंडे के स्तर तक गिरता नहीं देखना चाहता।
-Ajeet Bharti

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