Tuesday 10 April 2018

क्या है हिंदुत्व ..?
मेरे एक मित्र हैं  वो दारुल-नदवा के किसी मौलाना के साथ हुये अपने वार्तालाप के बारे में बता रहे थे. उस मौलाना को इस बात से बड़ी तकलीफ़ थी कि ए०पी०जे० अब्दुल कलाम मुसलमान होते हुये भी हिन्दू धर्म के कुछ संन्यासियों के पैरों के पास क्यों बैठते थे और क्यों उनको हिन्दू धर्म से बड़ा गहरा लगाव था ?...  मित्र ने उनसे पूछा कि तुमको लगता है कि विज्ञान का अन्वेषक, सत्यशोधक और तार्किक मस्तिष्क वाले कलाम किसी अंधश्रद्धा के वशीभूत हिंदुत्व के करीब पहुँचे होंगें? क्या तुमको ये नहीं लगता कि हिन्दू धर्म को जैसा तुम समझते हो उससे कहीं आगे जाकर कलाम ने इसे समझा होगा ? ....इस पर वो मौलाना व्यंग्य कसते हुये कहने लगा, पार्वती के मैल से निर्मित होते गणेश और सूरज को निगलते वानर में ही कलाम ने हिन्दू धर्म की महानता देख ली होगी.
 वो दृष्टि क्या थी जो कलाम को हासिल थी और उस दृष्टि से उन्होंने हिंदुत्व में ऐसा क्या देख लिया था जो वो इसके दीवाने हो गये थे?
हिन्दू धर्म के बारे में किसी ईसाई प्रचारक ने बड़ा सही कहा था कि इस धर्म को समझना जितना कठिन है उतना ही सरल भी है, इससे आगे जाकर कहें तो ये एक ऑक्टोपस की तरह है क्योंकि इसके करीब जायेंगें तो ये अपने आपको विस्तारित करेगा और आपको पूरी तरह अपने आगोश में ले लेगा. इस धर्म को परिभाषित करने वाले वैसे लोग भी हुये हैं जो दर्शन और तर्क की ऊँचाईयों पर पहुँच चुके थे और इस धर्म को गढ़ने वालों में वैसे लोग भी हैं जिनके पास अक्षर ज्ञान तक नहीं था.
मेरे मित्र के उस मौलाना मित्र की बुद्धि की क्षुद्रता मैल से निर्मित गणेश और सूर्य को निगलते हनुमान तक जाकर रूक गई और वो जाहिल हिंदुत्व को केवल बाहर से देखता रहा और कलाम ने इसे अंदर जाकर समझ लिया.
क्या है हिंदुत्व? संकुचन नहीं विस्तार है हिंदुत्व ! सहिष्णुता नहीं समादर है हिंदुत्व ! टोलरेंस नहीं एक्सेप्टेंस है हिंदुत्व ! मनुष्यत्व से देवत्व तक की यात्रा है हिंदुत्व ! "सकल विश्व को हम श्रेष्ठ और भद्र बनायेंगें" इस भाव को जीने का नाम है हिंदुत्व !
आयरलैंड में जन्मी थी 'मार्गरेट एलिजाबेथ नोबेल'. बंगाल के एक संत नरेंद्रनाथ दत्त के तेज से आलोकित होकर भारत आ गई और सारे भारत ने उसे प्यार से पुकारा 'भगिनी निवेदिता'. ईश्वर के बनाये भाई-बहन के उस पवित्र रिश्ते से सारे हिन्दू समाज ने 'मार्गरेट एलिजाबेथ' को बाँध लिया जिससे पवित्र कोई और रिश्ता नहीं होता. फ्रेंच मूल की 'मिर्रा अलफासा' ने जब हिन्दू धर्म के सार-तत्व को समझा और श्रीअरविंद घोष की सहचरी बनकर यहाँ आईं तो सारे भारत ने उन्हें देवी स्वरूपा माना और 'श्री माँ' कहकर पुकारा. उनको उस नाम से संबोधित किया जिसमें अधिकतम श्रद्धा झलकती है.
एक विदेशी लेखक (अभी उसका नाम विस्मृत हो गया) अपनी किताब में शिवाजी महाराज की आलोचना करता जाता है- करता जाता है पर जब वो 'कल्याण' वाली घटना पर कलम उठाता है तो उसकी कलम चाह कर भी शिवाजी महाराज के खिलाफ़ उठ नहीं पाती. युद्ध में जीते जाने के बाद लाई गई वहां के मुस्लिम सूबेदार की कन्या के साथ शिवाजी महाराज का व्यवहार उस विद्वेषी लेखक को मंत्रमुग्ध कर लेता है और उसे लिखना पड़ता है "शिवाजी के बारे में कितना भी नकारात्मक बातें होगी पर चारित्रिक दृष्टि से वो सर्वोत्तम ऊँचाई पर थे".
सिकंदर, सेल्यूकस निकेटर से लेकर गुलाम वंश, खिलजी वंश, मुग़ल वंश या फिर डच, फ्रेंच, अंग्रेज सबने हम पर शासन किया या इन सबके साथ हमारा युद्ध हुआ. इनके द्वारा हमारे ऊपर अत्याचार किये गये, हमारी माँ और बहनों की अस्मत लूटी गई पर गुलामी और अत्याचार के सैकड़ों सालों के इतिहास में एक भी उदाहरण नहीं मिलता कि हमने कभी किसी और धर्म की नारी के सम्मान के साथ कभी खेला हो, कभी उनकी अस्मत लूटी हो.
इसलिये नारी को अधिकतम सम्मान और उसे उसके सबसे गरिमामय पद पर सुशोभित करने का नाम है हिंदुत्व. नारी जाति के प्रति इस उत्तम आदर्श को रखने और जीने का नाम है हिंदुत्व.
विधाता ने भारत भूमि पर जन्म बहुतों को दिया है पर हिन्दू माता के गर्भ से जन्म लेने का सौभाग्य सबको नहीं दिया. हम और आप सौभाग्याशाली हैं कि विधाता ने हमें हिन्दू माता के गर्भ से जन्मने का सौभाग्य दिया है. इस सौभाग्य को आपसी युद्ध, खेमेबंदी और निरर्थक के कामों में गँवा कर इसे दुर्भाग्य में मत बदलिये.
सौभाग्य को दुर्भाग्य में बदलेंगे तो आने वाली पीढ़ी को आपका नाम लेते हुये भी शर्म आयेगी. इस सोच के साथ अबतक किये अपने-अपने पापों का परिमार्जन कीजिये और धर्म तथा राष्ट्र रक्षण में जुट जाइये.
~ अभिजीत

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