Friday 27 April 2018

आरबीआई गवर्नर रहे वाईवी रेड्डी की पुस्तक ADVISE AND DECENT से साभार।
नब्बे के शुरुआती दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था को वो दिन भी देखना पड़ा जब भारत जैसे देश को भी अपना सोना विश्व बैंक में गिरवी रखना पड़ा था। सिर्फ 40 करोड़ रुपए के लिए हमे अपना 47 टन सोना गिरवी रखना पड़ा था,
ये स्थिति थी इकॉनमी की।
ये वो दौर था जब तबके प्रधान मंत्री #राजीव_गाँधी की #हत्या #लिट्टे के #आतंकियों ने कर दी थी और युवा तुर्क कहे जाने वाले #चन्द्रशेखर तब नये नये प्रधान मंत्री बने थे।
पूरे देश में एक तरह का निराशा भरा माहौल था कोई #रोज़गार नहीं कोई नया #उद्योग_धंधानहीं एक बिजनेस डालने जाओ तो पचास जगह से #एनओसी लेकर आना पड़ता था। लाइसेंस परमिट के उस दौर में चारो तरफ #बेरोज़गारी और हताशा का अलाम था दूसरी तरफ देश में #मंडल और #कमंडल की लड़ाई छिड़ी हुयी थी।
अस्सी से नब्बे के दशक तक देश में #कांग्रेस ने राज किया था उसी दौरान #बोफोर्स_तोपों में #दलाली का मामला सामने आया। गाँधी_परिवार की अथाह लूट ने देश की #अर्थ_व्यवस्था को #रसातल में पंहुचा दिया। उन दिनों भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो गया था कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपना सोना विश्व बैंको में गिरवी रखने का फैसला किया।
हालात ये हो गये थे देश कि देश के पास तब केवल 15 दिनों का आयात करने लायक ही पैसा था। स्थिती कितनी भयानक थी इसका अंदाजा आप इस बात से लगा लीजिये की भारत के पास तब केवल 1.1 अरब डालर का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा हुआ था।
तब तत्कालीन प्रधान मंत्री चन्द्रशेखर के आदेश से भारत ने 47 टन सोना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में गिरवी रखा था। ये भी अपने तरह की एक दिलचस्प और भारतीय जनमानस को शर्म सार करने वाली घटना थी।
हुआ यह कि RBI को बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में 47 टन सोना पहुंचाना था। ये वो दौर था जब #मोबाइल तो होते नहीं थे और #लैंड_लाइन भी बहुत सीमित मात्रा में हुआ करते थे।
नयी दिल्ली स्थित आरबीआई की बिल्डिंग से 47 टन सोना नयी दिल्ली एयर पोर्ट पर वैनों द्वारा पहुंचाया जाना था वहां से ये सोना इंग्लैंड जाने वाले जहाज पर लादा जाना था। लेकिन नब्बे के दशक में भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था कितनी लचर स्थिति में थी इसका अंदाजा आप
इस बात से लगा लीजिये की 47 टन सोना लेकर जो वैनें महज़ 6 सुरक्षा गार्ड्स के साथ एयर पोर्ट पर भेजी गयी थी उन सभी के टायर आधे रास्ते में ही पंचर हो गये। टायर पंचर होते ही उन 6 सुरक्षा गार्ड्स ने उस 47 टन सोने से भरी वैनों को घेर लिया बड़ी मशक्कत के बाद ये 47 टन सोना इंग्लैंड पहुंचाया गया और तब जाकर ब्रिटेन ने भारत को 40.05 करोड़ रुपये का कर्ज़ दिया।
इस घटना का वर्णन तबके आरबीआई गवर्नर रहे वाईवी रेड्डी ने अपनी पुस्तक ADVISE AND DECENT में किया है।
भारतीय अर्थ व्यवस्था से जुड़ी इस पुरानी और मन को दुखी करने वाले घटना का उदाहरण आपको इसलिये दिया ताकि आपको पता चले सके कि आज ये जो कांग्रेस के बेशर्म नेता #मोदी के ऊपर देश की अर्थ व्यवस्था को चौपट करने का इल्जाम लगाते हैं। उन्हें पता चले की उनके महान गाँधी परिवार की ऐय्याशी की वजह से ही देश को अपना सोना महज़ 40 करोड़ का कर्ज पाने के लिये गिरवी रखना पड़ा था। किसी भी देश के लिये इससे ज्यादा अपमान और शर्म की बात क्या हो सकती है।
बेहद हैरानी और गुस्सा आता है जब देश का सोना महज़ 40 करोड़ रुपये के लिए गिरवी रखने वाले लोग कहते हैं कि मोदी ने भारत की अर्थ व्यवस्था को बर्बाद कर दिया....हकीकत_में_आप_बहुत_बड़े_बेशर्म_हो
भाई आर सी शर्मा उत्कर्ष जी की वॉल से।
संकलित

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