Monday, 16 April 2018

 "1970 के राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित बहुचर्चित दक्षिण भारतीय अभिनेत्री, संस्कार फ़िल्म से विश्वप्रसिद्ध हुई कलाकार, कन्नड़, तमिल और तेलुगु सिनेमा की लोकप्रिय अभिनेत्री और प्रोड्यूसर। यह और कोई नही, स्नेहलता रेड्डी है। वही जिसने अपने पति के साथ मिलकर इंदिरा गांधी के आपातकाल के विरुद्ध सड़कों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया और बदले में उसे जेल में डालकर इतना मारा गया कि मर गई।
आज मोदी की सरकार को किसी भी तरीके से नीचा दिखाने के लिए सबकुछ करने को तैयार सिनेमा कलाकारों को देख बरबस स्नेहलता याद आ गई जिसके बारे में मधु दण्डवते ने लिखा है कि रात को उसकी हृदयभेदी चीखें मेरे सेल तक आती थी और मैं सोचता था कि यदि ईश्वर है तो उसे यह अधर्म क्यों नहीं दिखता।
छोटे बच्चों सी सरलता और चपलता से भरपूर इस कलाकार को जिस बेदर्दी से मार डाला गया उसे याद करके आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
स्नेहलता अकेली नही, ऐसी हजारों युवतियां और युवक थे जिनका अंत कर दिया इंदिरा गांधी ने। राहुल गांधी ठीक कहते हैं कि कांग्रेस एक सोच है। एक घृणित सोच जिसमें आजतक कोई परिवर्तन नहीं हुआ। मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ इंडिया गेट पर प्रियंका गांधी और उसकी बच्ची के शरीर को टटोलने वाले कांग्रेसियों के बारे में सुनकर।
कोई कह दो राहुल गांधी से कि यदि आप बेटियों की सुरक्षा चाहते हैं तो कांग्रेस की उस घृणित सोच को समाप्त करिए। स्नेहलता रेड्डी की चीखों को याद करो और इंदिरा का गुणगान करने वाले भारतीयों से पूछो की वे इंदिरा को कितना जानते हैं। पूछो की वो महात्मा कहे जाने वाले गांधी को कितना जानते हैं जिन्होंने अनेको महिलाओं का शारीरिक-मानसिक शोषण किया। कांग्रेस एक सोच ही है राहुल, और यह बहुत गन्दी सोच है।
लोकतंत्र को बचाने के लिए इसे समाप्त होना पड़ेगा।"
शव स्तब्ध रह गया और अघोरी मार्ग पर बढ़ चला। उसके पदचाप से स्वर आ रहे थे- "कोटि कोटि कण्ठ कलकल निनाद कराले।"

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