पूनम आज भले ही देश के लिए चर्चित चेहरा बन गई हों लेकिन उनका अतीत बड़े संघर्ष से गुज़रा है। पूनम यादव को यहां तक पहुंचने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ा है। आलम तो यह रहा है कि उनके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह दो वक्त की रोटी भी खा सकें। गरीबी उनके परिवार में पांव पसार कर बैठी थी।
पिता को बेचनी पड़ी थी भैंस
जानकार बताते हैं कि पूनम के खेल के लिए उनके पिता को अपनी भैंस तक बेचनी पड़ गई थी। जब उनकी लाडली ने ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता, तो उनके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वे अपनी खुशी बांटने के लिए मिठाई खरीद सकें।
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