Friday, 27 April 2018

निष्कलंक सीता की अग्निपरीक्षा ....
 बाईजी को कौन भारतीय राजनीति में स्थापित कर रहा था/है ..?देश को इसका कितना मूल्य चुकाना पड़ रहा था/है ?..शास्त्रीजी की हत्या में क्या इंदिरा/कामराज/KGB की तिकड़ी काम करी थी...?
 एक दृष्टिकोण ये भी
 स्वीडिश पुलिस प्रमुख ने बताया है कि क्वात्रोची को बचाने का हर संभव प्रयास गाँधी परिवार ने किया है।
यह बयान तमाम प्रश्नों को जन्म देता है --..क्या सोनिया, गाँधी परिवार में प्लांट की गयी है?संजय गाँधी, इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी की हत्याएं मात्र संयोग है या किसी साजिश का हिस्सा है!?
हम भावुक लोगों ने कभी इस पर गंभीरता से विचार ही नहीं किया। न कभी सत्ता शिखर पर बैठे लोगों ने इस पर विचार करने दिया। परन्तु अब समय है इन प्रश्नों पर गंभीरता से विचार किया जाय। इतिहास में अनेको उदाहरण महिलाओं को राज परिवारों में विचार पूर्वक स्थापित कर दूसरे राज्यों ने अपने हित साधन किये हैं। 
गाँधी परिवार की रहस्यमय हत्याएं इस दृष्टि से भी विचार करने की अपेक्षा करती है। पी एम हाउस में चार लोग हैं इंदिरा जी, राजीव जी, सोनिया जी, संजय जी एवं मेनका जी। देश की राजनीति में इंदिरा जी के बाद संजय जी महत्वपूर्ण भूमिका निबाह रहे थे।अकस्मात दुर्घटना में उनकी मृत्यु या उनकी हत्या हो जाती है। अब पी एम हाउस में चार लोग हैं --- तीन स्वदेशी एक विदेशी।
मेनका जी स्वदेशी महिला हैं संजय जी की पत्नी होने से उनका पी एम हाउस पर पकड़ है। उनको निकाल देने के बाद इंदिरा जी, राजीव जी राजनितिक व्यस्तताओं के कारण अधिकतर बाहर रहते हैं और पी एम हाउस पर पूरी पकड़ सोनिया जी की है उनके किसी भी चहेते के लिए पी एम हाउस खुला मैदान है।
इंदिरा जी की हत्या के लिए वह दिन चुना जाता है जिस दिन राजीव जी बाहर हैं। घर में सिर्फ सोनिया जी हैं।
जब किसी हस्ती का साक्षात्कार लिया जाता है तो उसकी विडिओग्राफी काफी प्रारंभ से होती है। जब इंदिरा जी लान की ओर बढ़ रही होगी तो उनकी विडिओग्राफी हो रही होगी। यदि उनके बॉडीगार्ड्स ने उनको गोलियाँ मारी होगी तो उसका विडिओ टेप होगा।उस विडिओ टेप को अदालत में क्यों नहीं पेश किया गया? कहीं वह विडिओग्राफी करने वाले ही तो शार्प शूटर नहीं थे?बॉडीगार्ड्स की हत्या करके इस कहानी को घुमा नहीं दिया गया है।
राजीव जी के रहते हुए सोनिया जी अपने नीति निर्देशकों के स्वार्थो को अमली जमा नहीं पहना सकती।इस लिए पेराम्ब्दुर में राजीव जी की हत्या होती है। क्या प्रियंका का राजीव जी के हत्यारों के प्रति दया का प्रदर्शन इस संदेह की पुष्टि नहीं करता है।
राजीव जी की हत्या के बाद अब सर्वेसर्वा सोनिया जी हैं।
देश में उनकी स्वीकार्यता पर शक है इसलिए यह प्रचार किया जाता है कि राजनीति में उनकी कोई रूचि नहीं लेकिन बहुत चतुराई से उनका महिमा मंडन किया जाता है। हर विदेशी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सोनिया जी से उनके निवास पर भेंट कराई जाती है...जबकि वे किसी भी संवैधानिक पद पर नहीं हैं....न तो वे नेता विपक्ष हैं, न प्रधानमंत्री हैं तो किस वजह से उनकी भेंटे करवाई जा रही थी? वे सिर्फ एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री की विधवा हैं,इस अधिकार से तो गायत्री देवी और ललिता शास्त्री से भी भेंट करनी चाहिए थी।
यदि सोनिया जी की रूचि राजनीति में नहीं थी तो कौन यह कार्य, किसके लाभ के लिए कर रहा था?...क्यों सोनिया जी इंदिरा जी की तरह चलने दिखने का अभ्यास कर रही थी? ...राजनीति में उनकी रूचि नहीं थी तो पहले ही अवसर पर वे राष्ट्रपति के पास फर्जी सूची लेकर क्यों पहुँच गयी?
ये सारे प्रश्न सोनिया जी की भूमिका, उनके संदिग्ध इटालियन संबंधो पर ऊँगली उठा रहे हैं। हमने तो निष्कलंक सीता की अग्निपरीक्षा ली थी....तो फिर देशहित में सोनिया जी की भूमिका की जाँच क्यों नहीं होनी चाहिए?
इंदिरा जी के भाग्य की अजीब दु:खद विडम्बना ---जिसे राजनीति के लिए तैयार किया वह हवाई जहाज चलाते हुए नहीं रहा, जिसे हवाई जहाज चलाने के लिए तैयार किया वह राजनीति करते हुए नहीं रहा।
Mahesh Sinha26/04/2012

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