धरती की सबसे लंबी नदियां
वे कई देशों को सींचती हैं. अरबों लोगों की प्यास बुझाती हैं. करोड़ो लोगो को इनसे प्रत्यक्ष/ अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है.. उनकी यात्रा अनंत काल से जारी है. जांनिये कुछ ऐसी ही दुनिया की सबसे लंबी नदियां.,...
वे कई देशों को सींचती हैं. अरबों लोगों की प्यास बुझाती हैं. करोड़ो लोगो को इनसे प्रत्यक्ष/ अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है.. उनकी यात्रा अनंत काल से जारी है. जांनिये कुछ ऐसी ही दुनिया की सबसे लंबी नदियां.,...
15. ब्रह्मपुत्र: 3,848 किलोमीटर
चीन, भूटान, भारत, बांग्लादेश
चीन, भूटान, भारत, बांग्लादेश
14. नाइजर: 4,200 किलोमीटर
नाइजीरिया, माली, नाइजर, अल्जीरिया, गिनी, कैमरून, बुर्कीना फासो, आइवरी कोस्ट, बेनिन, चाड
नाइजीरिया, माली, नाइजर, अल्जीरिया, गिनी, कैमरून, बुर्कीना फासो, आइवरी कोस्ट, बेनिन, चाड
13. मैकेंजी: 4,241 किलोमीटर
कनाडा
कनाडा
12. मेकॉन्ग: 4,350 किलोमीटर
चीन, म्यांमार, लाओस, कंबोडिया, थाइलैंड, वियतनाम
चीन, म्यांमार, लाओस, कंबोडिया, थाइलैंड, वियतनाम
11. लेना: 4,400 किलोमीटर
रूस
रूस
10. आमूर: 4,444 किलोमीटर
रूस, चीन, मंगोलिया
रूस, चीन, मंगोलिया
09. कॉन्गो: 4,700 किलोमीटर
डीपीआर कॉन्गो, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, अंगोला, कॉन्गो गणतंत्र, तंजानिया, कैमरून, जाम्बिया, बुरुंडी, रवांडा
डीपीआर कॉन्गो, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, अंगोला, कॉन्गो गणतंत्र, तंजानिया, कैमरून, जाम्बिया, बुरुंडी, रवांडा
08. पराना: 4,880 किलोमीटर
ब्राजील, अर्जेंटीना, पैराग्वे, बोलिविया, उरुग्वे
ब्राजील, अर्जेंटीना, पैराग्वे, बोलिविया, उरुग्वे
07. इरतिस: 5,410 किलोमीटर
रूस, कजाखस्तान, चीन, मंगोलिया
रूस, कजाखस्तान, चीन, मंगोलिया
06. येलो रिवर: 5,464 किलोमीटर
चीन
चीन
05. अंगारा: 5,539 किलोमीटर
रूस, मंगोलिया
रूस, मंगोलिया
04. मिसीसिपी: 6,275 किलोमीटर
अमेरिका, कनाडा
अमेरिका, कनाडा
03. यांगत्से: 6,300 किलोमीटर
चीन
चीन
02. नील: 6,853 किलोमीटर
इथोपिया, इरीट्रिया, सूडान, यूगांडा, तंजानिया, केन्या, रवांडा, बुरुंडी, मिस्र, डीपीआर कॉन्गो, दक्षिण सूडान
इथोपिया, इरीट्रिया, सूडान, यूगांडा, तंजानिया, केन्या, रवांडा, बुरुंडी, मिस्र, डीपीआर कॉन्गो, दक्षिण सूडान
01. अमेजन: 6,992 किलोमीटर
ब्राजील, पेरु, बोलिविया, कोलंबिया, इक्वाडोर, वेनेजुएला, गुयाना
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ब्राजील, पेरु, बोलिविया, कोलंबिया, इक्वाडोर, वेनेजुएला, गुयाना
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भारतीय_रेलवे_स्टेशन_बोर्ड पर ‘समुद्र_तल से ऊंचाई’ क्यों लिखा होता है
आप सभी ने कभी न कभी ट्रेन का सफ़र किया होगा और सफ़र करते समय रेलवे स्टेशन भी गए होंगे. क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि रेलवे स्टेशन पर बोर्ड लगा होता है जिस पर रेलवे स्टेशन का नाम और समुद्र तल से ऊंचाई (Mean Sea Level, MSL) जैसे की 200 मीटर, 310 मीटर आदि लिखा होता है. क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में समुद्र तल से ऊंचाई के बारे में रेलवे स्टेशन बोर्ड पर क्यों लिखा होता है, इसका क्या मतलब होता है, क्या ये यात्रियों की जानकारी के लिए लिखा जाता है या फिर कोई और वजह है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.
सबसे पहले यह अध्ययन करते है कि समुद्र तल से ऊंचाई (Mean Sea Level) का क्या मतलब होता है
जैसा की हम जानते हैं कि पृथ्वी गोल है, जिसके कारण पृथ्वी की सतह पर थोड़ा-थोड़ा कर्व आता है. अत: दुनिया को पृथ्वी की सतह से नापने के लिए एक ऐसे पॉइंट की जरुरत थी जो हमेशा एक समान रहे और समुद्र से बेहतर ऐसा कुछ नहीं था. इसे ऐसे भी कह सकते है कि वैज्ञानिकों को दुनिया की एक समान ऊंचाई नापने के लिए एक ऐसे पॉइंट की जरुरत होती है, जो एक समान रहे. इसके लिए समुद्र सबसे अच्छा विकल्प है और MSL की मदद से ऊंचाई की गणना करना बेहद सहज है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि समुद्र तल या समुद्र का पानी एक समान रहता है. MSL का इस्तेमाल सिविल इंजीनियरिंग में ज्यादातर किया जाता है, किसी बिल्डिंग या जगह की ऊंचाई नापने के लिए.
सबसे पहले यह अध्ययन करते है कि समुद्र तल से ऊंचाई (Mean Sea Level) का क्या मतलब होता है
जैसा की हम जानते हैं कि पृथ्वी गोल है, जिसके कारण पृथ्वी की सतह पर थोड़ा-थोड़ा कर्व आता है. अत: दुनिया को पृथ्वी की सतह से नापने के लिए एक ऐसे पॉइंट की जरुरत थी जो हमेशा एक समान रहे और समुद्र से बेहतर ऐसा कुछ नहीं था. इसे ऐसे भी कह सकते है कि वैज्ञानिकों को दुनिया की एक समान ऊंचाई नापने के लिए एक ऐसे पॉइंट की जरुरत होती है, जो एक समान रहे. इसके लिए समुद्र सबसे अच्छा विकल्प है और MSL की मदद से ऊंचाई की गणना करना बेहद सहज है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि समुद्र तल या समुद्र का पानी एक समान रहता है. MSL का इस्तेमाल सिविल इंजीनियरिंग में ज्यादातर किया जाता है, किसी बिल्डिंग या जगह की ऊंचाई नापने के लिए.
‘समुद्र तल की ऊंचाई’ (Mean Sea Level, MSL) भारतीय रेलवे स्टेशन बोर्ड पर क्यों लिखा होता है
क्या ये यात्रियों को बताने के लिए होता है. ऐसा बिलकुल नहीं है. ये जानकारी रेलवे ट्रेन के गार्ड और ड्राईवर के लिए होती है. उदाहरण से समझते है: अगर ट्रेन 200 मीटर समुद्र तल की ऊंचाई (MSL) से 250 मीटर समुद्र तल (MSL) की ऊंचाई पर जा रही है. तो ड्राईवर आसानी से यह निर्णय ले सकता है कि इस 50 मीटर की अधिक चढ़ाई को चढ़ने के लिए उसे इंजन को कितने torque की जरुरत पड़ेगी यानी इंजन को कितनी पॉवर देनी पड़ेगी. इससे ड्राईवर अंदाज़ा लगा सकता है. इसी प्रकार से अगर ये ट्रेन नीचे की और जाएगी तो नीचे आते वक्त ड्राईवर को कितना फ्रिक्शन लगाना पड़ेगा, या ड्राईवर को कितनी स्पीड बनाए रखने की जरुरत पड़ेगी. ये सब जानने के लिए समुद्र तल की ऊंचाई (MSL) लिखा जाता है.
इसके अलावा इसकी मदद से ट्रेन के ऊपर लगे बिजली के तारों को एक सामान ऊंचाई देने में भी मदद मिलती है. ताकि बिजली के तार ट्रेन के तारों से हर समय टच होते रहें अर्थार्त बिजली के तारों से कनेक्शन बनाए रखने में मदद करता है.
तो आप समझ गए होंगे की भारतीय रेलवे स्टेशन बोर्ड पर ‘समुद्र तल की ऊंचाई’ या Mean Sea Level, MSL क्यों लिखा होता है और इसका क्या मतलब होता...
इसके अलावा इसकी मदद से ट्रेन के ऊपर लगे बिजली के तारों को एक सामान ऊंचाई देने में भी मदद मिलती है. ताकि बिजली के तार ट्रेन के तारों से हर समय टच होते रहें अर्थार्त बिजली के तारों से कनेक्शन बनाए रखने में मदद करता है.
तो आप समझ गए होंगे की भारतीय रेलवे स्टेशन बोर्ड पर ‘समुद्र तल की ऊंचाई’ या Mean Sea Level, MSL क्यों लिखा होता है और इसका क्या मतलब होता...
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