Sunday 29 April 2018


 
हिंदू समाज विश्व का सबसे अधिक संगठित समाज है और यह लाखों वर्षों से सुसंगठित रहा है .साथ ही यह विश्व का सर्वाधिक समृद्ध समाज है. इसमें इतना कम भेदभाव है कि विश्व के अन्य समाजों की तुलना में यह एक आदर्श समाज है.
भारतवर्ष में अनेक संगठन हैं जो इन दिनों हिंदू समाज की मुख्य समस्या इसके संगठन का ना होना मानते हैं और उसके संगठन के लिए कार्यरत हैं .वह संसार के किस समाज से तुलना करके हिंदू समाज को संगठित बताते हैं ,, यह पता नहीं.
विश्व के जितने भी समाज हैं उन से तुलना करके देखिए तो इस समय ईसाइयत और इस्लाम सबसे बड़े होने का दावा करते हैं ईसाईयत के संगठन का यह हाल है कि उसमें 50 से अधिक महत्वपूर्ण पंथ एक दूसरे के खून के प्यासे रहे हैं और उनके झगड़ों से समाज को बचाने के लिए ही यूरोप में सेकुलर स्टेट की बात उठी अर्थात राज्य किसी एक ईसाई पंथ का पक्ष नहीं लेगा यद्यपि इसके साथ ही यूरोप का प्रत्येक नेशन स्टेट ईसाईयत के किसी ना किसी पंथ को विशेष संरक्षण देता है और शिक्षा तथा न्याय का आधार उसी पंथ की आस्थाओं और मान्यताओं को बनाता है तथा उसे ही राजधर्म घोषित करता है।
उदाहरण के लिए इंग्लैंड प्रोटेस्टेंट ईसाईयत को अपना राजधर्म घोषित किए हुए हैं स्पेन तथा इटली कैथोलिक ईसाईयत को राजधर्म घोषित किए हुए हैं ,अनेक अन्य देश लूथेरियन इसाइयत को तथा कुछ अंय देश आर्थोडॉक्स ईसाईयत को अपना राजधर्म घोषित किए हैं और उनकी न्याय व्यवस्था तथा शिक्षा में उसी इसाई पंथ का विशेष स्थान है ।यही कारण है कि ईसाईयों का कोई एक राज्य आज तक नहीं बन सका है .50 से अधिक राज्यों में ईसाई समाज बटा हुआ है और प्रत्येक राज्य की अलग-अलग मान्यताएं हैं और उनमें परस्पर बड़ी भिन्नता है .इसके साथ ही स्वयं प्रत्येक राज्य के भीतर अनेक प्रकार की आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक विषमताएं हैं और उनमें जबरदस्त भेदभाव है .
इसी प्रकार मुस्लिम समाज में भयंकर विषमता है और वस्तुतः इस्लाम का इतिहास ही अलग-अलग कबीलोंकी आपसी लड़ाई का इतिहास है जिनमें एक कबीला दूसरे कबीले को पूरी तरह साफ कर डालने की कोशिश करता रहा है और लूट के माल में तथा अन्य समाजों के प्रति कठोरता और क्रूरता के विषय में उनमें आम सहमति हैं परंतु आपसी व्यवहार में भयंकर विषमताएं हैं.
रामेश्वर मिश्र पंकज

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