I M P ...कठुआ का जघन्य बलात्कार काण्ड
- आईएसआई द्वारा लिखित पटकथा अनुसार सामाजिक खाई बढ़ाने में जुटा मीडिया ...
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विख्यात पत्रकार मधु किश्वर ने ट्विटर पर कुछ सवाल उठाये हैं, उनका भी अवलोकन करना चाहिए | मधु जी के कथन का लब्बोलुआब यह है कि आसिफा प्रकरण में मीडिया को चटखारे लेना बंद करना चाहिए । जम्मू के वकीलों को जिस प्रकार बदनाम किया जा रहा है, उस विषय में उन्होंने जम्मू के वरिष्ठ वकीलों से बात की। वकीलों ने साफ़ किया कि वे बलात्कारी और हत्यारों का कतई बचाव नहीं कर रहे हैं, लेकिन गिलानी और हुर्रियत के इशारे पर पीडीपी द्वारा जो गंदा राजनीतिक खेल खेला जा रहां हैं, उसके विरुद्ध हैं |
जघन्य बलात्कार और हत्या से कोई इंकार नहीं कर रहा, किन्तु जम्मूवासी इसलिए आक्रोशित हैं, क्योंकि एसआईटी से जम्मू के अधिकारियों को बाहर रखा गया है और गीलानी के नजदीकी इन्स्पेक्टर वानी को जांच सोंपी गई है, जो पूर्व में एक हिन्दू लड़की के बलात्कार और उसके भाई की हिरासत में ह्त्या के आरोप में जेल भी भेजा गया था |
आसिफा केस को जिस प्रकार साम्प्रदायिक रंग दिया गया है, उससे भी जम्मू के हिंदू आहत हैं और उससे बाहर निकलना चाहते हैं | हिंदुओं का कहना है कि जब उन्होंने कभी कश्मीरी अलगाववादी मुसलमानों पर हमला नहीं किया, तो भला बकरवालों पर क्यों करने लगे?
यह भी ध्यान देने योग्य है कि अनगिनत अलगाववादी कश्मीरी मुसलमानों ने जम्मू क्षेत्र में बड़ी तादाद में संपत्ति खरीदी है, और वह भी घाटी से कश्मीरी हिंदुओं के नर संहार के बाद । स्पष्ट ही उसके पीछे उनकी पाकिस्तान परस्ती है - जम्मू के हिन्दुओं ने कभी उन कश्मीरी मुसलमानों पर कभी आक्रमण नहीं किया | उनका मानना है कि इस बार भी गिलानी समूह के इशारे पर यह झूठी कथा रची गई है |
जम्मू के वकीलों और सामान्य हिन्दुओं को एक साजिश के तहत फंसाया जा रहा है, ताकि वे तीन प्रमुख मुद्दे भुला दिए जाएँ, जिन पर वे लगातार जोर देते आ रहे हैं –
1) उनकी प्रमुख मांग है कि रोहिंग्या मुस्लिमों को जम्मू से निष्कासित कर दिया जाए, क्योंकि वे जेहादी नेटवर्क का हिस्सा हैं। रोहिंगिया मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए यह झूठा कथानक रचा गया है |
2) पीडीपी सरकार ने हाल ही में अधिसूचना जारी की है कि रोहिंग्याओं द्वारा अतिक्रमण की गई भूमि पर वे ही काबिज रहेंगे, उस भूमि पर कोई और दावा नहीं कर सकता । जम्मू क्षेत्र के लोग, पीडीपी और हुर्रियत के संरक्षण में हो रहे इस इस अतिक्रमण के कारण गुस्से में है। आसिफा मामले का उपयोग उनके विरोध को दबाने का एक तरीका, एक साजिश तो नहीं ?
3) पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में बकरवाल कथित तौर पर पाकिस्तान से नशीले ड्रग की तस्करी में लगे हुए हैं। डोगराओं को लगता है कि उनके बच्चों को नशे का आदी बनाया जा रहा है, इसके चलते वे चिढ़े हुए हैं । आईएसआई-हुर्रियत इस क्षेत्र में अपने पंख फैलाने के लिए यहाँ के जनसांख्यिकीय अनुपात को बदलना चाहते है, ताकि जम्मू में भी हिंदू अल्पसंख्यक बन जायें।
और सबसे मुख्य बात कि पीडीपी अगले चुनाव में जम्मू क्षेत्र से अधिक सीटें जीतना चाहती है, और इसके लिए उन्हें किसी भी गठबंधन साथी की ज़रूरत नहीं है। मेहबूबा की रणनीति, मुस्लिम गुर्जरों, बकरवाल आदि परंपरागत कश्मीरी मुसलमानों के माध्यम से जीतने की हैं। हुर्रियत भी इस योजना में पूरी तरह से उनकी सहयोगी है |
यह कितने दुख की बात है कि राष्ट्रीय मीडिया भी जम्मू क्षेत्र के साथ इस प्रकार के तिरस्कार का व्यवहार कर रहा है | क्या यह न्यायोचित है कि आठ वर्षीय वालिका आसिफा के साथ हुए भयावह बलात्कार और उसकी जघन्य हत्या का इस्तेमाल कर इस प्रकार का भयावह राजनीतिक खेल खेला जाए? मेहबूबा और तृणमूल की ममता में कोई अंतर नहीं है |
राहुल कँवल जैसे बड़े पत्रकार ने जम्मू के वकीलों को सुनने से भी मना कर दिया | इससे साफ़ प्रतीत होता है कि हमारा राष्ट्रीय मीडिया भी वही स्क्रिप्ट पढ़ रहा है, जो आईएसआई ने लिखी है । यह भारत के लिए जीवन और मरण का प्रश्न है |
और अब ताजा समाचार कि मेहबूबा मुफ्ती ने कल पीडीपी विधायकों की बैठक बुलाई है। संभवत: वह उन दो भाजपा के मंत्रियों को बर्खास्त करने जा रही है, जिन्होंने अपराध शाखा की रिपोर्ट को चुनौती दी और कठुआ मामले की सीबीआई जांच की मांग की – अगर यह हुआ तो इसका अर्थ होगा गठबंधन सरकार का पतन और राष्ट्रपति शासन और नए चुनाव ।
मेहबूबा का भाई तसद्दुक पहले ही गठबंधन के टूटने की पूर्व भूमिका बना चुका है, जब उसने मीडिया से यह कहा कि "पीडीपी-बीजेपी अपराध में भागीदार हैं। [जिसके लिए] कश्मीरियों को रक्त से भुगतान करना पड़ सकता है"| पीडीपी स्पष्ट रूप से चुनाव की तैयारी में जुट चुकी है और उनका मानना है कि यह ध्रुवीकरण उन्हें जम्मू में भी बहुमत प्रदान करने में मदद करेगा |
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इन दिनों कर्नाटक चुनाव में व्यस्त है, जो उनके लिए जीवन और मृत्यु की लड़ाई जैसा बन चुका है । इसलिए स्वाभाविक ही वे जम्मू-कश्मीर संकट पर ध्यान देने की स्थिति में नहीं हैं । ऐसे में गठबंधन से बाहर निकलने वाली पीडीपी, भाजपा को शहीद बना रही है । मेहबूबा आग से खेल रही है|
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कठुआ प्रकरण - एक मनगढ़ंत कहानी
मुख्य आरोपी का बेटा मेरठ में परीक्षा छोड़कर बलात्कार करने गाँव आया था ऐसा कश्मीरी पुलिस का कहना है , किन्तु 12 जनवरी की परीक्षा की हाजिरी का फोटो प्रस्तुत है, जिसके बारे में महबूबा मुफ़्ती की पुलिस का कहना है कि कॉलेज ने फर्जी हाजिरी बना ली ! अर्थात विशाल जन्गोत्रा नाम का एक छात्र इतना शक्तिशाली था कि पूरे कॉलेज को उसने बलात्कार में सहयोग देने के लिए विवश कर दिया और अन्य छात्रों को भी फर्जी हस्ताक्षर करने के लिए विवश कर दिया !! ऐसा था तो उन सबको पुलिस ने बलात्कारी का सहयोग करने के आरोप में अभियुक्त क्यों नहीं बनाया ? हाजिरी में छठा स्थान विशाल जन्गोत्रा का है | फर्जी हाजिरी नहीं, बल्कि कश्मीरी SIT की रिपोर्ट फर्जी है | अतः सीबीआई द्वारा जांच आवश्यक है जिसके लिए महबूबा तैयार नहीं है | हिन्दू संगठनों ने भी देशव्यापी नहीं छेड़ा तो भाजपा भी सीबीआई जाँच का प्रयास नहीं करेगी क्योंकि महबूबा को नाराज नहीं करना है
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जघन्य बलात्कार और हत्या से कोई इंकार नहीं कर रहा, किन्तु जम्मूवासी इसलिए आक्रोशित हैं, क्योंकि एसआईटी से जम्मू के अधिकारियों को बाहर रखा गया है और गीलानी के नजदीकी इन्स्पेक्टर वानी को जांच सोंपी गई है, जो पूर्व में एक हिन्दू लड़की के बलात्कार और उसके भाई की हिरासत में ह्त्या के आरोप में जेल भी भेजा गया था |
आसिफा केस को जिस प्रकार साम्प्रदायिक रंग दिया गया है, उससे भी जम्मू के हिंदू आहत हैं और उससे बाहर निकलना चाहते हैं | हिंदुओं का कहना है कि जब उन्होंने कभी कश्मीरी अलगाववादी मुसलमानों पर हमला नहीं किया, तो भला बकरवालों पर क्यों करने लगे?
यह भी ध्यान देने योग्य है कि अनगिनत अलगाववादी कश्मीरी मुसलमानों ने जम्मू क्षेत्र में बड़ी तादाद में संपत्ति खरीदी है, और वह भी घाटी से कश्मीरी हिंदुओं के नर संहार के बाद । स्पष्ट ही उसके पीछे उनकी पाकिस्तान परस्ती है - जम्मू के हिन्दुओं ने कभी उन कश्मीरी मुसलमानों पर कभी आक्रमण नहीं किया | उनका मानना है कि इस बार भी गिलानी समूह के इशारे पर यह झूठी कथा रची गई है |
जम्मू के वकीलों और सामान्य हिन्दुओं को एक साजिश के तहत फंसाया जा रहा है, ताकि वे तीन प्रमुख मुद्दे भुला दिए जाएँ, जिन पर वे लगातार जोर देते आ रहे हैं –
1) उनकी प्रमुख मांग है कि रोहिंग्या मुस्लिमों को जम्मू से निष्कासित कर दिया जाए, क्योंकि वे जेहादी नेटवर्क का हिस्सा हैं। रोहिंगिया मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए यह झूठा कथानक रचा गया है |
2) पीडीपी सरकार ने हाल ही में अधिसूचना जारी की है कि रोहिंग्याओं द्वारा अतिक्रमण की गई भूमि पर वे ही काबिज रहेंगे, उस भूमि पर कोई और दावा नहीं कर सकता । जम्मू क्षेत्र के लोग, पीडीपी और हुर्रियत के संरक्षण में हो रहे इस इस अतिक्रमण के कारण गुस्से में है। आसिफा मामले का उपयोग उनके विरोध को दबाने का एक तरीका, एक साजिश तो नहीं ?
3) पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में बकरवाल कथित तौर पर पाकिस्तान से नशीले ड्रग की तस्करी में लगे हुए हैं। डोगराओं को लगता है कि उनके बच्चों को नशे का आदी बनाया जा रहा है, इसके चलते वे चिढ़े हुए हैं । आईएसआई-हुर्रियत इस क्षेत्र में अपने पंख फैलाने के लिए यहाँ के जनसांख्यिकीय अनुपात को बदलना चाहते है, ताकि जम्मू में भी हिंदू अल्पसंख्यक बन जायें।
और सबसे मुख्य बात कि पीडीपी अगले चुनाव में जम्मू क्षेत्र से अधिक सीटें जीतना चाहती है, और इसके लिए उन्हें किसी भी गठबंधन साथी की ज़रूरत नहीं है। मेहबूबा की रणनीति, मुस्लिम गुर्जरों, बकरवाल आदि परंपरागत कश्मीरी मुसलमानों के माध्यम से जीतने की हैं। हुर्रियत भी इस योजना में पूरी तरह से उनकी सहयोगी है |
यह कितने दुख की बात है कि राष्ट्रीय मीडिया भी जम्मू क्षेत्र के साथ इस प्रकार के तिरस्कार का व्यवहार कर रहा है | क्या यह न्यायोचित है कि आठ वर्षीय वालिका आसिफा के साथ हुए भयावह बलात्कार और उसकी जघन्य हत्या का इस्तेमाल कर इस प्रकार का भयावह राजनीतिक खेल खेला जाए? मेहबूबा और तृणमूल की ममता में कोई अंतर नहीं है |
राहुल कँवल जैसे बड़े पत्रकार ने जम्मू के वकीलों को सुनने से भी मना कर दिया | इससे साफ़ प्रतीत होता है कि हमारा राष्ट्रीय मीडिया भी वही स्क्रिप्ट पढ़ रहा है, जो आईएसआई ने लिखी है । यह भारत के लिए जीवन और मरण का प्रश्न है |
और अब ताजा समाचार कि मेहबूबा मुफ्ती ने कल पीडीपी विधायकों की बैठक बुलाई है। संभवत: वह उन दो भाजपा के मंत्रियों को बर्खास्त करने जा रही है, जिन्होंने अपराध शाखा की रिपोर्ट को चुनौती दी और कठुआ मामले की सीबीआई जांच की मांग की – अगर यह हुआ तो इसका अर्थ होगा गठबंधन सरकार का पतन और राष्ट्रपति शासन और नए चुनाव ।
मेहबूबा का भाई तसद्दुक पहले ही गठबंधन के टूटने की पूर्व भूमिका बना चुका है, जब उसने मीडिया से यह कहा कि "पीडीपी-बीजेपी अपराध में भागीदार हैं। [जिसके लिए] कश्मीरियों को रक्त से भुगतान करना पड़ सकता है"| पीडीपी स्पष्ट रूप से चुनाव की तैयारी में जुट चुकी है और उनका मानना है कि यह ध्रुवीकरण उन्हें जम्मू में भी बहुमत प्रदान करने में मदद करेगा |
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इन दिनों कर्नाटक चुनाव में व्यस्त है, जो उनके लिए जीवन और मृत्यु की लड़ाई जैसा बन चुका है । इसलिए स्वाभाविक ही वे जम्मू-कश्मीर संकट पर ध्यान देने की स्थिति में नहीं हैं । ऐसे में गठबंधन से बाहर निकलने वाली पीडीपी, भाजपा को शहीद बना रही है । मेहबूबा आग से खेल रही है|
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