Monday, 9 April 2018


दलित शब्द एक भारत विखंडन की आइडियोलॉजी है जिसकी संकल्पना 1972 के अमेरिका के देश विरोधी ब्लैक पैंथर पार्टी के आइडियोलॉजी से उधार ली गयी थी। अमेरिका में ब्लैक पैंथर पार्टी को उन्होंने एन्टी नेशनल घोसित किया। परंतु भारत मे उन्हीं ईसाइयों ने इस बीज को रोपा।
मीडिया को मैनेज करके हवा से एक नेता पैदा किया गया जो था तो पंजाब का। लेकिन सफल उत्तर प्रदेश में हुवा।
1985 के आस पास एक अनजान महिला ने कहीं कोने 
अतरे में बोला - कि यदि हम "भगवान की औलाद" ( #हरिजन ) हैं तो गांधी क्या शैतान की औलाद था ? जिसको बिकाऊ प्रॉस्टिट्यूट मीडिया ने प्रथम पेज पर छापा। आज हमको पता है कि मीडिया के मॉलिक बिकाऊ मौसिया हैं, और उनके एडिटर और एंकर या पत्तरकर उनके #इंटेलेक्चुअल_प्रोस्टिट्यूट्स हैं।
ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि गांधी स्वयम को वैष्णव घोसित करते आये थे और वर्ण धर्म आश्रम के हिमायती थे।
बाद में हरिजन का विरोध करने वाले #बहुजन का चोला धारण किये। पूँछिये उनसे कि जो भी इस शब्द का प्रयोग करते हैं कि यदि हरिजन का अर्थ हरामी की संतान होता है तो बहुजन का क्या अर्थ है ? कितने बाप हैं उनके ?
उसी समय #दलित शब्द की स्थापना की गई। मीडिया might और मैनीपुलेशन के द्वारा इस भारत विखण्डक आइडियोलॉजी और शब्द को पॉपुलर किया गया। इसमें विदेशी और देशी चोट्टे ईसाइयों का हाँथ था - क्योंकि उनको एक बहुत बड़ा वर्ग भारत के विरुद्ध ईसाई बनाने के लिए मिल रहा था। इसका प्रमाण है कि प्रयाग में एक ईसाई स्कूल सेंट जोजेफ के प्ले ग्राउंड में काशीराम की पोलिटिकल पार्टी का सम्मेलन होता था - जबकि ये संस्थान किसी अन्य पोलिटिकल पार्टी को आज तक अनुपलब्ध है।
एक आह्वान है कि जहां भी आपको मौका मिले - दलित शब्द के प्रयोग का विरोध कीजिये। क्योंकि भारत के अनुशुचित आयोग ने इस शब्द को असंवैधानिक घोसित किय्या है। आपको हर उस व्यक्ति और संस्था को विरोध करना है जो #दलित जैसा भारत विखण्डक शब्द का प्रयोग करे।
कुमार अवधेश सिंह

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