Sunday, 6 December 2015

हिंदूस्तान की न्यायप्रणाली की चेष्टा तो देखो....
ISIS का आतंकवादी "अरीब मजीद" ये स्विकार कर चुका है की अकबरूद्दीन औवैसी के भाषणों को सुन सुनकर ही वो जिहाद के लिए प्रेरित हुवा । इतना ठोस प्रमाण होने के उपरांत भी क्या इस जिहादी बनाने की फॅक्टरी, अकबरूद्दीन औवैसी पर हमारी न्यायव्यवस्था ने कुछ कार्यवाही की? 
क्या सुव्वरीद्दीन को इस जिहादी का उत्तरदायी मानकर इसे धर दबोचा? दुर्भाग्यवश इसका उत्तर "नही" ऐसा है। दुसरी ओर....... न्यायालय मे गांधीबाबा का छायाचित्र टांगकर सत्यमेव जयते का सुगम संदेश देने वाली हमारी न्यायव्यवस्था ने हिंदूराष्ट्र सेना के धनंजय (भाई) देसाई जी को भडकाऊ भाषण वाले पत्रक बाटने के केवल आरोपो के आधार पर गत सोलह महीनो से येरवडा कारागृह मे बंदी बनाकर रखा है। और इन मे सब से महत्वपूर्ण पहलू ये है की गांधीबाबा का छायाचित्र टांगकर न्याय करने वाला.......
● हमारा न्यायालय आज तक, अब तक ये सिद्ध नही कर पाया है की वो पत्रक धनंजय भाई देसाईजी ने स्वयम् वितरित किये है या नही? प्रसिद्ध किये है या नही? देसाई जी उस स्थान पर स्वयम् उपस्थित थे या नही?  देसाई जी के आदेश पर वितरित किये गये है या नही?
 सभी प्रश्न के उत्तर केवल और केवल "ना" यही है। किंतु इस देश को भगवान बुद्ध और गांधीबाबा का देश मानने वाले न्यायालय का न्याय तो देखो कितना "सत्यमेव जयते" है। यहाँ आरोप सिद्ध सलमान खान का कोई भी सिनेमा सैकडो करोडो की कमाई करता है और उसकी ब्रेकींग न्यूज भी बन जाती है। किंतु धनंजय भाई देसाईजी, साध्वी प्रज्ञाजी, कर्नल पुरोहितजी पर हो रहे अन्याय के विरोध मे कोई भी माई का लाल (सोल्ड मिडीया) न्युज चॅनल चुं तक नही करता।

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