Monday, 7 December 2015

जेहाद फैक्टरी पर फिर टिका दुनिया का ध्यान

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पाकिस्तानी मूल के दंपति के कैलिफोर्निया में गोलीबारी को अंजाम देने की घटना ने पाकिस्तान और इसके मदरसों में पढ़ाए जा रहे चरमपंथ की तरफ ध्यान खींचा है।
पाकिस्तानी मूल के दंपति के कैलिफोर्निया में गोलीबारी को अंजाम देने की घटना ने पाकिस्तान और इसके मदरसों में पढ़ाए जा रहे चरमपंथ की तरफ ध्यान खींचा है। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि पाकिस्तानी नागरिक तशफीन मलिक (27) और उसके पाकिस्तानी-अमेरिकी पति रिजवान फारुक (28) के पाकिस्तान की कुख्यात लाल मस्जिद के धर्मगुरु मौलाना अब्दुल अजीज से संबंध थे। इन संबंधों से जुड़ी सूचना को लंदन में अमेरिकी अधिकारियों ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ से साझा किया है।
तशफीन का जन्म पाकिस्तान में हुआ था लेकिन उसका ज्यादातर समय सऊदी अरब में बीता। वह मुल्तान में बहाउद्दीन जकारिया यूनिवर्सिटी में फार्मेसी की पढ़ाई करने के लिए 2010 में पाकिस्तान लौटी थी। पाकिस्तानी मीडिया ने भी संदिग्ध हमलावर और लाल मस्जिद के कट्टरपंथी इस्लामी धर्मगुरु के बीच संबंधों के बारे में खबरें दीं। एआरआइ न्यूज ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से कहा कि तशफीन इस्लामाबाद की लाल मस्जिद के साथ संपर्क में थी। उसने कहा कि जांच अधिकारियों को तशफीन की तस्वीरें मिली हैं जिनमें उसे लाल मस्जिद के धर्मगुरु मौलाना अब्दुल अजीज के साथ देखा जा सकता है। पाकिस्तानी दूतावास ने यहां एक बयान में उम्मीद जताई कि यह जांच अपराधियों को शीघ्र न्याय के दायरे में लाने में अधिकारियों की मदद करेगी।

बहरहाल, उसने संदिग्ध हमलावर और जेहादी मौलाना के बीच किसी प्रकार के संबंधों का कोई जिक्र नहीं किया। ‘लॉस एंजिलिस टाइम्स’ ने कहा कि पाकिस्तान में अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या तशफीन के इस्लामी आतंकवादी संगठनों के साथ कोई संबंध थे। अधिकारियों ने बताया था कि तशफीन ने फेसबुक पर आइएस के एक नेता के साथ वफादारी का संकल्प लिया था। अखबार में कहा गया है कि खुफिया एजंटों ने पंजाब के लैया जिले में मलिक के निकट संबंधियों से पूछताछ की है जिसे पाकिस्तानी खुफिया एजंटों के अनुसार आतंकवादी संगठनों की एक नर्सरी माना जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार तशफीन लैया जिले के करोर लाल इसान में एक शिक्षित व राजनीतिक रूप से प्रभावशाली परिवार से संबंध रखती थी। उसके पिता के रिश्ते के भाई मलिक अहमद अली औलख 2008 से 2013 तक प्रांतीय मंत्री रहे थे। परिवार को अच्छी तरह जानने वाले स्थानीय निवासी जाहिद गिशकोरी ने अमेरिकी अखबार से कहा कि इस परिवार की अतिवादियों के रूप में पहचान थी और करोर में तशफीन के परिवार के कुछ सदस्य सांप्रदायिक गतिविधियों में भी शामिल रहे थे।
ऐसा बताया जाता है कि तशफीन का परिवार सुन्नी इस्लाम के बरेलवी फिरके का अनुयायी है जिसे आतंकवाद के बजाए अध्यात्म की ओर ज्यादा झुकाव के लिए जाना जाता है। लेकिन सूत्रों ने बताया कि ऐसी संभावना है कि अपने जीवन का ज्यादातर समय सऊदी अरब में बिताने के बाद तशफीन ने इस्लाम के सलाफी-वहाबी फिरके को अपना लिया था।

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