Monday, 7 December 2015





 हाल ही में शिवपुरी शहर में एक शिवलिंग को क्षतिग्रस्त कर दिया गया !  पुलिस द्वारा दो आरोपियों को नामजद कर गिरफ्तार भी कर लिया ! आरोपी शहर के फतेहपुर क्षेत्र के निवासी   सुरेश धाकड़ और लल्लू जाटव बताये जाते है !  लल्लू जाटव नामक  व्यक्ति ने यह भी कबूल किया है कि पिछले दिनों शहर में बाबा साहेब आंबेडकर की मूर्ती भी उसने ही तोड़ी थी, जिसके उपरान्त दलित समाज के नेताओं ने सभा कर कर के सवर्ण समाज के लोगों पर निशाना साधा था और शांत नगरी शिवपुरी की हवाओं में जहर घोलने की तमाम कोशिशें भी की ! 

 घटना से  दो दिन पूर्व ही शिवपुरी जिले की करैरा तहसील में किले के अन्दर शिव मंदिर में नंदी की मूर्ती को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया था ! इस मामले में अभी तक किसी का नाम सामने नहीं आया है और न ही किसी की गिरफ्तारी हुई है उलटे विरोध प्रदर्शन करनेवाले हिन्दू संगठनों से जुड़े लोगों पर जरूर कार्यवाही की चर्चाएँ चल रही है !

 यदि हम थोडा पीछे जाएँ तो एक ऐसा घटनाक्रम भी शिवपुरी जिले में हो चुका है जिसने पूरे प्रदेश को ही नहीं बल्कि पूरे देश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया था कि क्या हिन्दुओं का ब्रेनवाश कर हिन्दुओं को हिन्दुओं के विरुद्ध लड़ाने और देश का माहौल ख़राब करने का षड़यंत्र तो नहीं किया जा रहा ? आखिर कौन लोग है इसके पीछे ? 

 पिछले वर्ष अगस्त माह में शिवपुरी जिले के खनियाधाना कस्बे में पुलिस ने ग्राम बुकर्रा व छिरवाहा में दो युवकों पर धर्म परिवर्तन करने के मामले में केस दर्ज किया था ! पुलिस का कहना था कि प्रारंभिक जांच में जो बात निकल कर सामने आई उसके मुताबिक ऐसा प्रतीत हो रहा था कि दोनों युवकों को धर्म परिवर्तन के लिए लालच दिया गया था ! खनियाधाना क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय द्वारा धन का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने का समाचार स्थानीय समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया !  मामला तब उजागर हुआ जब धर्म परिवर्तन करने वाले एक व्यक्ति को निर्धारित पैसा नहीं दिया गया ! शपथ पत्र थाने में देकर उसने पुनः अपना धर्म वापस अपनाने की बात कही ! धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों के विरुद्ध तो मामला दर्ज कर लिया गया, लेकिन आज कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं की गई , दिया जाने वाला पैसा आता कहाँ से है, तथा वे लोग कौन हैं जो इस कृत्य में संलिप्त हैं ! स्थानीय लोगों के अनुसार इस सम्पूर्ण प्रकरण में खनियाधाना निवासी नीलू पुत्र वही दुल हक़ कुर्रेशी, बिलाल पुत्र इनायत अली “फूल”, तथा मुन्नाखान अकाझिरी बाले का नाम सामने आया था !

जिस प्रकार खनियाधाना में धन का लालच देकर धर्म परिवर्तन का षडयंत्र रचा गया, ठीक उसी प्रकार कहीं लल्लू जाटव को भी बहला फुसलाकर, लालच देकर तो मूर्ती तोड़ने के लिए नहीं उकसाया गया ? अन्यथा उसने ऐसा किया क्यों ? यह एक ऐसा प्रश्न है, जिससे प्रशासन नजरें चुरा रहा है ! अगर लल्लू जाटव को उकसाने वाले तत्वों को बेनकाब नहीं किया गया, तो एक के बाद एक कभी कल्लू तो कभी लल्लू के माध्यम से इस प्रकार की उन्माद भड़काने वाली कार्यवाहियां जारी रहेंगी और शिवपुरी के शांत वातावरण में जहर घुलता रहेगा ! और यह जहर न केवल शिवपुरी वरन सम्पूर्ण प्रदेश तथा अंचल में अपना असर दिखाएगा |
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क्या कोई कल्पना कर सकता है कि गणेश जी को मोदक इसलिए प्रिय हैं, क्योंकि उनका आकार स्त्री के स्तनों जैसा होता है ? और गणेश जी न केवल महिलाओं के प्रति आसक्त थे, बल्कि अपनी माँ पर भी बुरी नजर रखते थे | यह अद्भुत जानकारी दी गई मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर में आयोजित एक व्याख्यान में, जिसका विषय था “धार्मिक संवाद समय की आवश्यकता” | और जिन विद्वान् वक्ता का व्याख्यान हुआ, वे थे दिल्ली विश्व विद्यालय के प्रोफ़ेसर अशोक बोहरा | 

प्रोफ़ेसर बोहरा इतने पर ही नहीं रुके उन्होंने गणेश जी को नपुंसक, किन्नर एवं समलेंगिक निरूपित किया | उन्होंने हिन्दू मूर्तियों को शैतान जैसी दिखने वाली बताया | शिवलिंग को तीव्र भोगवासना का प्रतीक तथा हिन्दू धर्म के उपासकों को पोंगा पंथी बताते हुए मंदिरों व देवी देवताओं पर घिनौनी, अशोभनीय एवं लज्जाजनक टिप्पणियाँ कीं |

सभागार में मौजूद संस्कृत के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं विश्व विद्यालय प्रबंध मंडल के सदस्य प्रो. नीरज शर्मा तथा अतिथि विधि व्याख्याता डॉ. सुरेन्द्र कुमार जाखड ने बालिकाओं तथा महिलाओं से भरे सभागार में हिन्दू देवी देवताओं पर अश्लील टिप्पणियों को असहनीय, अनैतिक, घोर निंदनीय बताते हुए, विश्व विद्यालय जैसे बड़े व प्रतिष्ठित मंचों का इस प्रकार हिन्दू धर्म के प्रति घृणा फैलाने के लिए उपयोग किये जाने पर आपत्ति जताई तथा प्रोफेसर बोहरा के भाषण को विषय से परे बताया | इसपर कार्यक्रम की प्रमुख आयोजक दर्शन शास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर सुधा चौधरी ने उलटे इन लोगों को ही झिड़की लगाईं व बैठ जाने को कहा |

हैरत की बात यह है कि यह विकृत और घृणित विचार सुनने के लिए सभागार में बड़ी संख्या में विश्व विद्यालय की छात्राओं को भी वहां एकत्रित किया गया था | जिनमें से अधिकाँश छात्राएं जनजाति वर्ग एवं ग्रामीण पृष्ठभूमि की थीं | निजी महाविद्यालय गुरू नानक कन्या महाविद्यालय से भी छात्राओं को महाविद्यालय की बस में बैठाकर आयोजकों द्वारा योजनापूर्वक लाया गया था | स्पष्टतः आयोजकों की मंशा ग्रामीण अंचल की अनुसूचित जनजाति की वालिकाओं के मन में हिन्दू धर्म के प्रति घृणा पैदा कर धर्मांतरण का आधार तैयार करना था | स्मरणीय है कि राजस्थान में कथित तौर पर हिंदूवादी मानी जाने वाली भाजपा की सरकार है |

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