Tuesday, 26 January 2016

  • जम्‍मू-कश्‍मीर में 11 दिनों के अंतराल में 10 आतंकियों को मौत के घाट उतारने वाले लांसनायक मोहन नाथ गोस्‍वामी (मरणोपरांत) को शांतिकाल के देश के सर्वोच्‍च सैन्‍य अवॉर्ड अशोक चक्र से सम्‍मानित किया गया।
    2 सितंबर 2015 को लांसनायक गोस्‍वामी की कुपवाड़ा जिले के हाफरुदा जंगल में छुपे आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई। दोनों पक्षों के बीच हुई गोलीबारी में लांस नायक गोस्‍वामी के दो साथी जवान घायल हो गए। उन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए खुद घायल होने के बावजूद अपने साथियों की जान बचाई। भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा का पालन करते हुए लांसनायक गोस्‍वामी ने अपनी चोटों की परवाह नहीं करते हुए देश के लिए जान न्‍योच्छावर कर दी।
    लांसनायक गोस्‍वामी उत्‍तराखंड से थे और उनके परिवार में पत्‍नी और सात साल की बेटी है। शांति के समय में प्रदान किए जाने वाला अशोक चक्र अवॉर्ड जंग के मोर्चे पर प्रदान किए जाने वाले सम्‍मान परमवीर चक्र के समकक्ष माना जाता है।

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