आई एस आई एस, तालिबान, जैश-ऐ-मुहमद, अल- कायदा जैसे अनेकोंसँगठन अपनी आतंकवादी गतिविधियों की वजह से दुनिया भर में खौफ फैला रहें हैं।
मुसलमान युवक बड़ी तेज़ी से इनकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
जब भी दुनिया में कहीं कोई आतंकवादी गतिविधि होती है तो 95% इन्ही संघटनो के द्वारा की जाती है।
आतंकवादी हाथ में कुरान लिए अलाल्ह हु अकबर के नारे लगाते मासूम लोगों का क़त्ल कर देते हैं; दुनिया भर में इसका विरोध भी हो रहा है .
विरोध इतना बढ़ गया है कि लोग इस्लाम धर्म पे ही ऊँगली उठाने लगे हैं। लोग कहते हैं इस्लाम ही आतंकवादी पैदा करता है परन्तु ऐसा कहना ठीक नही लगता। क्या कुछ हज़ार या कुछ लाख गलत लोगों की वजह से पुरे धर्म को ही कटहरे में खड़ा कर देना उचित है? जब भी कोई इस्लाम पर आतंकवाद का ठप्पा लगाने की कोशिस करता है तो सभी बुद्धिजीवी लोग एक स्वर में उसकी निंदा करते हैं खासकर इस्लामिक स्कॉलर इसका बेहद पुरजोर ढंग से पर्तिकार करते हैं। परन्तु कुछ चीज़ें हैं जिनके उत्तर खोजने में हम खुद को बेहद लाचार पाते हैं और जब कोई ये सवाल पूछता है तो हमारे पास उसके लिए कोई उत्तर नही होता।
सबसे बड़ा मुद्दा ये है कि जब किसी भी जगह, स्थान और देश में मुस्लिम जनसँख्या दुसरे धर्म या मजहब के लोगों से ज्यादा हो जाती है तो ऐसा आखिर क्यूँ होने लगता है …
1-वहां अपराध और दंगों में अचानक वृद्धि क्यूँ हो जाती है ?
2-वहां मजहबी दंगों की संख्या अचानक से क्यूँ बढ़ जाती है ?
3-वहां से दुसरे मजहब के लोगों का पलायन क्यूँ शुरू हो जाता है ?
कुछ लोग ये कह सकते हैं कि हमारे पूछे गये सवाल ही गलत हैं और जैसा हमने ऊपर कहा है वैसा बिलकुल भी नही होता, आप कहेंगे कि बातों को सही साबित करने के लिए तथ्यों और आंकड़ों का होना भी तो जरुरी है;ये बिलकुल सही बात है इसलिए अपने ऊपर के तीन सवालों को और अच्छे तरीके से स्पस्ट करने के लिए नीचे कुछ आंकडें दिए गये हैं कृपया आप गौर करें:
कैसे भारत में मजहब के हिसाब से जनसँख्या में परिवर्तन हो रहा है , पुरे भारत के सभी राज्यों में 2001 से 2011 में मुस्लिम जनसख्या में क्या फर्क पड़ा से स्पस्ट हो जाता है,जम्मू और काश्मीर में मुस्लिम जनसख्या 68.3% है , आसाम में 34.2% और बंगाल में 27% इनके बाद केरला उत्तर परदेश और बिहार का नंबर आता है।
ये सभी आंकड़े भारत सरकार की 2011 की जनगणना पर आधारित हैं। इससे पहले कि हम उपरोक्त जनसँख्या के आंकड़ों के आधार पर अपने ऊपर दिए गये 3 सवालों का विश्लेषण करें पहले आपको एक बार पुरे विश्व का के कुछ आंकड़ों से परिचित करवाते हैं। सबसे ज्यादा जनसख्या वाले 3 राज्यों पे बात करते हैं और थोडा आंकलन करने की कोशिस करते हैं
1 जम्मू और काश्मीर मुस्लिम जनसँख्या 68.3 %
जम्मू और कश्मीर के मुख्यतः 2 भाग मान सकते हैं , कश्मीर और जम्मू।
जम्मू में करीब 60 से 64% हिन्दू जनसँख्या है और शेष 36% मुस्लिम , कश्मीर वाले भाग में लगभग 100% जनसँख्या ही मुस्लिम है पर वहां पहले ऐसा नही था
1901 में कश्मीर में लगभग 24% हिन्दू जनसख्या थी जिसको आज के हिसाब से भी 24 नही तो 20% तो होना ही चाहिए था या कम से कम 15%।
परन्तु ऐसा नही है पूरी कश्मीर घाटी में मुश्किल से कुछ हज़ार हिन्दू जनसँख्या है और उसमे से अधिकतर सेना के जवान, विद्यार्थी और प्रवासी मजदूर हैं। ऐसा क्यूँ हुआ? कहाँ गये वहां के हिन्दू लोग? क्या किसी ने मार दिया उनको? क्या उनको वहां से भगा दिया गया? हाँ बिलकुल ऐसा ही हुआ कश्मीर वाले भाग में से करीब 5 लाख हिन्दुओं को अपना पुश्तैनी घर छोड़ने पे मजबूर किया गया सवाल आता है किसके द्वारा? और क्यूँ?
हम ये नही कहते कि सभी कश्मीर डिवीज़न में रहने वाले मुसलमान हिन्दुओं को वहां से खदेड़ने के लिए जिम्मेवार हैं पर कुछ या लगभग 30% तो जिम्मेवार हैं ही, पर ऐसा क्यूँ ? जब आपकी जनसख्या बढ़ जाती है तो दुसरी पूजा पद्धति को मानने वाले लोग वहां क्यूँ नही रह सकते? ये असहिस्नुता आखिर क्यूँ?
2- आसाम मुस्लिम जनसँख्या 34.2%
आसाम का नंबर क्राइम के मामले में देश में तीसरा है।
आसाम से पहले दिल्ली का नंबर है और सबसे ऊपर है केरला जो मुस्लिम जनसख्या में देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है जहाँ पर लगभग 24 % मुस्लिम जनसख्या है।
आसाम में बारपेटा (59%) ,धुबरी (74%) , गोआलपाड़ा ( 54%) और Hailakandi ( 57%) Nagaon ( 51%) प्रमुख मुस्लिम बाहुल्य जिले हैं और इन जिलों में क्राइम रेट और भी ज्यादा है।
आसाम के क्राइम का थोडा और अंदाज़ा लगाने के लिए यहाँ क्लिक करके ये लेख पढ़ें। आसाम में जो क्राइम है वो सबसे ज्यादा मजहबी क्राइम है सवाल आता है कि ऐसा क्यूँ है? मुस्लिम बाहुल्य जिलों में दंगे सबसे ज्यादा क्यूँ हो रहे हैं? फिर से मेरे पूछे गये तीन सवाल सही साबित होते हैं।
आसाम के दंगों की फेरहिस्त बड़ी लम्बी है यहाँ बंगलादेशी घुसपैठियों का भी बहुत बड़ा आतंक है पर आप नीचे दिए गये कुछ लिंक्स से काफी कुछ अनुमान लगा सकते हैं
3- बंगाल मुस्लिम जनसख्या 27%
बंगाल के बारे में जितना कहा जाए उतना ही कम है।
वहां काफी जगह पर हिन्दुओं को इजाजत नही है वो दुर्गा पूजा कर सकें। चलिए इस विवाद में नही पड़ते हैं और केवल पिछले 9 महीने के मजहबी दंगों का आंकलन करते हैं
A- मई 2015 – 5 हिन्दुओं की हत्या
लिंक – http://hinduexistence.org/2015/05/05/5-killed-over-8-injured-in-communal-clashes-in-nadia-district-west-bengal/
B-अगस्त 2015- कोलकाता का क्लेश
लिंक- http://hinduexistence.org/2015/08/04/kolkata-jihadis-took-on-hindu-public-over-detention-of-62-suspicious-madrasa-boys/
C- बम ब्लास्ट Gafulia , बंगाल अगस्त 2015
लिंक- http://hinduexistence.org/2015/08/31/bengal-bomb-blast-in-gafulia-at-katwa-reminds-khagragarh-terror-episode/
D- हिन्दू व्यापारी की हत्या , Dec, 2015
लिंक -http://hindutva.info/hindu-killed-near-temple-by-drunk-muslims/
E- मालदा की घटना – Dec , 2015
लिंक – http://hindutva.info/what-exactly-happened-at-malda/
शायद इतना काफी होना चाहिए , यदि आपको और जानकारी चाहिए तो ये नीचे दी गयी रिपोर्ट देख लीजिये ये हमारी रिपोर्ट नही है बल्कि The Express की रिपोर्ट है
हमे लगता है हमने अच्छी तरह और सबूतों के साथ अपने ऊपर पूछे गये तीन सवालों पे बात की है।
मालदा की घटना में लगभग ढाई लाख लोगों का सड़क पर आना बड़े सवाल पैदा करता है। हम मानते हैं कि इन सब चीज़ों और बातों के बाद भी इस्लाम पर यहाँ दोष लगाना कि वो शांतिप्रिय मजहब नही है बिलकुल ही गलत और मानवता की अवधारणा के विपरीत बात होगी। परन्तु मेरा आग्रह है सभी इस्लामिक और नॉन इस्लामिक गुरुओं , बुद्धिजीवियों से की किसी ना किसी तरह इस समस्या का हल ढूंडा जाना चाहिए। इस्लाम पे सवाल उठाने वाले लोगों को चुप करवाना तो एक अलग बात है परन्तु सचमुच शांति के लिए क्या उपाय किये जा रहे हैं? इस्लामिक मौलवियों और गुरुओं को निश्चित ही इस पर ध्यान देने की जरुरत है ताकि इस्लाम पर कोई सवाल उठाया ही ना जा सके। कोई कुछ भी कह ही ना सके, मुस्लमान भाईयों की जनसख्या बढ़ने के साथ किसी भी जगह पर अपराध ना बढ़ें, मेरा मानना है ऐसे उपाय किये जायेंगे और अगर उपाय नही किये गये तो ना केवल मुसलमानों की बल्कि ये मानव इतिहास की सबसे बड़ी भूल होगी –
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