वृद्ध दंपती ने पहाड़ पर खोदा कुआं
कुआं खोदने में लगा छह माह :
कुआं खोदने में लगा छह माह :
गुमला के भरनो प्रखंड स्थित डाेंबा गांव में वृद्ध दंपती धुंधा उरांव (60) आैर चारी उरांव (55) ने पहाड़ पर कुआं खोद कर नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है. छह माह पहले खोदा गया यह कुआं आज पहाड़ पर बसे 21 परिवार के लिए जीवनदायी है. वृद्ध दंपती इस कुएं से एक एकड़ खेत में सालों भर सिंचाई करते हैं. पहाड़ पर पानी का कोई दूसरा स्रोतनहीं है. नहीं है. 21 परिवार (उरांव व घांसी) के लोग पूरी तरह इसी कुआं पर आश्रित हैं. इस कुएं में गरमी में भी पानी लबालब रहता है.
कुआं खोदने में छह माह लगा : गांव में पहाड़ के नीचे थाेड़ा खेत है, लेकिन सिंचाई का साधन नहीं है. जबकि पहाड़ पर अधिक खेत है. धुंधा दंपती ने बताया कि पहाड़ पर कुआं खोदना मुश्किल काम था. हर दिन सुबह- शाम कुआं की खुदाई शुरू हुई. श्रमदान से कुआं खोदने में करीब छह माह लगा.
कुआं 24 फीट गहरा व 15 फीट चौड़ा है. इसमें सालो भर पानी रहता है. धुंधा दंपती काे चार बेटे व दाे बेटियां हैं. 13 पोते भी हैं. सभी अच्छे स्कूलों में पढ़ते हैं. धुंधा व पत्नी चारी खुद अनपढ़ हैं. दाेनाें ने खेतीबारी कर अपने बच्चों को पढ़ाया. दो बेटे राम उरांव व लक्ष्मण उरांव अभी सेना में हैं. अगरतला (त्रिपुरा) में पाेस्टेड हैं.
पेशे से किसान वृद्ध दंपती धुंधा आैर चारी ने पहाड़ पर जंगल बसाने के लिए अपने खर्च पर सखुआ के करीब 300 पौधे भी लगाये हैं. धुंधा का कहना है कि पेड़ बड़े होंगे, तो पहाड़ हरा-भरा होगा. अभी पूरा पहाड़ वीरान नजर आता है. हरियाली लाने के लिए उन्हाेंने पौधे लगाये हैं और पहाड़ पर श्रमदान से खोदे गये कुआं के पानी से पटवन भी करते हैं. #भरनोसे लौट कर दुर्जय पासवान#
Prabhat Khabar Jan 9 2016 के अनुसार << सूर्य की किरण >>
कुआं खोदने में छह माह लगा : गांव में पहाड़ के नीचे थाेड़ा खेत है, लेकिन सिंचाई का साधन नहीं है. जबकि पहाड़ पर अधिक खेत है. धुंधा दंपती ने बताया कि पहाड़ पर कुआं खोदना मुश्किल काम था. हर दिन सुबह- शाम कुआं की खुदाई शुरू हुई. श्रमदान से कुआं खोदने में करीब छह माह लगा.
कुआं 24 फीट गहरा व 15 फीट चौड़ा है. इसमें सालो भर पानी रहता है. धुंधा दंपती काे चार बेटे व दाे बेटियां हैं. 13 पोते भी हैं. सभी अच्छे स्कूलों में पढ़ते हैं. धुंधा व पत्नी चारी खुद अनपढ़ हैं. दाेनाें ने खेतीबारी कर अपने बच्चों को पढ़ाया. दो बेटे राम उरांव व लक्ष्मण उरांव अभी सेना में हैं. अगरतला (त्रिपुरा) में पाेस्टेड हैं.
पेशे से किसान वृद्ध दंपती धुंधा आैर चारी ने पहाड़ पर जंगल बसाने के लिए अपने खर्च पर सखुआ के करीब 300 पौधे भी लगाये हैं. धुंधा का कहना है कि पेड़ बड़े होंगे, तो पहाड़ हरा-भरा होगा. अभी पूरा पहाड़ वीरान नजर आता है. हरियाली लाने के लिए उन्हाेंने पौधे लगाये हैं और पहाड़ पर श्रमदान से खोदे गये कुआं के पानी से पटवन भी करते हैं. #भरनोसे लौट कर दुर्जय पासवान#
Prabhat Khabar Jan 9 2016 के अनुसार << सूर्य की किरण >>
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