Sunday, 24 January 2016


नेताजी सुभाष की मृत्यु पर गोलमाल, 
भारत की सेना को जानबूझकर कमज़ोर बनाए रखना, 
कश्मीर का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के पंजे में चले जाने देना,
चीन को भारत के स्थान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनवाना,
सरदार पटेल की चेतावनी को किनारे कर चीन पर अंधा भरोसा और फिर मुँह की खाना,
अपनी बेटी को आगे बढ़ाकर वंशवाद की नींव डालना,
तिब्बत पर चीन के अत्याचारी कब्जे का मौन समर्थन,
भारत को लाइसेंस कोटा राज के दलदल में धकेलना,........... और भी बहुत कुछ।
'चाचा' नेहरू को इतिहास के बहुतेरे सवालों के जवाब देने हैं।
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नेताजी के भाई शरत बोस की बेटी चित्रा ने नेहरू से हुई एक मुलाकात का जिक्र करते हुए मीडिया को बताया था कि कलकत्ता दौरे पर आये नेहरू उनके आवास 1, वुडवर्न पार्क पर उनके पिता से मिले थे। उस मुलाकात में जवाहर लाल नेहरू जी ने आंसू भरी आंखों के साथ एक आयताकार डायल वाली कलाई घड़ी देते हुए कहा था कि यह वही घड़ी है,जो सुभाष ने विमान दुर्घटना के दौरान पहनी हुई थी। तो इस पर उनके पिता ने साफ कहा, 'जवाहर, मुझे इस दुर्घटना वाली कहानी पर बिलकुल भी यकीन नहीं है, और सुभाष कभी ऐसी घड़ी नहीं पहनते थे। वे सिर्फ अपनी मां की दी हुई गोल डायल वाली घड़ी ही पहनते थे। नेताजी के निजी सुरक्षाकर्मी रहे वयोवृद्घ स्वतंत्रता सेनानी जगराम कह चुके हैं, 'नेताजी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी। ये हो सकता है कि उनकी हत्या कराई गयी हो! अगर उस दुर्घटना में उनकी मौत हुई होती तो कर्नल हबीबुर्रहमान कैसे जिन्दा बच जाते? आजादी के बाद कर्नल रहमान पाकिस्तान चले गए थे। मुझे ऐसी आशंका है कि नेहरू के कहने पर नेताजी को रूस में फांसी दी गयी हो।' अब धीरे-धीरे परतें खुल रही हैं, खुलने तो दीजिये!
नेहरू-गांधी परिवार की असलियत सामने लाने के लिए धन्यवाद, मोदी जी🙏
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