इससे पहले मैं ने डॉ ऍनी बेझण्ट की पुस्तक "हिन्दु जीवनादर्श" के तीन पृष्ठों के चित्र डाले थे । कुछ मित्रों ने असन्तोष व्यक्त किया कि वह ठीक से पढा नहीं जाता । अतः उसके महत्वपूर्ण अंशों को लिख रहा हूँ ..-
मुकुन्द हम्बर्डे
भारत और हिन्दुधर्म एकरूप है --
"--- आधुनिक सभ्यता में भारत के योगदान के विषय में आपको चिन्तित होने का कोई कारण नहीं; जितनी आवश्यक हो उतनी सभ्यता, पर्याप्त मात्रा में और कदाचित् कुछ और भी भारत के पास होगी । विकास के अपरिहार्य क्रम में, प्रत्येक राष्ट्र की अपरिहार्य नियति के रूप में वह उदित होगी । आधुनिक मानस की प्रवृत्तियों, आधुनिक चिन्तन की दिशा, भौतिक वैभव के मोहक आकर्षणों और विजेता जाति के सूक्ष्म प्रभाव के कारण बीसवीं सदी में भारत का योगदान सुनिश्चित है । परन्तु एक धोखा है, एक वास्तविक धोखा, कि भारत से कहीं धर्म का लोप न हो जाय । यदि हिन्दु ही हिन्दुधर्म को न बचा सके तो और कौन बचावेगा ? भारत ही भारत को बचा सकता है तथा भारत और हिन्दुधर्म एकरूप है ।
------ हिन्दु जन्मजात, जन्मसिद्ध होता है, बनाया नहीं जा सकता
भूलिए नहीं ! हिन्दुधर्म के बिना भारत का कोई भविष्य नहीं । हिन्दुधर्म वह भूमि है जिस में भारत की जडें गहरी जमीं हुई है और यदि उस भूमि से उसे उखाडा गया तो भारत वैसे ही सूख जायगा जैसे कोई वृक्ष भूमि से उखाडने पर सूख जाता है । भारत में अनेक मत, सम्प्रदाय और वंशों के लोग पनप रहे हैं; किन्तु उन में से कोई भी न तो भारत के अतीत के उषाकाल में था, न उन में से कोई राष्ट्र के रूप में उस के स्थायित्व के लिए अनिवार्यतः आवश्यक है । ---
--- भारत के इतिहास, साहित्य, कला, स्मारक, प्रत्येक पर हिन्दुधर्म की छाप अंकित है । यहाँ पारसियों का जरथुष्ट्रमत शरण माँगने आया और उसकी सन्तानों को यहाँ आश्रय और सत्कार प्राप्त हुआ; फिर भी हो सकता है जरथुष्ट्रमत चला जाय तो भी भारत बना रहेगा ।
---- इस्लाम आया, आक्रमण की एक लहर आयी, आज मुसलमान भारतीय जनों के अंग के रूप में विद्यमान है और भारत के भविष्य के निर्माण में सहभागी होंगे; फिर भी इस्लाम चला जाय, तो भी भारत भारत रहेगा ।
ईसाई मत आया, ईसाई इस भूमि पर शासन कर रहे हैं (तब), यहाँ की गतिविधियों को प्रभावित करते हैं; फिर भी ईसाईमत चला जाय, तो भी भारत भारत रहेगा । इन सब के आगमन के पूर्व भारत था, इन के निर्गमन के बाद भी यह रहेगा ।
परन्तु यदि हिन्दुधर्म गया, वह धर्म जो भारत का पालना रहा, जिसने बाल्यकाल से इस भारत का संगोपन किया, वह यदि गया तो भारत भूमिसात् हो जायेगा, उसकी समाधि बन जाएगी। तब भारत और उसका धर्म एक अतीत की स्मृति बन जाएँगे, जैसे आज मिस्र और उसका धर्म !
------- यदि आप हिन्दुधर्म को छोड़ देते हैं तो आप अपनी भारतमाता के हृदय में छुरा भोंकते हैं । यदि भारतमाता के जीवन-रक्त स्वरूप हिन्दुधर्म निकल जाता है तो माता गतप्राण होगी ।
--- हिन्दुधर्म के अतिरिक्त अन्य किसी धर्म की रक्तवाहिनियाँ ऐसी शुद्ध स्वर्ण की, ऐसी अमूल्य नहीं हैं, जिन में आध्यात्मिक रक्त प्रवाहित किया जा सके ।
हिन्दुत्व के प्रति निष्ठावान् रहो
मैं आपको यह कार्यभार सौंप रही हूँ, हिन्दुधर्म के प्रति निष्ठावान रहो, वही आपका सच्चा जीवन है । कोई धर्मभ्रष्ट, कलंकित हाथ आप को सौंपी गयी इस पवित्र धरोहर को स्पर्श न करें ।।"
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