डॉ. मंजू विश्नोई
डॉ मंजू विश्नोई की उम्र 28 साल है और ये ग्राम रोहिचा कलां की सरपंच है l बीडीएस की पढ़ाई करते हुए मंजू तंबाकू के सेवन, धूम्रपान से कैंसर में जकड़े मरीजों को रोजाना देखती थी। ज्यादातर ग्रामीण इलाकों से आते थे। तभी ठान लिया कि पढ़ाई पूरी कर सबसे पहले अपने ही गांव के युवाओं और अन्य को नशे से दूर रखने का कैंपेन चलाएगी। इसकी शुरुआत अपने ही घर में चाचा को नशा छुड़वा कर की। बिना किसी सरकारी सहायता के महिला स्वयं सहायता समूह बनाया।
यह समूह आर्थिक गतिविधियों के साथ नशामुक्ति अभियान चला रहा है। अब तक 150 युवाओं को नशा छुड़ाया है। गांव में परस्पर कोई मुकदमा न हो, इसके लिए पारिवारिक, मित्रों या पड़ोसियों के झगड़े निपटाने के लिए हर सोमवार को बुजुर्गों की पंचायत शुरू की।
वीणा चौधरी (बाएं) और भगवती देवी (दाएं)
वीणा चौधरी ग्राम पंचायत सोरड़ा जिला-सिरोही से सरपंच है l 16 साल की उम्र में शादी करा दी गई। पति का साथ मिला तो बाल विवाह बंद कराने के मकसद के साथ 21 साल की उम्र में सरपंच बन गईं। 15 गरीब और सामाजिक रूप से पिछड़ी लड़कियों का स्कूल में दाखिला करवा दिया। 99 प्रतिशत घरों में शौचालयों का निर्माण करवा दिया, जिसके लिए पंचायतीराज विभाग से अवॉर्ड भी मिला। वीणा ने अपनी कोशिशों से पिछले एक साल में गांव में कोई भी बाल विवाह नहीं होने दिया है।
भगवती देवी ग्राम पंचायत मोलेला जिला राजसमंद से सरपंच है l भील समाज की भगवती देवी निर्विरोध सरपंच तो चुन ली गई लेकिन ऊंचे तबके के लोग प्रताड़ित करते। सचिव और गांव के प्रभावशाली लोग उन्हें कहते, ‘तुम भील जाति से हो, कुर्सी तो सिर्फ 5 साल की है और इसके बाद तो तुम्हें फिर जमीन पर ही बैठना है’। कुछ करने की ठानी और सीधे कलक्टर के पास पहुंच कर शिकायत दर्ज करा दी। कलक्टर गांव में पहुंचे और सचिव को न सिर्फ हटाया, बल्कि जुर्माना भी लगा दिया।
हरीश परिहार
हरीश पोपवास से सरपंच है l बीटेक की पढ़ाई करते हुए तकनीक के फायदों को नजदीक से देखा और सीखा। छुट्टियों में गांव आते तो देखते कि कैसे अशिक्षित ग्रामीण सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए कर्मचारियों के आगे-पीछे घूमते और मिन्नतें करते। कई बार पैसे देने पर भी उनका काम नहीं होता। तब हरीश ने ठान लिया कि गांव के सभी लोगों को तकनीक से जोड़ना और उनकी सेवा करना है। इसके लिए सरपंच बनते ही गांव के सभी 14 वार्डों में वार्ड पंच के नेतृत्व में युवाओं की टीम बनाई। यह टीम भामाशाह, राशन, पेंशन, बीपीएल कार्ड आदि बनवाने और अन्य फॉर्म जमा करवाने का काम करती है। इसके अलावा गांव में और गांव से बाहर रहने वाले युवाओं का वाट्स एप ग्रुप बनाया है, उनसे चर्चा कर गांव के विकास की योजनाएं बना रहे हैं।
डॉ. सोहनलाल
डॉ सोहन जालेली दईकड़ा से सरपंच है l मनोविज्ञान में पीएचडी कर चुके डॉ. सोहनलाल को गांव में जगह-जगह फैली गंदगी और अतिक्रमण देख कर बहुत दुख होता था। गत चुनाव में उन्होंने गांव वालों के समक्ष मन की बात रखी तो उन्हें सरपंच बना दिया। सोहनलाल ने सरपंच बनते ही पंचायत फंड से 15 लाख रुपए की लागत से एक किलोमीटर लंबी सीवरेज लाइन बिछवाई। खुद बिल्डर व डेवलपर हैं, इसलिए दिन-रात खुद खड़े रह कर इसे तैयार करवाया। गांव की सड़क को खुद के पैसे से जेसीबी लगा कर चौड़ा करवाया। गांव के लोग पंचायत भवन तक समस्या लेकर नहीं आएं, इसलिए खुद घर-घर जाकर उनकी समस्याओं के बारे में पूछते हैं और निदान करते हैं। अब गांव में जनसहयोग से बबूल पेड़, झाड़ियां हटाने का काम कर रहे हैं।
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