"तुम कितने याकूब मारोगे? हर घर से याकूब पैदा होगा..." इस पोस्टर को हाथ में लिए रोहित वेमुला के मित्र अर्थात हैदराबाद विवि के छात्र... पोस्टर पर लिखा है ASA यानी "आंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन"...
ये लोग उन्हीं आंबेडकर के नकली अनुयायी हैं, जो इस्लाम की रग-रग से वाकिफ थे (इसीलिए बौद्ध धर्म स्वीकारा)... जी हाँ वही बाबा साहेब आंबेडकर जिन्होंने भारत के संविधान को बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की... लेकिन "तथाकथित दलित छात्र" रोहित वेमुला, अम्बेडकर और उनके संविधान का सरेआम अपमान करते हुए याकूब मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और राष्ट्रपति को नकार रहा है... इसे कहते हैं "परफेक्ट ब्रेनवॉश".
ईसाई मिशनरियों और मुल्लों के हाथों और गोद में खेलते दलित चिंतकों और दलित विमर्शवादियों इतिहास तुम्हें माफ नहीं करेगा... राजनैतिक रोटियाँ सेंकने वालों की तो खैर बात करना ही बेकार है...
अलबत्ता रोहित वेमुल्ला "बहुत प्रतिभाशाली" था. वह गौमाँस भक्षण पार्टी का संयोजक था.वह स्वामी विवेकानन्द को जमकर गरियाता था..उसे "भगवा रंग" से नफरत थी..मने के बेहद प्रतिभाशाली था.पढ़ाई के अलावा सब कुछ करता था. बिलकुल FTII के "मुफ्तखोर अधेड़" छात्रों(??) की तरह...
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