Saturday, 30 January 2016

भारतीय बुद्धिजीवी जैसा अव्यवहारिक और हकीकत से मीलों दूर जीने वाला व्यक्ति मैंने आज तक नहीं देखा. दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ी है और उसे मोदी, आरएसएस और प्याज-टमाटर से अलग कुछ दिख ही नहीं रहा.
वही हाल राष्ट्रवादियों का है, जो आमिर और शाहरुख़ से आगे ही नहीं बढ़ रहे हैं. मगर उनसे तो और कोई उम्मीद की भी क्या जा सकती है.भगवान भला करे भारतवर्ष का!!

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