• फोटो: सुनील कुमार
    फोटो: सुनील कुमार 
सोनीपत में 10वीं पास सतीश नाम के युवा ने एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया है, जो 120 मज़दूरों का काम अकेले ही कर लेती है। ये ईंट बनाने की मशीन है।

गांव लडरावन निवासी सतीश ने अपने इस आविष्कार से भट्टा उद्योग में एक नयी मिसाल पेश की है। दरअसल, सतीश गांव फिरोजपुर बांगड में लगाए अपने ईंट के भट्टे पर काम करने वाले मज़दूरों से काफी परेशान थे। वो पैसे लेने के बाद भी भट्टे पर काम करने नहीं आते थे। इसी के चलते सतीश के दिमाग में ऐसी मशीन बनाने का आइडिया आया और फिर उस पर सतीश ने काम करना शुरू किया। 


सतीश ने साल 2007 में मशीन बनाने के लिए अलग-अलग जगह से पुर्जे और उपकरण लाकर मशीन बनाना शुरू कर दिया। मशीन बनाने में लाखों रुपये लगने के बाद भी सतीश की कोशिशें नाकाम होती रही लेकिन सतीश ने कभी हार नहीं मानी। सतीश के हौंसलों को देखते हुए उसके चचेरे भाई राजेश, विकास, प्रवेश, राकेश और उसके दोस्तों ने उसका साथ देना शुरू किया। भाई और दोस्तों के सहयोग ने सतीश का मनोबल इतना बढ़ा दिया कि इन सब ने मिलकर ईंट बनाने वाली मशीन का आविष्कार कर डाला।

सतीश और उसकी टीम।


सतीश मशीन के बारे में बात करते हुए कहते हैं, "ये मशीन ईंट-भट्टे पर एक दिन में काम करने वाले 120 मज़दूरों के बराबर काम करती है। यह मशीन आसानी से ईंटें बना देती है। बी एम एम नाम की यह मशीन एक मिनट में 150 ईंटें बनाती है। दिन भर में इस मशीन से करीब 40000 ईंटें बनाई जाती है। वहीं इस मॉडल के अलावा बी एम एम-300 मशीन भी तैयार की गई है, जो एक मिनट में 300 ईंटें तैयार करती है। यह मशीन दिनभर में करीब 85000 ईंटें तैयार करती है। इस मशीन से ईंट-भट्टों पर मज़दूरो की आ रही किल्लत को काफी हद तक खत्म कर दिया है।"



मशीन बनाने में सहयोगी इंजीनियर पंकज राणा कहते हैं कि ये मशीन सतीश की 8 सालों की मेहनत का फल है। मशीन पर आने वाली लागत को देखते हुए सतीश ने गांव के अपने मकान और पुश्तैनी जायदाद को दांव पर लगा दिया था। लेकिन इतने सालों की मेहनत का फल 2013 में तीन मशीनें तैयार कर मिला। मशीन बनाने के हमारे जुनून को देखते हुए सभी लोगों ने हमें पागल कहना शुरू कर दिया था लेकिन अब सब लोग हमारी तारीफ करते नहीं थकते।



सतीश का कहना है कि अब इस मशीन की डिमांड दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। मशीन के आविष्कार का पेटेंट करा लिया गया है। मशीन के पार्ट्स अब जर्मन और इटली से मंगाये जाते हैं। अब तक हम करीब 25 मशीनें बेच चुके हैं। हरियाणा, यूपी, बिहार, तमिलनाडु, राजस्थान, बिहार और कर्नाटक के अलावा पड़ोसी देश नेपाल में भी हम इस मशीन की सप्लाई कर चुके हैं।