Sunday, 17 January 2016

जहां भगवान शिव के खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है



भारत में एक मंदिर ऐसा है जहां भगवान शिव के खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है। यह शिवलिंग झारखंड की गोइलकेरा में महादेवशाल मंदिर में स्थापित है। खंडित होने की वजह से एक ही शिवलिंग के दो हिस्सों की पूजा दो अलग-अलग जगहों पर की जाती है। मान्यता है कि इस शिवलिंग को तोड़ने के कारण एक ब्रिटिश इंजीनियर को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
कैसे हुआ यहां का शिवलिंग खंडित

मान्यताओं के अनुसार, लगभग 19वीं सदी में इस जगह पर काम करते हुए कुछ मजदूरों को खुदाई के दौरान एक शिवलिंग दिखाई दिया। जमीन में से शिवलिंग प्राप्त होने पर मजदूरों ने उसे यहीं स्थापित करके आगे का काम बंद करने की बात कही। मजदूरों की बात सुनकर वहां के ब्रिटिश इंजीनियर ने गुस्से में शिवलिंग पर फावड़े से प्रहार कर दिया, जिसके कारण वह शिवलिंग दो टुकड़ों में टूट गया।
उसी दिन चली गई थी इंजीनियर की जान

कहा जाता है कि इसी गलती के कारण उस इंजीनियर को अपनी जान गंवानी पड़ी। उसी दिन शाम को काम से लौटते समय ब्रिटिश इंजीनियर की मौत हो गई। यह देखकर बाकी सभी ब्रिटिश अफसरों को शिविलिंग के महत्व और चमत्कार पर विश्वास हो गया था।
दो जगहों पर स्थापित है एक ही शिवलिंग

खुदाई में जहां शिवलिंग निकला था आज वहा महादेवशाल नाम का शिव मंदिर है। महादेवशाल मंदिर में शिवलिंग का एक आधा हिस्सा स्थापित है और शिवलिंग का दूसरा हिस्सा वहां से दो किलोमीटर दूर रतनबुर पहाड़ी पर मां पाउडी नामक देवी के साथ स्थापित है। रतनबुरू के बारे में कहा जाता है कि फावड़े से प्रहार के बाद शिवलिंग का छोटा हिस्सा उड़कर यहां स्थापित हो गया था।
150 सालों से हो रही है पूजा

मान्यताओं के अनुसार, इस शिवलिंग की स्थापना लगभग 150 साल पहले हुई थी, तभी से नियमित रूप से शिवलिंग के दोनों हिस्सों की पूजा की जाती है। परंपरा के अनुसार, पहले शिवलिंग और उसके बाद मां पाउड़ी की पूजा की जाती है।
जीवन मंज्ञत्र डेस्क Jan 11, 2016 dainikbhaskar.com के अनुसार << सूर्य की किरण >>

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