Thursday, 14 June 2018

वर्ष 1971 में जब भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान के दो टुकड़े किये थे , और दुनिया के सबसे बड़े मिलिट्री सरेंडर को अंजाम देते हुए पाकिस्तान के 90000 से जादा सैनिको को जनरल नियाजी के नेतृत्व में सरेंडर कराया था .तो भारतीय सेनाओं के उस शौर्य और वलिदान के बदले .राहुल गांधी की दादी ने भारतीय सेनाओं की वन रैंक वन पेंशन को बंद कर दिया था ...और यह मसला मनमोहन सरकार के दौर तक कांग्रेस ने लटकाए रक्खा था ........मोदी ने लोक सभा चुनाव प्रचार में इस मसले को सुलझाने का वादा किया और वन रैंक वन पेंशन को स्वीकृति दी ...अब इस 47 साल पुराने मसले को सुलझाने के बावजूद भी लाखो सैनिको के रिकार्ड आदि की गणना में यदि कोई छोटी मोटी कमियाँ रह गयी है ......तो महामक्कार कमीने कांग्रेसी इस मसले में जनता और फौजियों के एक हिस्से को भड़काने का काम कर रहे है .....इन धूर्तो से पूछा जाना चाहिए की युद्ध में विजय पाने के बावजूद इंदिरा गांधी ने सेनाओं को इनाम देने की बजाय उसकी पेशन कम करके क्या देश और सेनाओं के साथ गद्दारी नहीं की थी ....और आज सेनाओं के हितैषी बनने वाले कुकर्मी कांग्रेसियों ने मनमोहन सरकार के समय तक 47 साल में इस मसलो को क्यों लटकाए रक्खा था !!  --  पवन अवस्थी

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