तमिलनाडु के तूतीकोरिन में चर्च ने फैलाया था दंगा! अलग तमिल देश बनाने की साजिशों का खुलासा!
चेन्नई स्थित वैदिक साइंस रिसर्च सेंटर (VSRC) की जो आंतरिक रिपोर्ट सामने आई है इससे यह जाहिर हो गया है कि तमिलनाडु के तूतीकोरिन में जो दंगा हुआ था वह स्वतः स्फुर्त नहीं, बल्कि प्रायोजित था। वीएसआरसी की आंतरिक रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से इस बात का उल्लेख किया गया है कि तूतीकरोरिन में चर्च ने दंगा फैलाया था। इस रिपोर्ट में यह साबित हो गया है कि दंगाइयों और चर्च के बीच में साठगांठ था। तूतीकोरिन में दंगा फैलाने में फादर गास्पर और मोहन लेजारस की अहम भूमिका भी सामने आई है।इस मामले में पेशेवरो के एक समूह द्वारा किए गए अध्ययन के जो परिणाम सामने आए हैं वह तो और भी चौंकाने वाले हैं। आंतरिक सुरक्षा, सुरक्षा बलों, न्यायपालिका तथा राजनीतिक विश्लेषकों से मिली जानकारी के आधार पर निकाले गए निष्कर्ष से अगर कोई संकेत मिलता है तो यही कि तमिलनाडु चर्च, मुसलमान, वामपंथी, माओवादी तथा पेरियारों का एक प्रयोगशाला बन चुका है। ये सभी तमिलनाड को भारत से अलग कर लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम(Ltte) की तरह ही ‘तमिल इलम’ के नाम से अलग क्रिश्चियन देश बनाना चाहते हैं।तूतीकोरिन में हुए दंगे के बाद तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई स्थित वैदिक साइंस रिसर्च सेंटर (वीएसआरसी) जैसे विचार मंच ने पूरे प्रदेश में एक अध्ययन किया। अपने अध्ययन के दौरान उन्होंने आंतरिक सुरक्षा, सुरक्षा बल, राजनीतिक विश्लेषण तथा न्यायापालिका जैसे हर क्षेत्र के लोगों से बातचीत की। उनके अध्ययन से जो निष्कर्ष निकल कर सामने आया है उससे तो यही संकेत मिले हैं कि यह राज्य एक प्रकार से उबल रहा है, जिसे खाद-पानी देने के काम में देश विरोधी और हिंदू विरोधी ताकतें जुटी हुई है। इनमें चर्च से लेकर मुसलमान, वामपंथी, माओवादी तथा पेरियार सब शामिल हैं।
इनलोगों ने तो तमिलनाडु को देश से तोड़कर अलग करने के लिए अपना एक ध्रुव भी बना लिया है। वीएसआरसी के अध्ययन के दौरान इसको अंजाम देने में जो लोग लगे हुए हैं उनमें से दो लोगो का नाम महत्वपूर्ण रूप से सामने आया है। एक का नाम गैस्पर है और दूसरे का मोहन लेजारस। ये दोनों पूर्व पादरी रहे हैं।अपने अध्ययन के आधार पर वीएसआरसी ने एक आंतरिक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में यह साबित हो गया है कि मई-2018 में तूतीकोरिन में जो दंगा हुआ था उसे चर्च ने ही दंगाइयों के साथ मिलकर अंजाम दिया था। दंगे में जिन 15 लोगों की जान चली गई थी इसके लिए यही राष्ट्र विरोधी ध्रुव जिम्मेदार है। इस दंगा को बढ़ाने में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के हाथ होने की बात को लेकर वीएसआरसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी भूमिका की अभी जांच की जानी है।
वीएसआरसी की त्रुटिरहित जांच में यह बात स्पष्ट हो गई है तूतीकोरिन में हुए दंगे में चर्च ने खुले रूप से दंगाइयों का साथ दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि तूतीकोरियन स्थित के स्टरलाइट कॉपर यूनिट के खिलाफ किए गए विरोध प्रदर्शन चर्च प्रायोजित था तथा इसके पीछे चर्च के विभिन्न गुट लगे हुए थे।रिपोर्ट ने तूतीकोरिन इलाके में फैले प्रदूषण के लिए सिर्फ स्टरलाइट कॉपर को जिम्मेदार ठहराने के आरोप पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया है। तूतीकोरिन में सैकड़ों रासायनिक फैक्ट्रियां हैं। अब सवाल उठता है कि जब वहां सैंकड़ों रासायनिक उद्योग हैं तो फिर स्टरलाइट कॉपर को ही क्यों जिम्मेदार ठहराया जा रहा है? आरोप तो यहां तक है कि यहां दंगा करने के लिए एक निजी सेना का गठन किया था जिसे चर्च ने फंड किया था।
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