Friday, 8 June 2018

mediya

भारत देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने भारत देश के किसानो को लेकर बड़ा बयान दिया है उन्होंने अपने बयान में कहा है आज भारत देश में किसान जो आंदोलन कर रहे क्या सच में इसके पीछे किसानो का हाथ हो सकता है मुझे तो नहीं लगता है , जिस तरह से किसान अपनी मेहनत फसल उगता है मुझे तो नहीं लगता की किसान सब्जी और दूध को सड़क पर फेंकेगा , माना कि किसानो ने ने सरकार के खिलाफ अपनी मांगे रखी है लेकिन उन्हें थोड़ा सब्र रखना होगा किसानो की मांगे जल्द पूरी की जाएगी
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तारीख 31 दिसम्बर 2017.
भीमा कोरेगांव में जिग्नेश मेवानी भाषण दे रहा था और वँहा उसके साथ JNU का उमर खालिद भी था --- वह कह रहा था"इस देश में क्रांति लोक सभा/राज्य सभा से नही बल्कि सड़को से निकलेगी"--
इस वीडियो का फुटेज पुरी मीडिया और देश की पुलिस के पास होगा.
यह वही जिग्नेश मेवानी है जो कांग्रेस के समर्थन से गुजरात मे विधान सभा का चुनाव जीता था.यह वही जिग्नेश मेवानी है जो JNU में उमर खालिद वाले "भारत तेरे टुकड़े होंगे" गिरोह के साथ खड़ा रहता है.इसके बाद 1 जनवरी 2018 की सुबह भीमा-कोरेगांव जल उठता है.भीम राव अम्बेडकर के पुत्र प्रकाश अम्बेडकर भी दंगाइयों के साथ खड़े होते है. 
अब तो आप सबके समझ में आ गया होगा कि कांग्रेस हर उस जगह है जंहा अराजकता और अलगाववाद को बढ़ावा दिया जा रहा है..
नक्सली और कॉन्ग्रेसी एक जैसे:

1..नक्सली भी ऐसा काम करेंगे कि सरकार बदनाम हो और कॉन्ग्रेसी तो उनसे बढ़कर.
2..ज्बा नक्सलियों की उगाही में किसानों का सहयोग नही मिलता है तो वे किसानों की फसलों को आग लगा देते है। यही कसम काँग्रेसिये कर रहे है इससे पहले यह काम मुस्लिम आक्रमणकारी करते रहे.
3.नक्सली चाहते है कि देश मे अराजकता हो जाय वही काँग्रेसिये भी चाह रहे है...नक्सली चाहते है कि देश मे अराजकता हो जाय वही काँग्रेसिये भी चाहते है और नक्सलियों के साथ मिलकर उनसे ही करवा रहे है..भीमा-कोरेगांव का दंगा प्रत्यक्ष प्रमाण है.
उमा शंकर सिंह
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चर्च को आदेश इटली से मिलता है और छद्म सेकुलर को समर्थन के लिए फतवा पाकिस्तान के समर्थन से मिलता है
वह दिन जल्द आएगा जब हिंदू इस बात को समझेंगे और हिंदुस्तान को बचाने के लिए उनको मुंहतोड़ जवाब देंगे ।
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कहां_है_नोबेल_विजेता_कैलाश_सत्यार्थी
रमज़ान के पावन अवसर पर किसी नमाज़ी ने अपनी बेटी की कुर्बानी दे दी,
किसी ने इस अंधविश्वास और पाखंड के खिलाफ आवाज़ नही बुलंद की,
कोई डिबेट नही,
कोई मानवाधिकार नही,
कोई आंदोलन नही,
कोई अवार्ड वापस नही हुआ किसी की बीबी को डर नही लगा,
कोई देश छोड़कर नही जा रहा !!मामला शांतिदूतों का है। यही काम अगर किसी हिंदू ने कर दिया होता तो सारे मीडिया के भंड़वे हिंदू धर्म को ही सूली पर टॉग दिए होते।न जाने कितनी लानत - मलामत बरस गई होती।सारे लिबरल्स हिंदू धर्म,साधु-संतो और रीति रिवाजों पर फतवे निकाल रहे होते।तथाकथित महिला- एक्टिविस्ट और बच्चों के लिए टीवी पर आंदोलन चलाने वाले लोग और कड़े कानूनों की मांग कर रहे होते।
और वह नोबल पुरस्कार वाला "कैलाश सत्यार्थी "- जिंदा है या चल बसा ?#जोधपुर
Kavita Upadhyay




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