रसूलन बाई की अमर कहानी*
1965 में पाकिस्तान के पास ऐसी ताकत थी जिसका मुकाबला करना भारत की थल सेना के लिए लगभग असंभव सा माना जाता था
पाकिस्तान के पास थी पैटन टैंक जिसको हराना नामुमकिन था
लेकिन लड़ाई शुरु हो चुकी थी भारत की शुरवीर सेना को इस राक्षस
का सामना करना ही था _ऐसे में 32 साल के एक नवयुवक ने रणभूमि में ऐसा कारनामा कर दिखाया कि पैटन टैंकों की धज्जियां उड़ गई_
उसने अकेले ही रणभूमि में हाथ खोले से पैटन टैंकों का सामना किया और *8टैंको को तोड़ दिया* दुनिया के थल सेना के इतिहास में ऐसी घटना अभूतपूर्व थी और हैं
इससे न सिर्फ पाकिस्तान की सेना का मनोबल गिर गया लेकिन पैटन टैंक की अपनी प्रतिष्ठा भी धूल में मिल गई
इस जवान की पत्नी रसूलन बाई उसके घर पर बैठी इंतजार करती रही और यह नौजवान रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हो गया
देश ने इस जवान को परमवीर चक्र से नवाजा लेकिन समय के साथ इस जवान के पराक्रम को देश भूलता चला गया आज की पीढ़ी को शायद ही इस शुरवीर का नाम मालूम हो
*उसका नाम था अब्दुल हमीद*
लेकिन रसूलन बाई अपने पति को कैसे भूलती? हर साल के माफिक इस साल भी वह अपने पति को श्रद्धांजलि देने पहुंची
_अगर आप सच्चे देशभक्त है तो अमर शहीद हमीद की यह कहानी अपने सारे दोस्तों को और खासकर बच्चों को जरूर बताएं_
जय हिन्द
1965 में पाकिस्तान के पास ऐसी ताकत थी जिसका मुकाबला करना भारत की थल सेना के लिए लगभग असंभव सा माना जाता था
पाकिस्तान के पास थी पैटन टैंक जिसको हराना नामुमकिन था
लेकिन लड़ाई शुरु हो चुकी थी भारत की शुरवीर सेना को इस राक्षस
का सामना करना ही था _ऐसे में 32 साल के एक नवयुवक ने रणभूमि में ऐसा कारनामा कर दिखाया कि पैटन टैंकों की धज्जियां उड़ गई_
उसने अकेले ही रणभूमि में हाथ खोले से पैटन टैंकों का सामना किया और *8टैंको को तोड़ दिया* दुनिया के थल सेना के इतिहास में ऐसी घटना अभूतपूर्व थी और हैं
इससे न सिर्फ पाकिस्तान की सेना का मनोबल गिर गया लेकिन पैटन टैंक की अपनी प्रतिष्ठा भी धूल में मिल गई
इस जवान की पत्नी रसूलन बाई उसके घर पर बैठी इंतजार करती रही और यह नौजवान रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हो गया
देश ने इस जवान को परमवीर चक्र से नवाजा लेकिन समय के साथ इस जवान के पराक्रम को देश भूलता चला गया आज की पीढ़ी को शायद ही इस शुरवीर का नाम मालूम हो
*उसका नाम था अब्दुल हमीद*
लेकिन रसूलन बाई अपने पति को कैसे भूलती? हर साल के माफिक इस साल भी वह अपने पति को श्रद्धांजलि देने पहुंची
_अगर आप सच्चे देशभक्त है तो अमर शहीद हमीद की यह कहानी अपने सारे दोस्तों को और खासकर बच्चों को जरूर बताएं_
जय हिन्द
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