Wednesday, 20 June 2018


राहुल गांधी के जन्मदिन पर जबलपुर मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना कांग्रेस को भारी पड़ गई.. एक पूर्व कॉन्ग्रेसी विधायक ने एनसीसी कैडेट्स को राहुल के जन्मदिन पर सद्भावना दौड़ के लिए बुलाया, लेकिन जब पूर्व विधायक ने प्रधानमंत्री की नीतियों के खिलाफ बोलना शुरू किया तो कैडेट्स नाराज हो गए.. दौड़ कार्यक्रम छोड़ कैडेट्स वापस अपनी-अपनी बसों में बैठ गए.. कैमरे के सामने कांग्रेस नेताओं की किरकिरी हुई तो वे कैडेट्स को मनाने पहुंच गए, लेकिन कोई भी कैडेट्स फिर दौड़ में सम्मिलित नहीं हुआ.. सिर्फ चंद कांग्रेसी नेता ही बचे वहाँ पर ! 
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आखिर ये ऐसा क्यों कर रहे हैं?
कांग्रेस और यूपीए की बेताज महारानी सोनिया गांधी ने जब से भारतीय राजनीति में कदम रखा है तब से उनकी भूमिका किसी परीकथा जैसी रहस्यमय रही है। चाहे उनकी शिक्षा हो या इटली और भारत की दोहरी नागरिकाता का सवाल हो, अभी तक सब कुछ रहस्य ही बना है।  अपरोक्ष रूप से डॉ.मनमोहन सिंह सरकार का पूरा नियंत्रण रखना हो या अपने बुड़बक बेटे को पार्टी का अध्यक्ष बनाना हो, मां-बेटे की गुपचुप विदेश यात्रा हो या फिर सोनिया गांधी की गुप्त बीमारीसे लेकर इलाज तक सबकुछ रहस्य बना है। 
सोनिया गांधी की तरह ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी कम रहस्यमय नहीं हैं। वे कहां जाते हैं, कहां ठहरते हैं, किसका लिखा भाषण पढ़ते हैं, किसकी लिखी हिंदी ट्वीट करते हैं कब देश में आते हैं कब जाते हैं; सब कुछ रहस्य है!
 अब तो मां-बेटे द्वारा सुरक्षा को लेकर अपनाया गया नजरिया भी संदेह के घेरे में है ! जब तक देश में रहते हैं तब तक उन दोनों को पूरी टाइट सुरक्षा चाहिए।  लेकिन जैसे ही दोनों मां-बेटे विदेश जाने को होते हैं उन्हें सुरक्षा की जरूरत नहीं पड़ती है। दोनों अपनी सुरक्षा लेने से इनकार कर देते हैं। आखिर ये ऐसा क्यों कर रहे हैं?
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यह चीन या सिंगापुर का नजारा नही है, यह है हमारे भारत के उत्तराखंड के चार धाम के लिए शुरू फोर लेन है ...
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