Tuesday, 12 June 2018

फूलों की घाटी 

फूल प्रेमियों के लिए एक विश्व प्रसिद्ध स्थल , 6 किलोमीटर की दूरी पर घाटी में पुष्पवती नदी और पहाडों और फूलों की घाटी के साथ जो द्रश्य वहाँ देखने को मिलता है वह बहुत ही मनमोहक और धरती पर दूसरे स्वर्ग से कम नहीं है .2005 मे यूनेस्को ने घाटी को विश्व धरोहर घोषित किया :
खुले फूलों की घाटी के दरवाजे : अपार सुन्दरता के साथ प्रतीक्षा मेंआपके
वन महकमा प्रतिवर्ष पहली जून को ही घाटी को पर्यटकों के लिए खोलता है. इससे पूर्व वन विभाग द्वारा पूरी घाटी का सव्रेक्षण घाटी के मार्ग व पुलों की मरम्मत का कार्य किया जाता है. घाटी खुलते ही पहले ही दिन 58 भारतीय पर्यटकों ने घाटी में प्रवेश कर यहां की सैर की. इन दिनों घाटी में प्राइमूला, जेरिनियम, कोबरा लिली, जंगली गुलाब व शांलमपंजा आदि के फूल खिले हैं.
हिमाच्छादित पर्वतों से घिरी हुई यो घाटी, फूलों की 500 से अधिक प्रजातियों से सजी हुई है.
यात्री यहाँ सफेद और पीले अनेमोनेस, दिंथुस, कैलेंडुला, डेज़ी, हिमालय नीले अफीम और घाटी में स्नेक लिली जैसे फूलों की 300 से अधिक प्रजातियों को देख सकते हैं. फूलों के अलावा पर्यटकों को यहाँ काला हिमालयन भालू, कस्तूरी हिरण, बर्फीले तेंदुए, और तितलियों की कुछ दुर्लभ प्रजातियों के साथ-साथ सेरोव्स देखने को मिल सकते हैं.फूलों की घाटी में प्रवेश के लिए भारतीय वयस्क पर्यटकों से 150 रुपये, बच्चों से 50 रुपये तथा विदेशी पर्यटकों से 600 रुपये प्रवेश शुल्क लिया जाता है.
फूलों की ये घाटी प्रक्रति में हो रहे बदलाव के साथ-साथ सादगी संजोए हुए हैं जो इंसान से कहीं ज्यादा अनुशासित है.

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