#प्रधानमंत्री_की_हत्या_के_षड़यंत्र_के_समचार_पर
#सोनिया_कांग्रेस_की_खिल्ली_ने_मुझे_चौंकाया_नहीं
21 मई 1991 की रात लगभग 9:40 पर तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या एक भयानक आत्मघाती बम विस्फोट के द्वारा कर दी गयी थी... आत्मघाती हमलावर का नाम धनु था और घटनास्थल पर रहकर हत्या की उस पूरे षडयंत्र को मूर्त रूप देने वाले आतंकी सरगना का नाम शिवरासन था... इतनी कहानी से तो लगभग पूरा देश परिचित है... लेकिन राजीव गांधी हत्याकांड के कुछ और सच भी थे, जो देश के सामने कभी सार्वजनिक नहीं हुए। कुछ लोगों को छोड़कर वह सच आज तक देश के सामने सार्वजनिक नहीं किये गए... उन सच्चाइयों की कोख से उपजे प्रश्नों के उत्तर न तो खोजे गए और न ही किसी को खोजने दिया गया।
#पहला_सच
जिस श्रीपेरम्बदूर की चुनावी सभा में राजीव गांधी की हत्या हुई, उस श्रीपेरम्बदूर की कांग्रेसी सांसद का नाम मार्गथम चन्द्रशेखर था और वही उस चुनावी सभा की मुख्य कर्ताधर्ता थी।
#दूसरा_सच
जिस आत्मघाती हमलावर धनु ने स्वयं को बम विस्फोट से उड़ाकर राजीव गांधी को मौत के घाट उतार दिया था, वह धनु श्रीलंका से भारत आकर तमिलनाडु में किसी और के घर में नहीं बल्कि मार्गथम चन्द्रशेखर के घर मे गेस्ट बनकर रह रही थी।
#तीसरा_सच
हाई सिक्योरिटी वाले जिस चुनावी सभा मे राजीव गांधी की हत्या हुई उस हाई सिक्योरिटी वाली चुनावी सभा तक मार्गथम चन्द्रशेखर की बेटी लता के साथ ही आत्मघाती हत्यारिन धनु पहुंची थी... लता बाद में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक भी बन गयी थी।
#चौथा_सच
जिस चुनावी सभा के मंच पर राजीव गांधी की हत्या हुई, उस चुनावी सभा के आयोजन के लिए लिट्टे के आतंकी सरगना शिवरासन ने मार्गथम चन्द्रशेखर के बेटे ललित चन्द्रशेखर को 5 लाख रूपये दिए थे... ललित उसी श्रीपेरम्बदूर से ही कांग्रेस के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ रहा था... ललित की पत्नी श्रीलंकाई थी और उसी के माध्यम से धनु मार्गथम चन्द्रशेखर के घर तक पहुंची थी... ध्यान रखें कि जिस समय शिवरासन ने 5 लाख रुपये दिए थे उस समय देश में 10 ग्राम सोने का मूल्य लगभग 3500 रुपये था अर्थात तब के 5 लाख आज के 50 लाख के बराबर थे... इतनी बड़ी रकम कोई व्यक्ति किसी अपरिचित अनजान या कम परिचित व्यक्ति से कभी नहीं लेता।
#पांचवा_सच
तमिलनाडु कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष वी. राममूर्ति ने उस चुनावी सभा की कवरेज के लिए एक वीडियोग्राफर नियुक्त किया था... जिसकी वीडियो फुटेज से यह पता चलता था कि हत्याकाण्ड से पहले धनु किन किन लोगों से घुलमिल कर बातें कर रही थी... वह वीडियो फुटेज उसके परिचितों की पहचान करा रही थी... वी.राममूर्ति ने 22 मई को ही वह वीडियो हत्याकाण्ड की जांच के लिये आईबी के तत्कालीन चीफ एम.के.नारायणन को सौंप दिया था... जिसकी सूचना तत्कालीन प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर को पत्र लिखकर भी दे दी गयी थी। लेकिन बाद में वह वीडियो गायब हो गया।
#छठा_सच
राजीव गांधी हत्याकांड के मुख्य जांच अधिकारी के.रागोथमन ने अपनी किताब Conspiracy to Kill Rajiv Gandhi: From the CBI Files में बहुत स्पष्ट लिखा है कि हत्याकाण्ड की जांच के लिए बनी SIT के चीफ डी.कार्तिकेयन ने बाद में वी.राममूर्ति पर जबरदस्त दबाव डाला था कि वो वीडियो टेप देनेवाली बात पर ज्यादा जोर ना दे दें।
डी.कार्तिकेयन उस समय आईबी चीफ एम.के.नारायण के अधीन ही काम कर रहे थे... 2012 में एक इंटरव्यू में जब कार्तिकेयन से उस वीडियो के बारे में पूछा गया तो कार्तिकेयन ने स्पष्ट कह दिया था कि ऐसे किसी वीडियो की बात ही उन्हें याद नहीं।
#सातवां_सच
डी.कार्तिकेयन और एम.के.नारायणन ने मार्गथम चन्द्रशेखर और उसके परिवार के किसी भी सदस्य को गिरफ्तार कर उनसे कभी पूछताछ ही नहीं की।
#आठवां_सच
इतने बड़े बम धमाके में उस चन्द्रशेखर परिवार के किसी सदस्य और किसी भी बड़े कांग्रेसी नेता को खरोंच तक नहीं आयी... जबकि राजीव जब मंच पर थे तब आयोजक उनके बिल्कुल निकट होने चाहिए थे, लेकिन वो सब एक सुरक्षित दूरी पर रहे... आखिर क्यों ?
#नौवां_सच
उस सर्वाधिक महत्वपूर्ण साक्ष्य वाले वीडियो के गायब होने से 1992 में देश के प्रधानमंत्री बने पी.वी.नरसिम्हा राव अत्यन्त क्रोधित हुए थे... तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी.नरसिम्हा राव ने 1992 में ही एम.के.नारायणन को आईबी चीफ के पद से हटाकर उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने जांच करने का आदेश CBI को दिया था... लेकिन पी.वी.नरसिम्हा राव के पद से हटते ही वह केस खत्म हो गया था तथा यूपीए की सरकार में एम.के.नारायणन को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैसा उच्च पद सौंप दिया गया था... उसके बाद यूपीए सरकार ने एम.के.नारायणन को बंगाल का गवर्नर बनाकर सम्मानित किया था।
के.रागोथमन की किताब तथा श्रीलंका के एक अखबार में कई किस्तों में छपी राजीव हत्याकांड की जांच रिपोर्ट ऐसे कई अन्य तथ्यों से परिचित कराती है... लेकिन उपरोक्त तथ्य ही मेरे लिए इस बात के लिए पर्याप्त हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या के षड़यंत्र की खबर की यदि सोनिया की कांग्रेस खिल्ली उड़ा रही है तो उससे यही उम्मीद की भी जानी चाहिए।
@सतीश चंद्र मिश्रा जी की खोजपरक लेखनी
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