*पिता के मनोभावों से ज्यादा माता के मनोभावों का सन्तान पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए माता का शिक्षित और आध्यात्मिक होना जरूरी है।*
एक पादरी ने माता के मनोभावों और शिक्षा का प्रभाव रिसर्च करने के लिए दो शादियां की। एक आध्यात्मिक और पढ़ी लिखी, दूसरी अनपढ़ और किसान की पुत्री।
दोनों स्त्रियां गर्भवती हुईं, दोनों को वो चर्च बुलाता प्रेयर करवाता, लेकिन पहली वाली तो रुचि लेती और दूसरी वाली को कोई रुचि न थी। पादरी ने दोनों को एक जैसी व्यवस्था दी।
लेकिन जब वो ज्ञान चर्चा करता तो केवल पहली वाली न सिर्फ ध्यान से सुनती, उन्हें नोट करती साथ ही दोहराती रहती। जबकि दूसरी वाली केवल बेमन से बैठती और कोई न कोई बहाने बनाकर अन्य कार्यो में लग जाती।
दोनों ने जब सन्तान को जन्म दिया तो रिज़ल्ट आश्चर्यजनक तरीके से भिन्न थे। एक ही पिता की सन्तान होते हुए भी दोनों पूर्णतः भिन्न मनोभाव के थे। IQ , EQ और SQ पहली वाली की सन्तान का कई गुना दूसरी वाली पत्नी के सन्तान से था।
माता यदि होगी अज्ञान तो बालक कैसे बनेगा महान?
महान बालक चाहिए तो महान माताएं चाहिए।
श्वेता चक्रवर्ती
No comments:
Post a Comment