मोदी सरकार के डर से इस साल 30 ऑडिटर्स ने छोड़ा भारतीय कंपनियों का साथ!
मोदी सरकार की ओर से कॉरपोरेट गवर्नेंस के मानक कड़े किए जाने के चलते ऑडिटिंग कंपनियां असाइनमेंट ही छोड़ दे रही हैं। प्राइम डाटाबेस की ओर से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक 2017 में करीब 7 ऑडिटर्स ने इस्तीफा दिया था, लेकिन इस साल जनवरी से अब तक 30 से अधिक फर्मों ने ऑडिटर के रूप में कंपनियों के असाइनमेंट छोड़ दिए।
हाल के दिनों में मनपसंद बेवरेजेस के महत्वपूर्ण डेटा साझा करने में विफल होने के बाद कंपनी की ऑडिटर डिलॉयट ने रिजाइन कर दिया। कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी अटलांटा लिमिटेड की ऑडिटर प्राइस वाटरहाउस ने रिजाइन किया। वहीं, दिलीप बिल्डकॉन के वैधानिक लेखा परीक्षकों के इस्तीफे की अफवाह के बाद कंपनी का शेयर गिर गया।
जानकारों का कहना है कि इस तरह के कई और इस्तीफे आ सकते हैं। रेग्युलेटर्स का डर या कंपनी के आंतरिक कारण ऑडिटर्स के पलायन की वजह हो सकते हैं। इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि कई मामलों में जब लेखा परीक्षकों ने छोड़ा, उसी के आसपास इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स और कंपनी सचिवों ने भी इस्तीफा दे दिया।
प्राइम डाटाबेस के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव हल्दिया ने कहा, 'जब कम समयावधि के बीच ऑडिटर्स, इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स और सीएस ने इस्तीफा दे दिया, तो आमतौर पर इसका मतलब है कि चेतावनी बंद होनी चाहिए।' कंपनी कानून की अनिवार्यता के बाद ऑडिट रोटेशन समाप्त हो गया।
एक भारतीय ऑडिट फर्म के सीईओ ने कहा, 'जांच के माहौल को देखते हुए, ऑडिट फर्म अतिरिक्त सावधानी बरत रही हैं। नए कंपनी कानून के साथ आईसीएआई की सख्ती के कारण नियामक संस्थागत निरीक्षण में वृद्धि हुई है। कोई ऑडिट कंपनी जोखिम लेने को तैयार नहीं है।'
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