मीनाक्षी मित्तल, जितेन्द्र वन गोस्वामी और 7 अन्य लोग के साथ.
सुप्रभात मित्रों !!
" शंख " को लक्ष्मी का सहोदर अर्थात भाई माना गया है ।
शंख की पूजा इस मंत्र के साथ की जाती है -
" त्वं पुरा सागरोत्पन्न:विष्णुनाविघृत:करे देवैश्चपूजित: सर्वथैपाञ्चजन्यनमोऽस्तुते "
" त्वं पुरा सागरोत्पन्न:विष्णुनाविघृत:करे देवैश्चपूजित: सर्वथैपाञ्चजन्यनमोऽस्तुते "
इस संसार मे अनेकों वस्तुएं ऎसी होती है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। ऎसी चमत्कारी वस्तुओं मे दक्षिणावर्ती शंख भी एक है।
शंख की महिमा और महत्तव प्रत्येक अनुष्ठान मे विशेष रूप से हैं। साधारणत: मंदिर मे रखे जाने वाले शंख उल्टे हाथ के तरफ खुलते हैं और बाज़ार मे आसानी से ये कहीं भी मिल जाते हैं लेकिन दक्षिणावर्ती शंख एक दुर्लभ वस्तु है।
शंख की महिमा और महत्तव प्रत्येक अनुष्ठान मे विशेष रूप से हैं। साधारणत: मंदिर मे रखे जाने वाले शंख उल्टे हाथ के तरफ खुलते हैं और बाज़ार मे आसानी से ये कहीं भी मिल जाते हैं लेकिन दक्षिणावर्ती शंख एक दुर्लभ वस्तु है।
शंख बहुत प्रकार के होतें हैं , लेकिन प्रचलन मे मुख्य रूप से दो प्रकार के शंख है प्रथम वामवर्ती शंख.
दक्षिणावर्ती शंख -
वामवर्ती शंख का पेट बांयी ओर को खुला होता है।
तंत्र शास्त्र मे वामवर्ती शंख की अपेक्षा दक्षिणावर्ती शंख को विशेष महत्त्व दिया गया है। वामवर्ती शंख के विपरीत इनका पेट दायीं ओर खुला होता है , इस प्रकार दायीं ओर की भंवर वाला शंख " दक्षिणावर्ती " कहलाता है।
प्रायः सभी दक्षिणावर्ती शंख मुख बंद किये होते हैं , यह शंख बजाये नहीं जाते हैं , केवल पूजा रूप मे ही काम में लिए जाते हैं।
शास्त्रों में दक्षिणावर्ती शंख के कई लाभ बताये गए है :-
तंत्र शास्त्र मे वामवर्ती शंख की अपेक्षा दक्षिणावर्ती शंख को विशेष महत्त्व दिया गया है। वामवर्ती शंख के विपरीत इनका पेट दायीं ओर खुला होता है , इस प्रकार दायीं ओर की भंवर वाला शंख " दक्षिणावर्ती " कहलाता है।
प्रायः सभी दक्षिणावर्ती शंख मुख बंद किये होते हैं , यह शंख बजाये नहीं जाते हैं , केवल पूजा रूप मे ही काम में लिए जाते हैं।
शास्त्रों में दक्षिणावर्ती शंख के कई लाभ बताये गए है :-
1. राज सम्मान की प्राप्ति
2. लक्ष्मी वृद्धि
3. यश और कीर्ति वृद्धि
4. संतान प्राप्ति
5. बाँझपन से मुक्ति
6. आयु की वृद्धि
7. शत्रु भय से मुक्ति
8. सर्प भय से मुक्ति
9. दरिद्रता से मुक्ति
10. दक्षिणावर्ती शंख मे जल भरकर उसे जिसके ऊपर छिड़क दिया जाये . वह व्यक्ति तथा वस्तु पवित्र हो जाता है
11. सीधे हाथ की तरफ खुलने वाले शंख को यदि पूर्ण विधि-विधान के साथ लाल कपड़े मे लपेटकर अपने घर मे अलग- अलग स्थान पर रखें तो हर तरह की परेशानियों का हल हो सकता है।
12. दक्षिणावर्ती शंख को तिजोरी मे रखा जाए तो घर मे सुख-समृद्धि बढ़ती है।
13. वास्तु-दोषों को दूर करता है
14. दक्षिणावर्ती शंख जहां भी रहता है, वहां धन की कोई कमी नहीं रहती।
15. दक्षिणावर्ती शंख को अन्न भण्डार मे रखने से अन्न, धन भण्डार में रखने से धन, वस्त्र भण्डार में रखने से वस्त्र की कभी कमी नहीं होती। शयन कक्ष मे इसे रखने से शांति का अनुभव होता है।
16. इसमें शुद्ध जल भरकर, व्यक्ति, वस्तु, स्थान पर छिड़कने से दुर्भाग्य, अभिशाप, तंत्र-मंत्र आदि का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
17. किसी भी प्रकार के टोने-टोटके इस शंख के आगे निष्फल हो जाते हैं।
2. लक्ष्मी वृद्धि
3. यश और कीर्ति वृद्धि
4. संतान प्राप्ति
5. बाँझपन से मुक्ति
6. आयु की वृद्धि
7. शत्रु भय से मुक्ति
8. सर्प भय से मुक्ति
9. दरिद्रता से मुक्ति
10. दक्षिणावर्ती शंख मे जल भरकर उसे जिसके ऊपर छिड़क दिया जाये . वह व्यक्ति तथा वस्तु पवित्र हो जाता है
11. सीधे हाथ की तरफ खुलने वाले शंख को यदि पूर्ण विधि-विधान के साथ लाल कपड़े मे लपेटकर अपने घर मे अलग- अलग स्थान पर रखें तो हर तरह की परेशानियों का हल हो सकता है।
12. दक्षिणावर्ती शंख को तिजोरी मे रखा जाए तो घर मे सुख-समृद्धि बढ़ती है।
13. वास्तु-दोषों को दूर करता है
14. दक्षिणावर्ती शंख जहां भी रहता है, वहां धन की कोई कमी नहीं रहती।
15. दक्षिणावर्ती शंख को अन्न भण्डार मे रखने से अन्न, धन भण्डार में रखने से धन, वस्त्र भण्डार में रखने से वस्त्र की कभी कमी नहीं होती। शयन कक्ष मे इसे रखने से शांति का अनुभव होता है।
16. इसमें शुद्ध जल भरकर, व्यक्ति, वस्तु, स्थान पर छिड़कने से दुर्भाग्य, अभिशाप, तंत्र-मंत्र आदि का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
17. किसी भी प्रकार के टोने-टोटके इस शंख के आगे निष्फल हो जाते हैं।
पूजन की विधि -
तंत्र शास्त्र के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख को विधि-विधान पूर्वक जल मे रखने से कई प्रकार की बाधाएं शांत हो जाती है और भाग्य का दरवाजा खुल जाता है। साथ ही धन संबंधी समस्याएं भी समाप्त हो जाती हैं।
दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है।
इसका शुद्धिकरण इस प्रकार करना चाहिए-
लाल कपड़े के ऊपर दक्षिणावर्ती शंख को रखकर इसमें गंगाजल भरें और कुश के आसन पर बैठकर इस मंत्र का जप करें-
दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है।
इसका शुद्धिकरण इस प्रकार करना चाहिए-
लाल कपड़े के ऊपर दक्षिणावर्ती शंख को रखकर इसमें गंगाजल भरें और कुश के आसन पर बैठकर इस मंत्र का जप करें-
“ऊँ श्री लक्ष्मी सहोदरया नम:”
इस मंत्र की कम से कम 5 माला जप करें और इसके बाद शंख को पूजा स्थान पर स्थापित कर दें।
दरिद्रता निवारण एवं लक्ष्मी की प्राप्ति के लिये दीपावली के दिन या फिर किसी शुक्रवार को अष्ट धातु में बने कुबेर एवं श्री यंत्र, लघु नारियल के अतिरिक्त एकाक्षी नारियल, कमलगट्टा का कुछ दाना, 11चित्ति कौडी, 11 गौमती चक्र, गणेश लक्ष्मी बना चांदी का सिक्का, काला लाल गुंजा के दानों को दक्षिणावर्ति शंख मे अरवा चावल के साथ रख कर दीपावली के दिन कुमकुम आदि लगा कर दीपावली पूजन करें।
पूजा करने के दूसरे दिन उसे लाल वस्त्र मे लपेट कर लक्ष्मी की आराधना करते हुए तिजोरी अथवा धन रखने के स्थान मे रखें तथा नित्य पूजा करें ... ऐसा करने से लक्ष्मी स्थिर रहती है एवं दरिद्रता का नाश होता है ।
पूजा करने के दूसरे दिन उसे लाल वस्त्र मे लपेट कर लक्ष्मी की आराधना करते हुए तिजोरी अथवा धन रखने के स्थान मे रखें तथा नित्य पूजा करें ... ऐसा करने से लक्ष्मी स्थिर रहती है एवं दरिद्रता का नाश होता है ।
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मां लक्ष्मी और दक्षिणावर्ती शंख की उत्पत्ति समुद्र से ही हुई है।
दक्षिणावर्ती शंख जिसके घर मे होता है, वहां लक्ष्मी स्थिर होकर रहती है और सब मंगल ही मंगल होता है ,
तंत्र शास्त्र मे धन प्राप्ति के कई प्रयोग बताए गए हैं।
इन प्रयोगों को करने से धन आदि सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
धन प्राप्ति का ऐसा ही एक अचूक प्रयोग इस प्रकार है-
मां लक्ष्मी और दक्षिणावर्ती शंख की उत्पत्ति समुद्र से ही हुई है।
दक्षिणावर्ती शंख जिसके घर मे होता है, वहां लक्ष्मी स्थिर होकर रहती है और सब मंगल ही मंगल होता है ,
तंत्र शास्त्र मे धन प्राप्ति के कई प्रयोग बताए गए हैं।
इन प्रयोगों को करने से धन आदि सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
धन प्राप्ति का ऐसा ही एक अचूक प्रयोग इस प्रकार है-
शुक्ल पक्ष के किसी शुक्रवार के दिन सुबह नहाकर साफ वस्त्र धारण करें और अपने सामने इस दक्षिणावर्ती शंख को रखें।
शंख पर केसर से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का जप करें।
मंत्र जप के लिए स्फटिक की माला का प्रयोग करें।
शंख पर केसर से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का जप करें।
मंत्र जप के लिए स्फटिक की माला का प्रयोग करें।
मंत्र -
" ॐ श्रीं ह्रीं दारिद्रय विनाशिन्ये धनधान्य समृद्धि देहि देहि नम: "
इस मंत्रोच्चार के साथ-साथ एक-एक चावल इस शंख के मुंह मे डालते रहें। चावल टूटे न हो इस बात का ध्यान रखें।
इस तरह प्रतिदिन एक माला मंत्र जप करें।
यह प्रयोग 30 दिन तक करें।
इस तरह प्रतिदिन एक माला मंत्र जप करें।
यह प्रयोग 30 दिन तक करें।
पहले दिन का जप समाप्त होने के बाद शंख में चावल रहने दें और दूसरे दिन एक डिब्बी मे उन चावलों को डाल दें।
इस तरह एक दिन के चावल दूसरे दिन उठाकर डिब्बे मे डालते रहें।
इस तरह एक दिन के चावल दूसरे दिन उठाकर डिब्बे मे डालते रहें।
30 दिन बाद जब प्रयोग समाप्त हो जाए तो चावलों व शंख को एक सफेद कपड़े मे बांधकर अपने पूजा घर मे, फैक्ट्री, कारखाने या ऑफिस मे स्थापित कर दें। इस प्रयोग से आपके घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।
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