फ़्रांस में हुआ भयंकर आतंकी हमला
फ्रांस के सेकुलर सुअरो के मुंह पर बड़ा तमाचा है जिन्होंने फ़्रांस में इस्लाम को खूब बढ़ावा दिया और खूब मुस्लिम शरणार्थीयो को अपने यहाँ नागरिकता दी ...
ये शांतिदूत जब अपनी मातृभूमि में नही हुए तो उस भूमि के कैसे होंगे जो इन्हें शरण दी है ?
फ्रांस पर लम्बे समय तक वामपंथी दलों ने शासन किया और उन्होंने फ़्रांस की असली संस्कृति को पूरी तरह से खत्म कर दिया ... सत्तर के दशक में जब धार्मिक नेता के चोले में छुपा आतंकी अयातुल्लाह खुमैनी ईरान के शाह रजा पहलवी के खिलाफ बगावत की साजिश कर रहा रहा था तब उसे देश निकाला दे दिया गया ... फिर फ्रांस में उसे उसके ४०० साथियों के साथ शरण दिया ..
इस्लामिक क्रांति के पहले ईरान दुनिया का सबसे आधुनिक और सबसे तेज तरक्की करता हुआ देश था .. उसमे अमेरिका सहित सभी पश्चिमी देशो और भारत के साथ काफी मधुर सम्बन्ध थे .. शरिया कानून नही था .. और तेहरान को "पेरिस ऑफ़ मिडिल ईस्ट" तथा "इस्फहान को "मियामी ऑफ़ मिडिल ईस्ट" और शिराज को "न्यूयार्क ऑफ़ मिडिल ईस्ट" कहा जाता था .. ईरान के समुदी तटो पर बिकनी पहले युवतियां घुमती थी .. कारे चलाती थी .. तेहरान युनिवर्सिटी उस समय शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र था ...
फिर यूपी के बाराबंकी के मूल निवासी अयातुल्लाह खुमैनी जिसके दादा बाराबंकी से खुमैन जाकर बस गये थे उसने तेहरान युनिवर्सिटी के छात्रों को इस्लाम के बारे में जागरूक करना शुरू किया .. उन्हें समझाया की हमारे मुल्क में जो हो रहा है वो इस्लामिक मूल्यों के खिलाफ है .. ईरान में शरिया कानून लागु होने चाहिए .. छात्र उसके बातो में आने लगे और उनके अंदर छुपा इस्लामिक शैतान जागने लगा ..
फिर ईरान के शासक शाह रजा पहलवी ने अयातुल्लाह खुमैनी को गिरफ्तार कर लिया और मृत्यु दंड दिया ..
लेकिन धूर्त खुमैनी ने माफ़ी मांग ली और कहा की वो अब सिर्फ धार्मिक कार्यो में ही लिप्त रहेगा .. उसी समय फ़्रांस पर वामपथी पार्टी सत्ता में थी और तेहरान में फ्रासीसी दूतावास में वामपंथीयो का कब्जा था .. उन्होंने पहलवी के सामने एक प्रस्ताव रखा की फ़्रांस खुमैनी और उसके साथियों को शरण देने के लिए तैयार है .. फिर खुमैनी पेरिस चला गया |
लेकिन धूर्त खुमैनी ने माफ़ी मांग ली और कहा की वो अब सिर्फ धार्मिक कार्यो में ही लिप्त रहेगा .. उसी समय फ़्रांस पर वामपथी पार्टी सत्ता में थी और तेहरान में फ्रासीसी दूतावास में वामपंथीयो का कब्जा था .. उन्होंने पहलवी के सामने एक प्रस्ताव रखा की फ़्रांस खुमैनी और उसके साथियों को शरण देने के लिए तैयार है .. फिर खुमैनी पेरिस चला गया |
लेकिन ये खुमैनी इतना धूर्त था की पेरिस में अपने भाषणों का कैसेट बनवाता था और उसे फ्रासीसी दूतावास की मदद से तेहरान युनिवर्सिटी के छात्रों तक पहुंचा देता था ... फिर उसने छात्रों से मिलकर एक बड़ी इस्लामिक क्रांति करने के लिए भडकाया और छात्रों ने ईरान में एक बड़ी बगावत की जिससे शाह रजा पहलवी का तख्ता पलट हो गया और उसे अमेरिका भागना पड़ा ... फिर अयातुल्लाह खुमैनी किसी नायक की तरह तेहरान आया ..
आज हालत ऐसे हो गये की ईरान ने लोग शाह के जमाने को याद करके रोते है ..पुरे ईरान को सख्त शरिया कानूनों से जकड़ दिया गया ..महिलाओ की जिन्दगी नर्क बना दी गयी ..
खैर ... फ्रांस में अब कट्टरपंथी ईसाई नेशनलिस्ट पार्टी तेजी से आगे बढ़ रही है .जिसका नेतृत्व एक २६ साल की युवा लडकी कर रही है .. इस पार्टी के घोषणापत्र में है की सत्ता में आने पर सभी शरणार्थी मुस्लिमो को उनके मूल देश वापस भेजा जायेगा और मुस्लिमो से नागरिकता के सभी अधिकार छीन लिए जायेंगे ... अभी इस पार्टी में २२ सांसद है .
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