Saturday, 21 November 2015

आतंकवाद के अड्डे सिद्ध ..... कुरान की अनेक विवादित आयतें स्कूली पाठयक्रम से हटा दी

Farhana Taj
,,,,,,,सच तो यह है कि हर जिहादी हमले का गहरा वास्ता है उस इस्लाम से, जो पंद्रह सौ साल पहले कायम था हजरत मोहम्मद के जमाने में। जिहादी हमलावर बार-बार कह चुके हैं कि वह उस जमाने को दोबारा जिंदा करना चाहते हैं, 
25 अगस्त 1971 को इजरायल के पीएम बेगिन ने मिस्र की यात्रा के दौरान कुरान की आपत्तिजनक आयतों पर टिप्पणी की थी, इसके फलस्वरूप इजिप्ट ने 1979 में कुरान की अनेक विवादित आयतें स्कूली पाठयक्रम से हटा दी थी।
12 दिसंबर 2001 को न्यूयार्क टाइम्स में थामस फ्राइड मेन ने जमात और मदरसों को बड़े ही तार्किक ढंग से आतंकवाद के अड्डे सिद्ध किए थे,
 इसका प्रभाव हुआ 13 जुलाई 2002 को यमन ने शिक्षा में एकरूपता लाने के लिए कुरान की पुनर्व्याख्या की और विरोध करने पर 16 उलेमाओ को जेल की काल कोठरी में डाल दिया था।
कई मुस्लिम देश अपनी शिक्षा नीति बदलने पर विचार करने को विवश हो गए हैं, नई शिक्षा नीति में जहां कुरान की काफिरों के दमन और औरतों के शर्मगाहों से संबंध बेतुकी आयते पाठयक्रमों से हटाई जाएंगी, वहीं योग और आयुर्वेद को इस्लामिक पाठ्यक्रम में पहली बार जगह मिलने जा रही है। योग को शिक्षा नीति में स्थान देने वाला यमन पहला मुस्लिम देश होगा।
अल अजहर विवि काहिरा ने इब्ने तैमिना की किताबों पर बैन लगा दिया है, मिस्र व जार्डन में भी 13वीं सदी के इस जिहादी लेखक की पुस्तकों को बैन कर दिया गया है। इब्ने तैमिना आईएस आतंकियों के आदर्श हैं।
पाकिस्तान तो मुस्लिम की परिभाषा को लेकर जन्म काल से ही भ्रमित है। 1954 में पाकिस्तान ने मुनीर कमीशन गठित किया था ताकि मुस्लिम कौन हैं, की परिभाषा दी जा सके, लेकिन आज तक पाक को पता नहीं कि असली मुस्लिम कौन हैं...शिया या सुन्नी या फिर कोई ओर....इस्लाम किधर जा रहा है और कहां जाएगा...यह किसी को नहीं पता, लेकिन भारत विश्व गुरु बनकर ऐसा मार्गदर्शन अवश्य करके रहेगा कि मानव को किस ओर जाना चाहिए।
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