अग्ने नय सुपथा राय अस्मान विश्वानि देव वयुनानि विद्वान।
युयोध्यस्मज्जुहुराणमेनो भूयिष्ठां ते नम उक्ति विधेम स्वाहा।।
मन्त्रार्थ-
हे ज्ञानप्रकाशस्वरूप, सन्मार्गप्रदर्शक दिव्यसामर्थ्ययुक्त परमात्मन् ! हमको ज्ञानविज्ञान, ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति के लिए धमर्युक्त कल्याणकारी मार्ग से ले चल। आप समस्त ज्ञानविज्ञानों और कर्मों को जानने वाले हैं हमसे कुटिलतायुक्त पापरूप कर्म को दूर कीजिये। इस हेतु से हम आपकी विविध प्रकार की और अधिकाधिक स्तुतिप्रार्थनाउपासना, सत्कार नम्रतापूर्वक करते हैं।
युयोध्यस्मज्जुहुराणमेनो भूयिष्ठां ते नम उक्ति विधेम स्वाहा।।
मन्त्रार्थ-
हे ज्ञानप्रकाशस्वरूप, सन्मार्गप्रदर्शक दिव्यसामर्थ्ययुक्त परमात्मन् ! हमको ज्ञानविज्ञान, ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति के लिए धमर्युक्त कल्याणकारी मार्ग से ले चल। आप समस्त ज्ञानविज्ञानों और कर्मों को जानने वाले हैं हमसे कुटिलतायुक्त पापरूप कर्म को दूर कीजिये। इस हेतु से हम आपकी विविध प्रकार की और अधिकाधिक स्तुतिप्रार्थनाउपासना, सत्कार नम्रतापूर्वक करते हैं।
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