'
- अजित डोवाल
" इस दुनिया में सबसे बड़ी अदालत इतिहास की है,
कोर्ट में क्या हुआ, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में क्या
हुआ, युद्ध में क्या हुआ, इलेक्शन में क्या हुआ इन सबका
कोई मूल्य नहीं है, मूल्य है तो सिर्फ इस बात का कि
इतिहास में क्या लिखा जाएगा???
और, यदि आप इतिहास उठा कर देखें तो आपको पता
चलेगा कि इतिहास ने कभी उसका साथ नहीं दिया
जो न्याय संगत था, इतिहास ने कभी उसका साथ
नहीं दिया जो शांतिप्रिय था, अपितु इतिहास की
अदालत में सदैव वही विजयी हुआ है जो शक्तिशाली
था।
यदि इतिहास न्यायसंगत लोगों का साथ देता तो
आज दिल्ली में बाबर रोड है, परन्तु राणा सांगा रोड
क्यों नहीं है ??, क्योंकि बाबर आया और उसने राणा
सांगा को हरा दिया, भले ही राणा सांगा सही थे,
न्यायसंगत थे परन्तु आज इतिहास ने उन्हें भुला दिया है।
हमारे हजारों वर्ष के इतिहास में हम हिन्दुओं ने कभी
किसी पर आक्रमण नहीं किया, किसी अन्य धर्म को
आहत नहीं किया, कभी भी हमने अन्य धर्म के
धार्मिक स्थलों को नहीं तोड़ा, परन्तु इतिहास में
जिस भारतवर्ष की सीमाएं अफगानिस्तान / ईरान
तक थी आज सिकुड़कर केवल वर्तमान इण्डिया तक रह
गयी हैं ,क्यों आखिर ऐसा क्यों हुआ ?? क्या जरूरत से
ज्यादा अहिंसा , सहनशीलता और मानवता दिखाने
का क्या यह परिणाम नहीं था ??
हम न्यायसंगत थे, हम शांतिप्रिय थे, हम मानवता में
विश्वास करते थे, परन्तु इतिहास ने हमें सजा दी, सजा
इस बात की कि हमने अपनी शक्तियों का प्रयोग
नहीं किया। यदि विदेशी आक्रांताओं की शक्ति
और उस समय भारतवर्ष की शक्ति का अनुपात
निकाला जाए तो 1: 1000 का अनुपात भी नहीं
था, फिर भी हम पर विदेशियों ने शासन किया
क्योंकि हिन्दू शक्ति बंटी हुई थी एकजुट नहीं थी
,और न सिर्फ उन मुस्लिम और अंग्रेज लुटेरों ने शासन
किया वरन् जब उनका मन भर गया और वे जाने लगे तो
यहां की सत्ता अपने गुलामों को सौंप गए, और तब
भारत में गुलाम वंश का उदय हुआ।
इतिहास ने हमें सिर्फ इस बात की सजा दी कि हमने
राष्ट्रहित से आगे अपने आदर्शों को रखा, यदि कभी
भी आपके आदर्शों और राष्ट्रहित के बीच में टकराव
की स्तिथि पैदा हो तो हमेशा आदर्शों से पहले
राष्ट्रहित को ही चुनें अर्थात राष्ट्रहित में यदि कोई
अनैतिक कार्य भी करना पड़े तो करें, महाभारत में
भगवान श्री कृष्ण भी भ्रमित अर्जुन को बार-२ यही
समझा रहे होते हैं की दुष्ट को पापी को अधर्मी को
अगर अधर्मपूर्वक भी मारना पड़े तो वह भी धर्म ही
होगा ना की अधर्म ''
- अजित डोवाल
( पीएम मोदी द्वारा नियुक्त किये गये भारत के
वर्तमान सुरक्षा सलाहकार )
- अजित डोवाल
" इस दुनिया में सबसे बड़ी अदालत इतिहास की है,
कोर्ट में क्या हुआ, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में क्या
हुआ, युद्ध में क्या हुआ, इलेक्शन में क्या हुआ इन सबका
कोई मूल्य नहीं है, मूल्य है तो सिर्फ इस बात का कि
इतिहास में क्या लिखा जाएगा???
और, यदि आप इतिहास उठा कर देखें तो आपको पता
चलेगा कि इतिहास ने कभी उसका साथ नहीं दिया
जो न्याय संगत था, इतिहास ने कभी उसका साथ
नहीं दिया जो शांतिप्रिय था, अपितु इतिहास की
अदालत में सदैव वही विजयी हुआ है जो शक्तिशाली
था।
यदि इतिहास न्यायसंगत लोगों का साथ देता तो
आज दिल्ली में बाबर रोड है, परन्तु राणा सांगा रोड
क्यों नहीं है ??, क्योंकि बाबर आया और उसने राणा
सांगा को हरा दिया, भले ही राणा सांगा सही थे,
न्यायसंगत थे परन्तु आज इतिहास ने उन्हें भुला दिया है।
हमारे हजारों वर्ष के इतिहास में हम हिन्दुओं ने कभी
किसी पर आक्रमण नहीं किया, किसी अन्य धर्म को
आहत नहीं किया, कभी भी हमने अन्य धर्म के
धार्मिक स्थलों को नहीं तोड़ा, परन्तु इतिहास में
जिस भारतवर्ष की सीमाएं अफगानिस्तान / ईरान
तक थी आज सिकुड़कर केवल वर्तमान इण्डिया तक रह
गयी हैं ,क्यों आखिर ऐसा क्यों हुआ ?? क्या जरूरत से
ज्यादा अहिंसा , सहनशीलता और मानवता दिखाने
का क्या यह परिणाम नहीं था ??
हम न्यायसंगत थे, हम शांतिप्रिय थे, हम मानवता में
विश्वास करते थे, परन्तु इतिहास ने हमें सजा दी, सजा
इस बात की कि हमने अपनी शक्तियों का प्रयोग
नहीं किया। यदि विदेशी आक्रांताओं की शक्ति
और उस समय भारतवर्ष की शक्ति का अनुपात
निकाला जाए तो 1: 1000 का अनुपात भी नहीं
था, फिर भी हम पर विदेशियों ने शासन किया
क्योंकि हिन्दू शक्ति बंटी हुई थी एकजुट नहीं थी
,और न सिर्फ उन मुस्लिम और अंग्रेज लुटेरों ने शासन
किया वरन् जब उनका मन भर गया और वे जाने लगे तो
यहां की सत्ता अपने गुलामों को सौंप गए, और तब
भारत में गुलाम वंश का उदय हुआ।
इतिहास ने हमें सिर्फ इस बात की सजा दी कि हमने
राष्ट्रहित से आगे अपने आदर्शों को रखा, यदि कभी
भी आपके आदर्शों और राष्ट्रहित के बीच में टकराव
की स्तिथि पैदा हो तो हमेशा आदर्शों से पहले
राष्ट्रहित को ही चुनें अर्थात राष्ट्रहित में यदि कोई
अनैतिक कार्य भी करना पड़े तो करें, महाभारत में
भगवान श्री कृष्ण भी भ्रमित अर्जुन को बार-२ यही
समझा रहे होते हैं की दुष्ट को पापी को अधर्मी को
अगर अधर्मपूर्वक भी मारना पड़े तो वह भी धर्म ही
होगा ना की अधर्म ''
- अजित डोवाल
( पीएम मोदी द्वारा नियुक्त किये गये भारत के
वर्तमान सुरक्षा सलाहकार )
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