मुस्लिम समुदाय बहुत खतरनाक गेम प्लान कर रहे हैं हिन्दूत्व, हिन्दू और मोदी को रास्ते से हटाने को, खुफिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय एनआर आई द्वारा इन्टरनेट के माध्यम से विश्व समुदाय को बताया जा रहा है की भारत में मुसलमानों के साथ अत्याचार हो रहा है जब की सच्चाई ये है की मुसलमानों के अत्याचार से हिन्दू त्राहिमाम् कर रहे हैं हर जगह बहुरूपिये बन कर हिन्दू लड़कियों से सामुहिक बलात्कार हो रहा है और हिन्दू समुदाय मोदी जी की सम्मान के खातिर चुप हैं यही नहीं, भारत में इस्लामीकरण ख़तरनाक रूप में पहुँच चुका है.
इसको समझने के लिए इस कहानी को ध्यान से समझें.
इसको समझने के लिए इस कहानी को ध्यान से समझें.
एक बांग्लादेशी भारत पहुँचता है और अंबाला जिले में कहीं भटक जाता है. उसके पास ना पैसे होते हैं और ना ही वो किसी को जनता है. वो किसी प्रकार सबसे नज़दीकी मस्जिद में पहुँचता है और वहाँ उसे शरण मिल जाती है. हर जिले में एक शाही मस्जिद होती है जिससे शहर की हर मस्जिद जुड़ी रहती है. वो बांग्लादेशी अंबाला जिले की शाही मस्जिद में भेज दिया जाता है जहाँ उसे शरण मिल जाती है.
हर जिले की शाही मस्जिद दिल्ली की जामा मस्जिद से जुड़ी रहती है. दिल्ली की जामा मस्जिद के पास उत्तर भारत के इस्लामीकरण की ज़िम्मेदारी है. उसके पास उत्तर भारत के हर लोक सभा क्षेत्र का और उसमें रहने वाली मुस्लिम आबादी का रिकार्ड होता है. अब वो बांग्लादेशी दिल्ली पहुँच कर जामा मस्जिद में
शरण लेता है. जामा मस्जिद ये चेक करती है की उत्तर भारत के किस लोक सभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी कम है.
शरण लेता है. जामा मस्जिद ये चेक करती है की उत्तर भारत के किस लोक सभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी कम है.
मान लीजिए उत्तर प्रदेश के झाँसी में मुस्लिम आबादी कम है. जामा मस्जिद उस बांग्लादेशी को झाँसी जिले की शाही मस्जिद में भेज देती है. झाँसी की शाही मस्जिद के इमाम वक़्फ़ बोर्ड की सहायता से उस बांग्लादेशी के रहने का प्रबंध
करते हैं और उसके रोज़गार का भी प्रबंध करते हैं. वो बांग्लादेशी लोकल मुस्लिम और भ्रष्ट नेता और अफसरों की सहायता से भारतीय पासपोर्ट बनवा लेता है. और दूसरे ज़रूरी कागजात भी तय्यार करवा लेता है.
करते हैं और उसके रोज़गार का भी प्रबंध करते हैं. वो बांग्लादेशी लोकल मुस्लिम और भ्रष्ट नेता और अफसरों की सहायता से भारतीय पासपोर्ट बनवा लेता है. और दूसरे ज़रूरी कागजात भी तय्यार करवा लेता है.
अब जो बांग्लादेशी कुछ दिन पहले अंबाला शहर में बिना किसी पैसे और जान पहचान के भटक रहा था......वो झाँसी जिले में रहने वाला एक भारतीय
नागरिक बन चुका है.
नागरिक बन चुका है.
ये तो एक बांग्लादेशी की कहानी है. देश में रोज बड़ी संख्या में बाग्लादेशी और पाकिस्तानी क़बायली बन्जारे आते हैं. वक़्फ़ बोर्ड की सहायता से भारतीय नागरिक बन जाते हैं. बांग्लादेश और पाकिस्तान में लोग 40 बच्चे पैदा करते हैं. एक बच्चा अपने साथ रखते हैं और बाकी भारत भेज देते हैं. भारत में दाखिल हुए मुस्लिम अधिकतर प्रॉपर्टी का और ठेकेदारी का व्यापार करते हैं.
समाजवादी पार्टी जैसी भ्रष्ट सरकारें वक़्फ़ बोर्ड को वोट के बदले ज़मीन दे देती हैं. नगरपालिका के भ्रष्ट अफ़सर रिश्वत लेके बर्थ सर्टिफिकट बना देते हैं. पोलीस और ख़ुफ़िया विभाग के अफ़सर रिश्वत लेकर पासपोर्ट की फाइल बिना किसी
वेरिफिकेशन के आगे बढ़ा देते हैं.
वेरिफिकेशन के आगे बढ़ा देते हैं.
इस प्रकार एक सुनुयोजित ढंग से भारत का इस्लामीकरण हो रहा है. ये कॉंग्रेस के शासन कल में भी होता था. लेकिन तब फ़र्ज़ी पासपोर्ट बनते थे. पिछले एक साल से पोलीस वेरिफिकेशन के सिस्टम में बदलाव आ गया है. अब घुसपैठिए असली पासपोर्ट बनवा रहे हैं. भारत सरकार ने बांग्लादेशियों को भारत में शरण लेने की अनुमति दे दी है जिसका असम में भारी विरोध हो रहा है.
सीमा समझौते के बाद ब्रह्मपुत्र नदी के माध्यम से पूर्वोत्तर के राज्यों में घुसपैठ आसान हो गयी है. उत्तर प्रदेश के किसी भी पासपोर्ट ऑफीस के बाहर रोज बड़ी संख्या में मुस्लिम देखे जा सकते हैं.
इतने मुस्लिम कहाँ से आते हैं. इतनी आबादी कैसे हो गयी. कई वर्षों से यही हाल है. ये संदेह पैदा कर रहा है. ये आबादी भारतीय नही है.समाजवादी सरकार आने के बाद पासपोर्ट ऑफीस के बाहर मुस्लिम आबादी बढ़ी है. अगर ये भारतीय होते तो रोज इतनी संख्या में ना दिखते. हैरानी इस बात की है की रोज कम से कम 500 मुस्लिम पासपोर्ट ऑफीस के भहर पिछले 3 साल से दिख रहे हैं और अभी तक सबके पासपोर्ट नही बने. ये सोचने योग्य विषय है.
हम भारतीय इस समस्या के सामने बेबस हैं. ना जाने कितने विदेशी मुस्लिम भारतीय नागरिक बन चुके हैं. अब हिंदू समाज के लिए एक जुट होकर कुछ करने
का समय है. अब वक़्फ़ क़ानून को समाप्त करना होगा.
का समय है. अब वक़्फ़ क़ानून को समाप्त करना होगा.
संपत्ति के खरीदने और बेचने पर सरकार को नज़र रखनी होगी और केवल सरकारी मध्यम से ही संपत्ति के खरीदने और बेचने की व्यवस्था करनी होगी. भारत के अनेक जिलों का खास कर उत्तर प्रदेश, केरल और बंगाल का धार्मिक समीकरण बिल्कुल बदल चुका है. 2021-22 की जान गणना में हिंदू अल्पसंख्यक हो सकते हैं.
अब समय है की सही नेतृत्व की तलाश करके अपना बचाव किया जाए
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