4 रुपए से की शुरुआत, अब सिर्फ सब्जियां उगाकर कमा रहे 50 हजार रोजाना
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मेहनत के दम से खेत में काम करने वाले एक बनिहार ने मिसाल कायम की है। उसने अपने काम को इतना बढ़ाया कि आज वह रोजाना करीब 50 हजार रुपए की सब्जियां पावर हाउस व कुम्हारी सब्जी मंडी तक उपलब्ध करा रहा है। छत्तीसगढ़ में भिलाई के दूगधर बनिहार ने कभी चार रुपए की रोजी पर काम किया था। सब्जियां टोकरी में लेकर साइकिल के जरिए कुम्हारी की गलियों में बेची।
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मेहनत के दम से खेत में काम करने वाले एक बनिहार ने मिसाल कायम की है। उसने अपने काम को इतना बढ़ाया कि आज वह रोजाना करीब 50 हजार रुपए की सब्जियां पावर हाउस व कुम्हारी सब्जी मंडी तक उपलब्ध करा रहा है। छत्तीसगढ़ में भिलाई के दूगधर बनिहार ने कभी चार रुपए की रोजी पर काम किया था। सब्जियां टोकरी में लेकर साइकिल के जरिए कुम्हारी की गलियों में बेची।
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इसके बाद आज अपने कारोबार को इतना बढ़ाया कि वह 160 एकड़ जमीन को लीज पर लेकर सभी प्रकार की सब्जियों की खेती कर रहा है। इतना ही नहीं वह अपने खेत में करीब 125 बनिहारों का पेट पाल रहा है। उन्हें दो वक्त की रोटी उपलब्ध करा रहा है। उसके इस जज्बे को लेकर राज्य शासन ने भी उसे सम्मानित किया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह स्वयं उसे सम्मानित कर चुके हैं।
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उड़ीसा का रहने वाला
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दुगधर मूलत: उड़ीसा का रहने वाला है। उसके पिता यहां आकर बसे। इसके बाद से दुगधर का पूरा बचपन यही बीता। गरीबी के चलते वह कभी भी स्कूल नहीं जा सका। लेकिन आज प्रदेश ही नहीं अन्य प्रदेशों के किसान उसके खेत देखने आते हैं। उसके द्वारा किए गए कामों की जानकारी लेते हैं। दुगधर भी उन्हें खेती की बारीकियां बताता है कि कैसे उसने अपनी खेती को बढ़ाया। मेहनत ने कैसे आगे बढ़ाया।
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पाल रहा 125 लोगों का पेट
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वर्तमान में दुगधर अपने 160 एकड़ की बाड़ी में 125 बनिहारों का पेट पाल रहा है। इसमें भी खास बात यह है कि इसमें बंगाली, उड़िया, यूपी-बिहारी के अलावा प्रदेश के लोग भी शामिल हैं।
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कैसे पार किया मील का पत्थर
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दुगधर की उम्र 42 वर्ष है। वह 14 साल की उम्र से कुम्हारी में ही एक के खेत में काम करता था। जहां उसे दिन की मजदूरी महज चार रुपए मिला करती थी। दो से तीन साल काम करने के बाद उसकी मजदूरी बढ़ा कर 12 रुपए कर दी गई। लेकिन काम की अवधि बढ़ा दी गई। 12 रुपए में वह 12 घंटे काम किया करता। इसके बाद उसने स्वयं का कारोबार करने की ठानी और सब्जियों की टोकरी लेकर स्वयं बाजार में उतर गया।
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उड़ीसा का रहने वाला
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दुगधर मूलत: उड़ीसा का रहने वाला है। उसके पिता यहां आकर बसे। इसके बाद से दुगधर का पूरा बचपन यही बीता। गरीबी के चलते वह कभी भी स्कूल नहीं जा सका। लेकिन आज प्रदेश ही नहीं अन्य प्रदेशों के किसान उसके खेत देखने आते हैं। उसके द्वारा किए गए कामों की जानकारी लेते हैं। दुगधर भी उन्हें खेती की बारीकियां बताता है कि कैसे उसने अपनी खेती को बढ़ाया। मेहनत ने कैसे आगे बढ़ाया।
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पाल रहा 125 लोगों का पेट
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वर्तमान में दुगधर अपने 160 एकड़ की बाड़ी में 125 बनिहारों का पेट पाल रहा है। इसमें भी खास बात यह है कि इसमें बंगाली, उड़िया, यूपी-बिहारी के अलावा प्रदेश के लोग भी शामिल हैं।
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कैसे पार किया मील का पत्थर
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दुगधर की उम्र 42 वर्ष है। वह 14 साल की उम्र से कुम्हारी में ही एक के खेत में काम करता था। जहां उसे दिन की मजदूरी महज चार रुपए मिला करती थी। दो से तीन साल काम करने के बाद उसकी मजदूरी बढ़ा कर 12 रुपए कर दी गई। लेकिन काम की अवधि बढ़ा दी गई। 12 रुपए में वह 12 घंटे काम किया करता। इसके बाद उसने स्वयं का कारोबार करने की ठानी और सब्जियों की टोकरी लेकर स्वयं बाजार में उतर गया।
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