- फ्रांस में पचास लाख मुसलमान रहते हैं. ताज़ा हमले के बाद ISIS स्टाईल जेहाद के खिलाफ आयोजित एक रैली में कितने मुस्लिम एकत्रित हुए? सिर्फ 30...
- जुलाई 2015 में आयरलैंड में ISIS के खिलाफ हुई रैली में सिर्फ दस लोग आए थे...
- अगस्त 2013 में "इस्लाम एक हिंसक मज़हब है" इस भ्रान्ति(?) को दूर करने के लिए बोस्टन में एक रैली आयोजित की गई जिसमें सिर्फ 25 मुस्लिम शामिल हुए...
- जून 2013 में टोरंटो में "अल-कायदा" के खिलाफ आयोजित रैली में भी 25-30 मुस्लिम ही शामिल हो पाए थे...
- जुलाई 2015 में आयरलैंड में ISIS के खिलाफ हुई रैली में सिर्फ दस लोग आए थे...
- अगस्त 2013 में "इस्लाम एक हिंसक मज़हब है" इस भ्रान्ति(?) को दूर करने के लिए बोस्टन में एक रैली आयोजित की गई जिसमें सिर्फ 25 मुस्लिम शामिल हुए...
- जून 2013 में टोरंटो में "अल-कायदा" के खिलाफ आयोजित रैली में भी 25-30 मुस्लिम ही शामिल हो पाए थे...
लेकिन...- पैगम्बर मोहम्मद पर बने कार्टून के खिलाफ चेचन्या, लीबिया, और कतर में हुई रैली में कुल आठ लाख लोगों ने हिस्सा लिया...
- पाकिस्तान में शार्ली हेब्दो के खिलाफ हुई रैली में दस हजार लोग शामिल थे...
- शार्ली हेब्दो के खिलाफ हुई रैली में ऑस्ट्रेलिया में एक हजार मुस्लिमों ने शिरकत की...
- किर्गीस्तान में भी ऐसे ही प्रदर्शन में हजारों लोग शामिल थे...
- ब्रिटेन में भी शार्ली हेब्दो के विरोध में हुई रैली में सैकड़ों मुस्लिम चले आए...
- शार्ली हेब्दो के खिलाफ हुई रैली में ऑस्ट्रेलिया में एक हजार मुस्लिमों ने शिरकत की...
- किर्गीस्तान में भी ऐसे ही प्रदर्शन में हजारों लोग शामिल थे...
- ब्रिटेन में भी शार्ली हेब्दो के विरोध में हुई रैली में सैकड़ों मुस्लिम चले आए...
भारत में बाटला हाउस में मारे गए आतंकवादियों के समर्थन में हजारों लोग आजमगढ़ से चले आए थे... इसी प्रकार मुम्बई के आज़ाद मैदान में भी रज़ा अकादमी ने शहीद स्मारक तोड़ने का दुष्कृत्य करने वाले हजारों को मुस्लिमों को एक आवाज़ पर इकठ्ठा कर लिया था... जबकि बेचारी शाहबानो के पक्ष में सौ मुस्लिम भी मजबूती से नहीं खड़े हुए... तस्लीमा नसरीन के पक्ष में एक हजार मुस्लिम भी जोर से नहीं बोलते... "शाकाहारी बकरीद" की माँग पर भोपाल में सरेआम पिटाई की गई मुस्लिम महिला PETA कार्यकर्ता के बचाव में भी कोई मुसलमान नहीं आया....
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अजीत डोवल ... स्टेप - 6
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छोटा शकील का साथी "सैयद नियामत" ने कर्नाटक के कई नेताओ की हत्या का प्लान बनाया था.. उसके प्लान के मुताबिक राजनेताओ की हत्या करके सांप्रदायिक रंग देकर पुरा देश का माहोल खराब करना था...
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अजीत डोवल, छोटा राजन और खुफिया एजन्सी ने "मददगार" बनकर ऐसी जाल बिछाई कि.. सैयद नियामत खुद आज कर्नाटक आकर मददगार को मिलकर हत्याओ का सिलसिला शुरु करने का प्लान था.. जैसे ही "सैयद नियामत" कर्नाटक आया .. पकडकर बंध कर दिया गया !!
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छोटा शकील का साथी "सैयद नियामत" ने कर्नाटक के कई नेताओ की हत्या का प्लान बनाया था.. उसके प्लान के मुताबिक राजनेताओ की हत्या करके सांप्रदायिक रंग देकर पुरा देश का माहोल खराब करना था...
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अजीत डोवल, छोटा राजन और खुफिया एजन्सी ने "मददगार" बनकर ऐसी जाल बिछाई कि.. सैयद नियामत खुद आज कर्नाटक आकर मददगार को मिलकर हत्याओ का सिलसिला शुरु करने का प्लान था.. जैसे ही "सैयद नियामत" कर्नाटक आया .. पकडकर बंध कर दिया गया !!
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आखिर खुबसुरत, हीरे की राजधानी, शांत यूरोपीय देश बेल्जियम मुस्लिम आतंकवादियो का गढ़ कैसे बन गया ??
बेल्जियम एक छोटा सा बेहद शांत और हीरे के कारोबार के लिए जाना जाता है | बेल्जियम का शहर एंटवर्प में डी-बियर्स के लेकर हजारो हीरे का कारोबार करने वाली कम्पनीज है | एंटवर्प में हजारो गुजराती हीरे में बिजनस में है ..
असल में बेल्जियम की उदारवादी शरणार्थी पालिसी ही आज उसे आंतक का अड्डा बना चुकी है और अब खुद बेल्जियम में प्रधानमन्त्री ने भी कह दिया की अब बेल्जियम से मुस्लिम आतंकियों को खत्म करना उनके वश में नही है ..
दुसरे विश्व युद्ध के बाद उत्तर अफ्रीका के मुलिस्म देशो से लाखो मुस्लिम शरणार्थी बनकर बेल्जियम में आये और राजधानी ब्रुसेल्स के बाहरी इलाके में झोपडपट्टी बनाकर रहने लगे | उस इलाके को आज मोलेंग्विक नाम से जाना जाता है और ये आज विश्व की तीसरी और यूरोप की सबसे बड़ी झोपडपट्टी बन चुकी है |
सऊदी अरब ने इस झोपडपट्टी में कुल ३० मस्जिदे और ४० मदरसे बनवाई .. और इन मस्जिदों में सऊदी अरब से मौलवी भी बुलाये गये .. इन मौलवियों ने झोपडपट्टी के लाखो बेरोजगार मुस्लिम युवको के अंदर जिहाद का जहर भरा .. जिसका नतीजा ये हुआ की अब बेल्जियम पाकिस्तान के बाद दूसरा बड़ा आतंकी अड्डा बन चूका है ... बेल्जियम में प्रधानमन्त्री भी अब बेल्जियम में बढ़ते इस्लामिक आतंकवाद के सामने लाचार हो चुके है और इन अड्डो को खत्म करने के लिए अमेरिका की मदद मांगी है |
विश्व के सभी देशो को अब मुस्लिमो को शरण देने के बारे में विचार करना चाहिए .. दूसरी कौमे जिस जमीन पर रहती है उसे कभी नर्क बनाने के बारे में सोच भी नही सकती लेकिन मुस्लिम ऐसे नही है .. इन्हें जो देश दया करके शरण देता है कुछ सालो बाद ये उस एहसान का बदला आतंक से देते है
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