मैं तुम्हारा खून लूंगा और तुम्हारे बच्चो को आजादी दूंगा
‘‘तो तुम मुझे मारने आए हो?’’ नेताजी ने ब्रिटिश सिपाही से पूछा, जिसने रात के समय एक टैंट में नेताजी की छाती पर संगीन तान रखी थी।
‘‘जी!’’
‘‘तो मार दीजिए, और लाखो का ईनाम अंग्रेजों से ले लीजिए!’’
‘‘यदि मैं आपको छोड दूं तो आप मुझे क्या देंगे।’’
‘‘मैं तुम्हारा खून लूंगा और तुम्हारे बच्चो को आजादी दूंगा।’’
वह रोते हुए नेताजी के चरणो में गिर पड़ा, ‘‘मुझे आजाद हिन्द फौज में भरती कर लीजिए, मैं अपना खून देश के लिए बहाना चाहता हूं, क्योंकि आपकी निर्भीकता देखकर अब अपनो का खून पीना नही चाहता।।’’
‘स्वराज का सपना’ का एक अंश....
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स्वतंत्रता सेनानी और आईएनए के पूर्व सैनिक जैमल सिंह (98) का शुक्रवार तड़के अंतिम संस्कार कर दिया गया। सिंह 1917 में पैदा हुए थे। वह ब्रिटिश सेना में थे। लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आह्वान पर वह आईएनए से जुड़ गए। उन्हें वर्षो तक जेल में बिताने पड़े थे।
सिंह ने गुरुवार रात दिल्ली-जयपुर-मुंबई राजमार्ग पर स्थित अपने गांव सिधरावली में अंतिम सांस ली। सिंह के अंतिम संस्कार में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। गुड़गांव के परगनाधिकारी वत्सल वशिष्ठ और मानेसर के नायब तहसीलदार संकल्प सिंह भी अंतिम संस्कार के समय उपस्थित थे।
‘‘जी!’’
‘‘तो मार दीजिए, और लाखो का ईनाम अंग्रेजों से ले लीजिए!’’
‘‘यदि मैं आपको छोड दूं तो आप मुझे क्या देंगे।’’
‘‘मैं तुम्हारा खून लूंगा और तुम्हारे बच्चो को आजादी दूंगा।’’
वह रोते हुए नेताजी के चरणो में गिर पड़ा, ‘‘मुझे आजाद हिन्द फौज में भरती कर लीजिए, मैं अपना खून देश के लिए बहाना चाहता हूं, क्योंकि आपकी निर्भीकता देखकर अब अपनो का खून पीना नही चाहता।।’’
‘स्वराज का सपना’ का एक अंश....
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स्वतंत्रता सेनानी और आईएनए के पूर्व सैनिक जैमल सिंह (98) का शुक्रवार तड़के अंतिम संस्कार कर दिया गया। सिंह 1917 में पैदा हुए थे। वह ब्रिटिश सेना में थे। लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आह्वान पर वह आईएनए से जुड़ गए। उन्हें वर्षो तक जेल में बिताने पड़े थे।
सिंह ने गुरुवार रात दिल्ली-जयपुर-मुंबई राजमार्ग पर स्थित अपने गांव सिधरावली में अंतिम सांस ली। सिंह के अंतिम संस्कार में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। गुड़गांव के परगनाधिकारी वत्सल वशिष्ठ और मानेसर के नायब तहसीलदार संकल्प सिंह भी अंतिम संस्कार के समय उपस्थित थे।
हरियाणा पुलिस ने सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। कई राजनीतिज्ञों, सामाजिक संगठनों और नागरिक समूहों ने सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
98 वर्ष की उम्र में भी सिंह की याददाश्त तेज थी। वह अक्सर आईएनए और ब्रिटिश सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों के साथ की गई ज्यादतियों की कहानियां सुनाया करते थे।
जैमल सिंह स्वामी दयानंद के भक्त थे, उन्होंने "स्वराज का सपना" नामक पुस्तक में स्वामी दयानंद सरस्वती को आजादी के आंदोलन का सूत्रधार स्वीकार किया है।
जैमल सिंह स्वामी दयानंद के भक्त थे, उन्होंने "स्वराज का सपना" नामक पुस्तक में स्वामी दयानंद सरस्वती को आजादी के आंदोलन का सूत्रधार स्वीकार किया है।
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