एंड्राइड फोन से इ वी एम मशीनों को हैक किया जा सकता है
और ऐसी आशंका है कि बिहार चुनाव में इसी तरह भारी धांधली की गयी
ठीक इसी तरह दिल्ली चुनाव में भी काउंटिंग के दिन में भारी गड़बड़ी की गयी थी
तभी एक घंटे बाद दोनों राज्यों के रिजल्ट उलटे होने शुरू हुए थे
और ऐसी आशंका है कि बिहार चुनाव में इसी तरह भारी धांधली की गयी
ठीक इसी तरह दिल्ली चुनाव में भी काउंटिंग के दिन में भारी गड़बड़ी की गयी थी
तभी एक घंटे बाद दोनों राज्यों के रिजल्ट उलटे होने शुरू हुए थे
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नीतिशुद्दीन को खुजलीवाल और खान रेस का भी साथ मिला जो
एक बार इस हैकिंग तकनीक का सफल परीक्षण कर चुके थे
2015 फरवरी दिल्ली चुनाव में
उनका हौसला बढ़ गया था
उन्होंने बिहार में ट्राई कर दिया
पर इनसे बड़ी बड़ी चूक हुई है
अनेक सुराग छूटे हुए हैं
लेकिन अब ये लोग पकड़े जायेंगे
बिहार चुनाव में ई वी एम हैकिंग की बात रोज आग की तरह फ़ैल रही है
आप सभी अधिक से अधिक शोध कीजिये
कि आखिर किस टीम ने कैसे हैकिंग किया है
हैकिंग किया है
यह तो लगभग पचास प्रतिशत इस्टाब्लिस हो चुका है
एक बार इस हैकिंग तकनीक का सफल परीक्षण कर चुके थे
2015 फरवरी दिल्ली चुनाव में
उनका हौसला बढ़ गया था
उन्होंने बिहार में ट्राई कर दिया
पर इनसे बड़ी बड़ी चूक हुई है
अनेक सुराग छूटे हुए हैं
लेकिन अब ये लोग पकड़े जायेंगे
बिहार चुनाव में ई वी एम हैकिंग की बात रोज आग की तरह फ़ैल रही है
आप सभी अधिक से अधिक शोध कीजिये
कि आखिर किस टीम ने कैसे हैकिंग किया है
हैकिंग किया है
यह तो लगभग पचास प्रतिशत इस्टाब्लिस हो चुका है
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EVM में भारी धांधली करके बिहार में भाजपा को हरवाया गया
प्रूफ देखिए...
यह सारा चिप 8051 का खेल है जिसे भारत की मशीनों में उपयोग किया गया
इन्हीं मशीनों से दिल्ली और बिहार में मोदी जी को हरवाया गया
इन मशीनों को जब्त किया जाय और इनकी जाँच हो
प्रूफ देखिए...
यह सारा चिप 8051 का खेल है जिसे भारत की मशीनों में उपयोग किया गया
इन्हीं मशीनों से दिल्ली और बिहार में मोदी जी को हरवाया गया
इन मशीनों को जब्त किया जाय और इनकी जाँच हो
बिहार चुनाव की काउंटिंग समाप्त होने के बाद पीठासीन अधिकारी की डायरी और सभी EVM मशीनों को सार्वजनिक रूप से जनता को देखने दिया जाए...
ताकि सभी देख सकें कि किसको कितने वोट मिले हैं ...
यह व्यवस्था अगले चुनाव तक बनी रहे...
ताकि हम बिहार के लोग हर मशीन का डेटा और काउंटिंग के रोज का डेटा मिला सकें
उन मशीनों का डाटा पाँच वर्ष तक सार्वजनिक पहुँच में हो...
बिहार और दिल्ली चुनाव की मशीनों को जनता के सामने रखा जाए ..
चूँकि हमें आशंका है
काउंटिंग के रोज उन मशीनों को ब्लूटूथ से हैक किया गया था
अगर ईमानदार लोग जीते हैं
तो हजार बार गिनो
काउंटिंग वही आएगी
ताकि सभी देख सकें कि किसको कितने वोट मिले हैं ...
यह व्यवस्था अगले चुनाव तक बनी रहे...
ताकि हम बिहार के लोग हर मशीन का डेटा और काउंटिंग के रोज का डेटा मिला सकें
उन मशीनों का डाटा पाँच वर्ष तक सार्वजनिक पहुँच में हो...
बिहार और दिल्ली चुनाव की मशीनों को जनता के सामने रखा जाए ..
चूँकि हमें आशंका है
काउंटिंग के रोज उन मशीनों को ब्लूटूथ से हैक किया गया था
अगर ईमानदार लोग जीते हैं
तो हजार बार गिनो
काउंटिंग वही आएगी
Madan Mohan Tiwari, Jitendra Pratap Singh और 25 अन्य लोग के साथ.
बिहार चुनाव में भारी धाँधली हुई है
मतगणना के दिन ब्लूटूथ द्वारा इ वी एम को हैक किया गया है
और एक एक विधानसभा 5 करोड़ में बिकी है
मतगणना के दिन ब्लूटूथ द्वारा इ वी एम को हैक किया गया है
और एक एक विधानसभा 5 करोड़ में बिकी है
बिहार में सभी इ वी एम को सीज किया जाय और फिर से मतगणना हो
या पुनः पेपर बैलट से वोट डलवाये जाएँ
या पुनः पेपर बैलट से वोट डलवाये जाएँ
आपस में लड़ना और एक दूसरे को कोसना छोड़ कर
भाजपा इस मुद्दे पर ध्यान दे
भाजपा इस मुद्दे पर ध्यान दे
इस चुनाव आयुक्त का बहुत पुराना रिकार्ड रहा है
देखिये एक उदाहरण ...
देखिये एक उदाहरण ...
1980 में उ.प्र. से विपक्ष के केवल दो सांसद जीते थे एक थे चौधरी चरण सिंह और दूसरे थे फर्रुखाबाद से दयाराम शाक्य...
1984 के चुनाव में फर्रुखाबाद से कांग्रेस प्रत्याशी थे सलमान खुर्शीद के पिता और पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के दामाद खुर्शीद आलम खाँ ।
1984 के चुनाव में फर्रुखाबाद से कांग्रेस प्रत्याशी थे सलमान खुर्शीद के पिता और पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के दामाद खुर्शीद आलम खाँ ।
तब फर्रुखाबाद के जिलाधिकारी थे नसीम जैदी
मतगणना तक कांग्रेसी खेमे में निश्चित पराजय को लेकर निराशा का वातावरण था पर इसके उलट खुर्शीद भारी बहुमत से उन्ही दयाराम शाक्य को हरा कर विजयी हुए थे ।
मतगणना तक कांग्रेसी खेमे में निश्चित पराजय को लेकर निराशा का वातावरण था पर इसके उलट खुर्शीद भारी बहुमत से उन्ही दयाराम शाक्य को हरा कर विजयी हुए थे ।
वह मतपत्रों वाला युग था और उसी युग में बहुगुणा के मुख्यमंत्रित्व काल में लखनऊ से चन्द्रभानु गुप्त की बहुचर्चित पराजय हुई थी जब गुप्तजी के गढ़ से मतपेटिकाएँ वापिस लेकर चले ट्रक की जगह उसी नम्बर व रँग का दूसरा ट्रक पेटिकाएँ जमा कराने पहुँचा था
जय हो कांग्रेसी लोकतन्त्र (?) की !!!
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