Thursday, 7 January 2016

जागो बंगाल के हिन्दू जागो 
दिनेश भंडुला 

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Rohit Sardana
पहले इंदौर, फिर टोंक, फिर रायपुर, फिर मालदा, अब पूर्णिया। एक ही मुद्दा- कमलेश तिवारी को फांसी दो। एक ही पैटर्न- सड़क पे उतरो, तोड़ फोड़ मचाओ, गुम हो जाओ।
हैरानी है की ज़िला प्रशासन ऐसी भीड़ को सडकों पे आने की इजाज़त कैसे दे रहे हैं? और अगर ये सब बगैर इजाज़त के हो रहा है तो चिंता होनी चाहिए की लोकल इंटेलिजेंस किस हद तक फेल है। कल को ऐसी भीड़ अचानक किसी और मकसद को ले के ऐसे सड़क पे उतर आए तो?
कमलेश तिवारी पर एनएसए लगा है। वो जेल में बंद है। ऐसे में कानूनी कार्रवाई की मांग ले के सड़क पर उतरने की आड़ में देश की क़ानून व्यवस्था को आगज़नी और तोड़फोड़ से धमकाने की कोशिश सरकारें बर्दाश्त क्यों कर रही हैं?
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आखिर क्यों नहीं दिखाया मिडिया ने वो सच....
कहाँ गए वो असहिष्णुता का विलाप करने वाले....
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मैं मानता हूँ कि हिन्दू महासभा के कमलेश तिवाड़ी जी ने गलत कहा....
तो कानून ने अपना काम भी किया, 2 दिसम्बर से उन्हें जेल में बन्द कर रखा है ना...
लेकिन उस से पहले यूपी के मंत्री आजम खाँ ने भी कुछ भी सही नहीं कहा था, तो फिर उन पर वो सभी क़ानूनी कार्यवाही क्यों नहीं हुई ?
यूपी के CM अखिलेश जी ने सिर्फ मुस्लिम धर्म गुरुओ से ही बात क्यों की ?
क्यों नहीं बुलाया गया हिन्दू महासभा के पदाधिकारियों को ?
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ताली तो दोनों हाथों से बजी, तो एक हाथ को ही क्यों सहलाया गया ?
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सब से अहम बात कि
यूपी की ये आग ओ. बंगाल कैसे पहुंच गयी ?
वो भी 2 दिसम्बर को कमलेश जी गिरफ्तारी से बुझाने की कोशिश के एक महीने बाद फिर से हवा दे दी।
आखिर कौन हैं वो लोग जो इस तरह से देश को जला देना चाहते हैं ?
क्यों नहीं हमारा कानून, हमारे नेता सजा नहीं दे पाते ऐसे देश द्रोहियों को ?
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न्याय संगत तो तब ही होगा ना जब हर एक दोषी को सजा मिलेगी, फिर वो चाहे किसी भी जाति, धर्म, मजहब से ताल्लुक रखता हो।
शासन की ऐसी एक तरफा कार्यवाही से आग बुझेगी नहीं बल्कि और भड़केगी।
और फिर ऐसी धटनाओं से फायदा तो दो चार नेताओं को होगा लेकिन नुकसान तो जनता का ही होगा, देश का ही होगा।
जयहिंद !!
‪#‎देबू_काका‬
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