6 गोलियां लगने के बाद भी
दुश्मनों से जूझता रहा ये सैनिक...
शेर हमेशा शेर ही रहता है 6 गोलियां लगी लेकिन शेर की तरह डटा रहा ये जवान और हम भगवान से इनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते है...
पठानकोट: तारीख भले बदल गई हो लेकिन 2 जनवरी की तड़के, एक हेलीकॉप्टर उड़ने को तैयार था जो अपनी खास तकनीक से आतंकियों की जमीन पर पहचान करता है। यह सारी तैयारी पठानकोट एयरबेस पर आतंकियों के हमले के मद्देनजर चल रही थी। आतंकियों के इस हमले से एयरबेस पर काफी नुकसान होने का अंदेशा था।उड़ान के कुछ ही मिनटों बाद थर्मल इमेजर्स तकनीक से लेस इस हेलीकॉप्टर ने चार संदिग्धों की पहचान कर ली। इनको सबसे पहले मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट एरिया के पीछे 2000 एकड़ में फैले घने जंगल में देखा गया। 45 मिनट बाद आतंकियों की लोकेशन कुछ मीटर की दूरी पर स्थित मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट बेस में देखी गई।
भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे ताकि उन्हें डिटेक्ट न किया जा सके।सुबह करीब 3.00 बजे 12 गरुड कमांडो को तैनात किया जा चुका था। तीन जोड़ों की एक टीम को मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट विंग के बाहर तैनात किया गया और तीन जोड़ों की एक टीम को पाकिस्तानी आतंकियों पर हमला करने का आदेश दिया गया।
आतंकियों से आमना-सामना से ठीक पहले गुरसेवक ने अपने साथियों के साथ एक बड़े पत्थर की आड़ ली, लेकिन तब तक तीन गोलियां उन्हें लग चुकी थी और वे आतंकियों से लड़ाई लड़ते जा रहे थे।
गरुड कमांडो विंग कमांडर गुरसेवक सिंह को हमले की जिम्मेदारी मिली। इनके पीछे कमांडो शैलेश गौर और उनका साथी कटल था।हरियाणा के गरनाला में रहने वाले गरुड़ कमांडो गुरसेवक सिंह दुश्मनों से टक्कर लेते हुए शहीद हो गए। वहीं, दलीपगढ़ के रहने वाले गरुड़ कमांडो शैलभ गौड़ मुठभेड़ में घायल हो गए थे। उन्हें पेट में 6 गोलियां लगी थीं। फिलहाल उनका इलाज पठानकोट के सेना अस्पताल में चल रहा है।
शैलभ के बड़े भाई वैभव ने बताया कि शैलभ को मॉडलिंग का शौक है। वे अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में मॉडलिंग किया करते थे।
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