भारत के चार धाम बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम ये सब मंदिर थे और हैं इन को धाम बनाने वाले आदि शंकारचार्य जी थे। यहूदियों ने मुस्लिमो ने और इसाई ने हमारा धर्म कॉपी पेस्ट किया। हमारे मंदिर नष्ट कर दिए। ताज महल कुतुम मीनार जैसी ना जाने कितने मंदिरों को कब्रों में मजारो में तब्दील कर दिया। महाभारत, रामायण और पुराणों में हेरा फेरी कर दी। इतिहास की तारीखों में गड़बड़ कर दी। ये सब हुआ 17 वीं से 18 वी शताब्दी में। कुछ भक्त पैदा कर दिए दास नाम वाले । और सब से मजे की बात इस ही समय नए नए वैज्ञानिक पैदा हुए यूरोप में और विज्ञान का जन्म हुआ।
विज्ञान बना है वेद+ज्ञान से। ये वेद पहुँच गए गए जर्मनी स्वस्तिक का निसान भी जर्मनी पहुच गया इन वेदों को समझाने के लिए भारत के बहुत से विद्वान यूरोप जाने लगे पडाई करने के बहाने और वापस आते थे डिग्रीयो का ढेर ले कर। इन वेदों से गोरो ने विज्ञान निकला कर छाप दिया ।
इन वेदों को समझने के लिए काम आई आदि शंकराचार्य की लिखी पुस्तके
आदि शंकराचार्य ने निम्नलिखित ग्रंथों पर भाष्य लिखा है-(WIKI)
• ब्रह्मसूत्र
• ऐतरेय उपनिषद
• वृहदारण्यक उपनिषद
• ईश उपनिषद (शुक्ल यजुर्वेद)
• तैत्तरीय उपनिषद (कृष्ण यजुर्वेद)
• श्वेताश्वतर उपनिषद (कृष्ण यजुर्वेद)
• कठोपनिषद (कृष्ण यजुर्वेद)
• केनोपनिषद (सामवेद)
• छान्दोग्य उपनिषद (सामवेद)
• माण्डूक्य उपनिषद तथा गौडपादकारिका
• मुण्डक उपनिषद (अथर्ववेद)
• प्रश्नोपनिषद (अथर्ववेद)
आदि शंकराचार्य ने निम्नलिखित ग्रंथों पर भाष्य लिखा है-(WIKI)
• ब्रह्मसूत्र
• ऐतरेय उपनिषद
• वृहदारण्यक उपनिषद
• ईश उपनिषद (शुक्ल यजुर्वेद)
• तैत्तरीय उपनिषद (कृष्ण यजुर्वेद)
• श्वेताश्वतर उपनिषद (कृष्ण यजुर्वेद)
• कठोपनिषद (कृष्ण यजुर्वेद)
• केनोपनिषद (सामवेद)
• छान्दोग्य उपनिषद (सामवेद)
• माण्डूक्य उपनिषद तथा गौडपादकारिका
• मुण्डक उपनिषद (अथर्ववेद)
• प्रश्नोपनिषद (अथर्ववेद)
ज्ञान मिलने के बाद मूल लेखक का नाम तो हटाना ज़रूरी होता है तो इस के बाद शंकराचार्य के वेदों के ज्ञान को इतिहास से हटाया जाने लगा। आदि शंकराचार्य ने वेदों का सरल अनुवाद कर के चार मठो की स्थापना की और एक एक मठ को एक वेद दे दिया ।
1. #बद्रीनाथ_अथर्ववेद
2. #द्वारका_सामवेद
3. #जगन्नाथ_पुरी_ऋग्वेद
4. #रामेश्वरम_यजुर्वेद
1. #बद्रीनाथ_अथर्ववेद
2. #द्वारका_सामवेद
3. #जगन्नाथ_पुरी_ऋग्वेद
4. #रामेश्वरम_यजुर्वेद
भारत के चार मठ और चार वेद प्रत्येक मठ को एक वेद दिया गया। इन मठो की स्थापना कब हुयी किसी को नहीं पता। आदि शंकराचार्य जी का जन्म 788 AD कर दिया सब इतना बिगाड़ दिया की हर कोई उलझ गया की क्या सच है और गलत क्या।
इन वेदों के ज्ञान से आज ये सब नोबेल पुरुष्कार ले रहे हैं ।
झूठ के पाँव नहीं होते ये इन गोरो ने भी सुना हुआ था। इस लिए भारत की संस्कृति सभ्यता को नष्ट करो और सब से नवीन ज्ञान जिन्होंने दिया वेदों का उस को गलत साबित करो । इस षड्यंत्र में सब से पहले आदि शंकराचार्य की जन्म तिथि बिगाड़ी फिर बोद्धओ से शास्त्रार्थ कराया उन से जीतने के बाद #मंडन_मिश्र की #बीवी_भारती से शास्त्रार्थ हरवा दिया। इस से बड़ा झूठ कुछ नहीं हो सकता।
इस ही कड़ी में इन गोरो ने एक एक मठ की स्थापना कांची कामकोटि मठ कांचीपुरम ।
इस मठ का दावा है कि आदि शंकराचार्य ने कांचीपुरम में अपने जीवन के अंतिम दिन बिताये थे और यहीं इन की समाधि है। जिस का कोर्ट केस भी चल रहा है।
यहाँ के कामाक्षी मंदिर परिसर में आदि शंकराचार्य की समाधि बनाई और 800 AD डेट लिख दी।
अब आगे इस मंदिर को विवादों में डाल दिया जिस में से शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी का विवाद तो आपको पता ही होगा। स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी ने ही आदि शंकराचार्य का जन्म 788 ईस्वी (एडी) में नहीं, बल्कि ईसा पूर्व 509 में हुआ बताया ।
इन सब षड्यन्त्रो का कारण ये :- कि पुरे विश्व को बताना की भारत के मठो के शंकराचार्य ऐसी हरकते करते हैं ये सब आदि शंकारचार्य द्वारा स्थापित किये हुए हैं या अनुयायी हैं।
एक गलती जो ये गोरे कर गए वो ये की किसी देवी के मंदिर में किसी की समाधि नहीं बनायीं जाती। माजर का कोनसैप्ट यहाँ भी लगा गए।
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कुछ सालो पहले केदारनाथ जाने का मोका मिला तब इस मंदिर का इतिहास देखा सुना महाभारत काल का मंदिर है मंदिर के पीछे आदि शंकराचार्य की समाधि भी थी और मंदिर भी था। वहां से बद्रीनाथ गया जो की भारत के चार धामों में से एक है इस की स्थापना भी आदि शंकराचार्य जी ने करी थी मंदिर कब बना इस पर अलग अलग डेट मिल रही हैं।
2013 में केदारनाथ में बाढ़ आई थी सब कुछ बह गया सिर्फ मंदिर बच गया। हजारो लोगो की मृत्यु हुयी।
2012 में 5.5 लाख तीर्थयात्रियों ने केदारनाथ के दर्शन किये 2013 में बाढ़ आई 2014 में 40 हज़ार 2015 में 1.5 लाख 2016 और 17 में भी इतने ही तीर्थयात्री गए मतलब 5.5 लाख से 1.5 लाख पर आ गए।
मैं जब गया था तब ही आदि शंकारचार्य जी से परिचय हुआ वेदों से परिचय हुआ। मन में जिज्ञाषा उठी और जानने की बहुत कुछ पड़ा ढूंढा अच्छा लगा अपने वैदिक धर्म से जान पहचान कर के।
आदि शंकारचार्य 2000 BC में हुए थे ना की 788 AD में वेदों के ज्ञाता और वैदिक धर्म के प्रचारक थे 32 वर्ष की आयु में केदारनाथ में शरीर छोड़ दिया। मंदिर के पीछे ही इन की समाधि बनाई गयी थी।
आदि शंकारचार्य 2000 BC में हुए थे ना की 788 AD में वेदों के ज्ञाता और वैदिक धर्म के प्रचारक थे 32 वर्ष की आयु में केदारनाथ में शरीर छोड़ दिया। मंदिर के पीछे ही इन की समाधि बनाई गयी थी।
2013 बाढ़ में समाधि बह गयी थी तब लगा की अब दुबारा बना दी गयी होगी। मगर अभी नेट पर सर्च करते हुए पता चला की आदि शंकारचार्य की समाधि दुबारा नहीं बनाई जा रही तब कांग्रेस की सरकार थी इसलिए नहीं बनी अब तो बीजेपी की सरकार है अब भी नहीं बन रही। 300 सालो से ये लोग शिव और शंकर के दुश्मन बने हुए हैं आज भी दुश्मन हैं ।
वो बाढ़ मैन मेड थी उस के दो टारगेट थे दोनों ही सफल हुए एक तीर्थयात्रियों के मन में भय बैठना जिस का परिणाम तीर्थयात्रियों की संख्या 5.5 लाख से 1.5 लाख करना, दूसरा आदि शंकारचार्य की हर चीज़ का अस्तित्व मिटा देना। कार्बन डेटिंग का जमाना है। बाकि हिन्दू को उलझाये रखना कजरी अन्ना मायावती रोहिंगा सनी लिओनी किरकेट में। आज वेद उपनिषद तो दूर की बात गीता पड़ने वाले भी नहीं हैं। पुराणों के ज्ञाता गली गली मिल जाते हैं।
आदि शंकारचार्य जी की समाधि बनाने के लिए क्या कोई मोहीम (campaign), signature campaign टाइप कुछ हो सकता है की मोदी जी से बोला जाए की वहां दुबारा समाधि न निर्माण हो और भव्य निर्माण हो।
नहीं तो बाइबल तो आ ही रही है हाथो में, कोई खुले में ये भी बोल गया था कि “पहली सहस्राब्दि में हमने यूरोप को ईसाई बनाया, दूसरी सहस्त्राब्दि में अफ्रीका को ईसाई बनाया। अब तीसरी सहस्राब्दि में एशिया को ईसाई बनाना है।
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