भारत में पहली बुलेट ट्रेन चलाने का सपना भले ही जापान साकार करेगा पर इस प्रोजेक्ट को तैयार करने की जिम्मेदारी कानपुर आईआईटी के पूर्व छात्र संजीव सिन्हा को सौंपी गई है। जापान सरकार ने उन्हें परियोजना का सलाहकार बनाया है। आईआईटी से डिग्री लेने के बाद संजीव जापान चले गए और पिछले 21 साल से वहीं काम कर रहे हैं। उन्होंने आईआईटी-के से भौतिकी में पांच साल का इंटीग्रेटेड एमएससी कोर्स किया है।
21 जनवरी 1973 को राजस्थान में जन्मे संजीव ने 12वीं तक की पढ़ाई वहीं से की है। पहली ही कोशिश में उनका चयन आईआईटी कानपुर में हो गया। यहां से एमएससी की डिग्री लेने के बाद वह जापान चले गए। वहां कई कम्पनियों में लंबे समय तक काम किया। शादी करने के बाद विदेश में ही बस गए।
21 जनवरी 1973 को राजस्थान में जन्मे संजीव ने 12वीं तक की पढ़ाई वहीं से की है। पहली ही कोशिश में उनका चयन आईआईटी कानपुर में हो गया। यहां से एमएससी की डिग्री लेने के बाद वह जापान चले गए। वहां कई कम्पनियों में लंबे समय तक काम किया। शादी करने के बाद विदेश में ही बस गए।
जिस बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट का संजीव को सलाहकार बनाया गया है, उसे वर्ष 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। अहमदाबाद से मुम्बई के बीच करीब 508 किमी की दूरी के बीच यह ट्रेन दौड़ेगी। इसे तय करने में महज दो घंटे का समय लगेगा, जबकि अभी करीब सात से आठ घंटे लग जाते हैं। यह पूरा प्रोजेक्ट करीब एक लाख करोड़ का है। बुलेट ट्रेन जापान की तकनीक पर चलेगी।
इससे पहले काशी को क्योटो बनाने के लिए भी संजीव सिन्हा ने प्रोजेक्ट तैयार किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब जापान गए थे तो संजीव ने उन्हें यह प्रोजेक्ट दिखाया था। इसी के आधार पर आईआईटी बीएचयू व आईआईटी कानपुर ने इस दिशा में कदम बढ़ाए थे।
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